टीचर्स डायरी : "अगर स्पेशल चाइल्ड को टीचर की मदद मिल जाए तो ये अपनी जिंदगी खुद संवार लेंगे"

अभिषेक सोमवंशी, तमिलनाडु के कोयंबटूर में ‘येलो ट्रेन’ नाम के स्कूल में शिक्षक हैं, जहां स्पेशल चाइल्ड को भी पढ़ाया जाता है। टीचर्स डायरी में आज उनसे जानते हैं इन बच्चों से जुड़ी कहानी और उनके पढ़ाने के नायब तरीकों के बारे में।

Abhishek SomvanshiAbhishek Somvanshi   4 May 2023 11:08 AM GMT

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टीचर्स डायरी : अगर स्पेशल चाइल्ड को टीचर की मदद मिल जाए तो ये अपनी जिंदगी खुद संवार लेंगे

मैं खुद स्कूल के दिनों में बहुत अच्छा स्टूडेंट नहीं था। क्लास में कभी अपनी बात नहीं रखता था, हमेशा शांत सा रहता। लेकिन थियेटर की जब क्लास लगती तो मुझे मजा भी आता और आजादी से अपनी बात रखने का मौका भी मिलता। क्योंकि इस कक्षा में आपको आजादी थी कि आप एक दूसरे से सहमति या असहमति रख सकते हैं, तो बहुत दिनों तक मुझे ऐसा लगा कि यही वो क्लास है जहां से शिक्षा जगत में क्रांति आ सकती है।

हमारे स्कूल में जो भी बच्चे हैं वो सब हमारी नज़रों में बराबर हैं, कोई किसी से कमतर नहीं। ये सोच कोई भी नवाचार अपनाने से पहले हम सब टीचर्स में होनी चाहिए। अगर आप बच्चों से प्यार करते हैं तो कोई भी नवाचार लाइए बच्चे उससे अपने आप ही जुड़ते चले जाएंगे।

हम जिस कहानी की चर्चा यहाँ कर रहे हैं वो हमारे एक स्पेशल बच्चे की है, जिसके साथ हम छठी कक्षा से काम कर रहे हैं। धीरे-धीरे उससे हमारा संवाद भी अच्छा होने लगा और वो बच्चा काफी प्रोग्रेस करने लगा। तभी कोविड-19 का संकट आ गया। जहां उस बच्चे से हमारा संवाद टूट गया और लगा कि सब कुछ पानी में मिल गया। फिर एक दिन उस बच्चे का कॉल आता है और वो कहता है कि, "अन्ना आई मिस यू" और कुछ तो बच्चे ऐसे हैं जो कॉल भी नहीं कर सकते। ऐसे भी बच्चे हैं जिन्होंने फोन करके कहा कि आपकी फिजिक्स क्लास को मिस कर रहा हूं, तो कोई कहता कि मैं बोर हो गया हूँ।

तब फिर लगा कि अगर मैँ ही हताश हो गया तो इसका असर मेरे बच्चों पर भी पड़ेगा। हताशा तब होती है जब सिस्टम सपोर्ट नहीं करता वो हर एक बच्चों को एक ही तरह से असिस्मेंट करता है। आपकी आशा आपके बच्चे हैं और कोई नहीं। गार्जियन को भी उनकी शिक्षा मे दखल देना होगा तभी उनको हिम्मत मिलेगी और वे मन लगाकर सीखेंगे भी।

पीटीएम में हम लोग कभी इनके पढ़ाई पर चर्चा नहीं करते। बहुत सी चीज पढ़ाई के अलावा और भी है जो इंसान को इंसान बनाती हैं। अभिभावक को सबसे पहले उनकी बातों को सुनना जरूरी है, ये एक जर्नी है जिसमें आपको कदम से कदम मिलाकर चलना पड़ेगा। जब इनको आप पर भरोसा होगा तो ये आप पर ट्रस्ट भी करेंगे। फिर ये बच्चे अपना काउंसलिंग भी कराएंगे। अब इन बच्चों को तीन लोग मिलकर निखार रहे है-टीचर, गार्जियन और काउंसलर।

बस इन बच्चों को गार्जियन और टीचर की सहायता मिल जाए तो ये सिस्टम से भी लड़ लेंगे और अपनी जिंदगी खुद संवार लेंगे। ये किसी से कम नहीं है, सब कुछ करने की क्षमता हे इनमें। बस इन्हें सहायता मिल जाए।

आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें [email protected] पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।

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