टीचर्स डायरी: 'सामुदायिक सहयोग से बदली स्कूल की तस्वीर, अब सात समंदर पार से आए मेहमानों ने बच्चों के लिए शुरू की स्कॉलरशिप'

राकेश विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के संविलयन मॉडल उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सनैया जट में शिक्षक हैं। राकेश टीचर्स डायरी में सामुदायिक सहयोग से कैसे स्कूल का कायाकल्प हो गया है का किस्सा साझा कर रहे हैं।

Rakesh VishwakarmaRakesh Vishwakarma   11 April 2023 1:28 PM GMT

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टीचर्स डायरी: सामुदायिक सहयोग से बदली स्कूल की तस्वीर, अब सात समंदर पार से आए मेहमानों ने बच्चों के लिए शुरू की स्कॉलरशिप

मुझे याद है जब मैंने पांच साल पहले ज्वाइन किया था, तब यहां की स्थिति ऐसी नहीं थी जैसा मैं चाहता था। लेकिन मन में कुछ करने की अभिलाषा थी, लेकिन पर्याप्त धन न होने के कारण कुछ कर नहीं पा रहा था।

फिर भी मैंने ठाना कि इस स्कूल का कायाकल्प करना है, स्कूल में कुछ बदलाव करने हैं। लेकिन ये सब मेरे अकेले के बस की बात नहीं थी, इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न लोगों से सहयोग लिया जाए और उन्हें जागरूक किया जाए। हम लोग स्कूल में स्कूल में अच्छा काम रहे थे, इसलिए लोग भी हमसे प्रभावित हो रहे थे और हमें सपोर्ट करना चाहते थे।

अब वो चाहे गाँव के लोग हों या फिर बाहर के लोग, हमेशा स्कूल का सपोर्ट करते रहे हैं, इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न इन लोगों से कुछ आर्थिक सहयोग मांगा जाए और हम इसमें कामयाब भी हुए।

नई बेंच डेस्क मिलने के बाद बच्चों के चेहरे पर खुशी तो देखिए।

शुरूआत अपने घर से ही की और अपनी मम्मी से कहा कि आपका जन्मदिन आ रहा और मेरे स्कूल के लिए आप कुछ कीजिए। उनको भी ये सुझाव अच्छा लगा और उन्होंने अपने जन्मदिन पर सबसे पहले हमें 11 हजार रुपए का सहयोग किया, बस वहीं से कारवां बनता गया और लोग सपोर्ट करने लगे किसी ने 21000 तो किसी ने 2100 का सहयोग किया। इस तरह हर कोई किसी न किसी रुप में सहयोग कर रहा है।

इस तरह से हमने सामुदायिक सहयोग से लगभग एक लाख रुपए इकट्ठा किए और उसी एक लाख रुपए से स्मार्ट क्लास संचालित करवाई। इसी के साथ स्कूल में बहुत कुछ नया किया।

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मैं अपने स्कूल की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर शेयर करता रहता हूं और सबसे खास दिन तब आया जब इसी साल जनवरी में कनाडा से विनती कौशल, मनोज कौशल और उनके कुछ साथी आए, वो सोशल मीडिया पर स्कूल के वीडियोज और फोटो देखते रहते हैं। इन्हें हम अपने स्कूल में घुमाने ले गए और उन लोगों ने बच्चों से बात की। वो लोग स्कूल का माहौल देखकर बच्चों से काफी प्रभावित हुए।

जनवरी महीने में कनाडा से आए मेहमान

उन्होंने उसी दिन स्कॉलरशिप की घोषणा कर दी कि जो भी बच्चे यहां से पास होकर जाएंगे उन्हें पांच-पांच हजार रुपए की स्कॉलरशिप दी जाएगी। अब जब अप्रैल में नया सत्र शुरू हुआ तो चार मेधावी छात्रों को पांच-पांच हजार रुपए की स्कॉलरशिप देने की शुरुआत भी हो गई।

साथ ही स्कूल को हर साल 10 हजार रुपए का अनुदान देने की घोषणा की, यही नहीं अभी बच्चों के लिए 16 नई बेंच डेस्क का भी इंतजाम कर उन लोगों ने कर दिया है। इसी तरह के सामुदायिक सहयोग से गाँव वाले और बच्चे काफी खुश हैं। साथी शिक्षक भी काफी खुश हैं कि हमारी मेहनत रंग लायी अब ऐसे ही और लोग भी हमारे सपोर्ट के लिए आगे आएंगे।

आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें [email protected] पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।

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