टीचर्स डायरी: "स्कूल के बाद छूट न जाए बच्चों की पढ़ाई करती हूं हर संभव मदद"

राशि सक्सेना, उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के उच्च प्राथमिक विद्यालय, सिंघनी में शिक्षिका हैं। वो बच्चों को पढ़ाने के नए-नए तरीके अपनाती रहती हैं, टीचर्स डायरी में वो अपना अनुभव साझा कर रही हैं।

Rashi SaxenaRashi Saxena   3 May 2023 12:48 PM GMT

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टीचर्स डायरी: स्कूल के बाद छूट न जाए बच्चों की पढ़ाई करती हूं हर संभव मदद

मैं क्लास मे टीचर और क्लास के बाहर बच्चों की दोस्त बन जाती हूं। हमेशा क्लास में सिर्फ पढ़ाने से बच्चे बोर न हो जाएं इसलिए उन्हें पढ़ाने के अलग-अलग तरीके अपनाती रहती हूं।

जैसे कि बच्चों से उनकी किताबों पर नाटक कराती हूं, बच्चों को अलग-अलग कैरेक्टर बांट देती हूं उसी हिसाब से बच्चे एक्टिंग करते हैं। ऐसे में बच्चे जल्दी सीख जाते हैं। हमने स्कूल के एक कमरे में देश-विदेश के जाने माने महापुरुषों की तस्वीर लगा रखी, साथ ही उनके बारे में दीवारों पर सब कुछ लिखा गया है। इससे बच्चे उनके बारे में जानते समझते रहते हैं।

स्कूल में हम कुछ न कुछ नया अक्सर करते हैं और त्योहारों पर एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं। अभी ईद पर बच्चों को ईदी भी दी और उनके साथ त्यौहार भी मनाया। जब बच्चे अच्छे नंबरों से पास होते हैं, तब भी गिफ्ट दिया जाता है, इससे बच्चे मन लगाकर पढ़ाई करते हैं।


बच्चों को स्कूल असेम्बली प्रार्थना के बाद स्पीच देना कविता बोलना या खुद से कुछ तैयार करके लाना और प्रार्थना सभा मे बोलना अब अच्छा लगने लगा। पहले बच्चे स्कूल मे बोलने से भी डरते थे। फिर मैंने स्कूल में प्रार्थना के बाद बच्चों को कुछ बोलने को कहा। शुरू में बच्चे बोलने मे हिचकते थे, लेकिन धीरे धीरे बच्चे खुद अपना नाम लिखवाने लगे। अब स्पीच, कविता, कहानी सब बच्चे खुद करने लगे हैं, उनकी हिचक खत्म हो गई है ।

एक बच्चा मेरे स्कूल मे पढ़ता था, पढ़ने में बहुत ही होशियार बच्चा है, लेकिन आगे पढ़ाने के लिए उसके के माता-पिता उतने सक्षम नहीं थे। जब ये बात मुझे पता चली तो मुझे लगा कि मैं इनकी मदद कर सकती हूं। तो मैंने बच्चे के परिवार से बात करके उसका एडमिशन शहर के स्कूल मे करवाया और साथ मे ट्यूशन भी लगाया, जिससे उसे पढ़ाई मे कोई दिक्कत न आए और उसके नम्बर भी अच्छे आए।

इसी तरह मेरे स्कूल की एक बच्ची है वो भी पढ़ाई मे काफी अच्छी है, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए थोड़ी समस्या थी। उस बच्ची का एडमिशन मैंने पास के ही अच्छे स्कूल में कराया है, जिससे उसकी भी पढ़ाई मे कोई समस्या न आये और दोनों अभी अपने अपने स्कूल में 12वीं पढ़ाई कर रहे हैं।

दोनों बच्चों की मदद करना मेरे लिए एक अच्छा अनुभव रहा है, इसलिए मैं आगे भी ऐसे बच्चों की मदद करना चाहती हूं। मैं हर शनिवार को बच्चों के माता पिता से जरूर मिलती हूं जिससे मुझे बच्चों के बारे मे जानकारी रहे कि बच्चे कैसे पढ़ रहे हैं या नहीं, जिससे मैं बच्चों पर समय ध्यान दे सकूं।

जैसा कि राशि सक्सेना ने गाँव कनेक्शन की इंटर्न अंबिका त्रिपाठी से बताया

आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें [email protected] पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।

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