अब मेरठ में भी नहीं मिल रहा आलू को ठिकाना
Sundar Chandel 17 Jan 2018 2:46 PM GMT

मेरठ। शीतगृहों पर हाउसफुल के बोर्ड लटक गए हैं, और आलू या तो खेतों में पड़ा है या किसानों के घरों में सड़ रहा है। जिसके चलते किसानों का आलू से मोह भंग होता जा रहा है। परेशान आलू किसानों का आरोप है कि कोल्ड स्टोर संचालक ज्यादा किराया लेने के चक्कर में हाउस फुल का बोर्ड लगाए हैं।
साथ ही दूसरे जनपदों का आलू भर रखा है, जिसके चलते क्षेत्रीय किसान परेशान हो रहे हैं। अभी दिसंबर की खुदाई का आलू ठिकाने नहीं लगा है, और दूसरी खोद मार्च में शुरू हो जाएगी।
जनपद में 25 प्राइवेट शीतगृह हैं। जिनमें से एक शीतगृह इस वर्ष बंद हो गया है। अब भी जिले में 14 लाख कुंतल आलू भंडारण करने की क्षमता है, लेकिन ज्यादा किराए के लालच में शीतग्रह संचालकों ने अन्य जनपदों का आलू भंडारण कर लिया है। जिसके चलते जनपद के किसानों का आलू घरों में पड़ा सड़ रहा है।
लावड़ गाँव के किसान रामसिंह (54 वर्ष) बताते हैं कि उनके यहां करीब 200 कुंतल आलू हुआ है, जिसमें से करीब 50 कुंतल ही बिक पाया है। बाकि आलू घर में ही पड़ा है। जिसमें से 20 फीसदी तो खराब हो गया है। शीतगृह संचालकों ने दूसरे जनपदों का आलू भर लिया है, जिसके चलते उन्हे जगह नहीं मिल रही है।
मेरठ ब्लॉक के गगोल गाँव के किसान संदीप (36 वर्ष) बताते हैं, "अभी दिसंबर की खोद का आलू ही घर में भरा है, मार्च में फिर से आलू खुदने लगेगा। कोल्ड स्टोर में जगह नहीं है, ऐसे में कहां ले जाएं आलू।
दाम अच्छे फिर भी बिगड़ा गणित
हाल में नए आलू के दाम 700 रूपए कुंतल मंडी में है, अभी आलू के दाम 1000 तक पहुंचने की संभावना है। लेकिन इसके बावजूद भी शीतगृह का गणित बिगड़ा हुआ है। इसका सीधा कारण है गैर जनपदों के आलू का भंडारण करना। दरअसल पहले किसान बीज के आलू का ही भंडारण किया करते थे, लेकिन इस बार आलू का रकबा बढने से किसानों को उन्हे बेचने में दिक्कत आ रही है। जिसके चलते किसान कोल्ड स्टोर की शरण में जा रहे हैं। जबकि शीतगृह संचालकों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में अन्य जनपदों का आलू भंडारण कर लिया है।
260 रुपए कुंतल की मांग
जनपद में शीतगृह एसोसिएशन ने मीटिंग कर आलू भंडारण का किराया 260 रुपए प्रति कुंतल की मांग की है। जबकि पिछले सीजन में प्रति कुंतल आलू का किराया 200 रुपए था, साथ ही शुगर फ्री आलू का भंडारण का किराया 220 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित था। इस मुद्दे पर किसानों ने डीएम से मिलकर हल निकालने को कहा था।
इस साल घटी पैदावार
जिला उद्यान अधिकारी अरूण कुमार बताते हैं कि जनपद में इस वर्ष 6800 हेक्टेयर आलू की फसल हुई। यानि पिछले साल के मुकाबले 300 हेक्टेयर रकबा बढा है। लेकिन उत्पादन लगभग 20 फीसदी गिर गया। सरकारी आंकड़ो पर गौर करें तो एक हेक्टेयर में 230 कुंतल आलू की पैदावार होती है। जिसके हिसाब से जनपद में 14 लाख कुंतल आलू की पैदावार हुई।
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