मेरठ में गन्ना क्रय केन्द्रों पर घटतौली से किसानों की जेब पर डाका 

Sundar ChandelSundar Chandel   7 Nov 2017 2:07 PM GMT

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मेरठ में गन्ना क्रय केन्द्रों पर घटतौली से किसानों की जेब पर डाका चीनी मिलों में कांटे से गन्ना तौलने में गड़बड़ी की जाती है।

किसानों को सरकारी तंत्र से लेकर गन्ना तौल लिपिक तक सब चूना लगाते हैं। जनपद में लगभग ज्यादातर शुगर मिल चल चुकी हैं। लेकिन शुरूआत में ही तौल लिपिकों ने घटतौली कर अपनी जेब गर्म करनी शुरू कर दी है। एक सेंटर पर प्रतिदिन 100 कुंतल गन्ने का हेर-फेर होता है। जिसका बंटवारा कर तौल लिपिक अपनी जेब भरते हैं। हस्तिनापुर क्षेत्र के दर्जनों किसानों इस बाबत मिल प्रबंधन से शिकायत भी की है।

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अधिकारी करते हैं अनसुना

किसानों की हमेशा से ही शिकायत रही है कि गन्ना खरीद केन्द्र उनके साथ घटतौती कर ज्यादती करते हैं। जब इस बात को अधिकारियों के सामने उठाया जाता है तो उसे अनसुना कर दिया जाता है। हस्तिनापुर ब्लॉक के गाँव कर्मचंदपुर निवासी हरीश भाटी (43 वर्ष) बताते हैं, "मेरे गाँव में गन्ना खरीद केन्द्र है, जिससे पांच गाँव जुड़े हैं। दिन और रात में मिलाकर दो तौल लिपिक की ड्यूटी रहती है। दोनों ही घटतौली कर अपना 70 से 100 कुंतल गन्ना बना लेते हैं।"

इकवारा गाँव के रमेश (54 वर्ष) बताते हैं, "गेट पर गन्ना ले जाने और सेंटर पर डालने में कम से कम तीन कुंतल का अंतर आता है। यह सब तौल लिपिक और मिल अधिकारियों में बंटता है। यह हाल केवल हस्तिनापुर ब्लाक नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इस तरह से किसान के मेहनत की कमाई पर डाका डाला जाता है।

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रजपुरा बी गन्ना खरीद मिल दौराला शुगर मिल के अंडर में आता है। माप तोल डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने छापा मारा था। वहां बड़े पैमाने पर घटतौली का खुला खेल जारी था। अधिकारियों को तीन टन पर 70 किलो का अंतर मिला।

गन्ना उत्पादन में यूपी इसलिए है आगे।

मवाना शुगर मिल के अंडर में आने वाले चौला ए गन्ना खरीद केंद्र पर बड़े पैमाने पर घटतौली का खेल सामने आया है। जिला मापतौल डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने जांच की तो 3 टन पर 60 किलो का अंतर देखने को मिला।

हर दिन 11 लाख कुंतल

अकेले मेरठ जनपद में गन्ना खरीद केन्द्रों की बात करें तो उनकी संख्या 510 हैं। 7500 टन गन्ने पर एक केन्द्र की स्थापना की जाती है। अगर सिघ्र पेराई सत्र की बात करें तो मेरठ के नवंबर और दिसंबर दो माह में हर दिन 11 लाख कुंतल इन केन्द्रों पर आता है। अगर बात किसानों को भुगतान की करें तो अगेती प्रजाति का रेट इस बार 325 रूपए तय हुआ है।

  • जिले में गन्ना खरीद केन्द्रों की संख्या 510
  • हर रोज सभी केन्द्रों पर 11 लाख कुंतल गन्ने की होती है तौल
  • हर केन्द्र पर औसतन दो हजार कुंतल की होती है तौल
  • हर केन्द्र पर कुल तौल के पांच फीसदी गन्ने का होता है हेर-फेर
  • एक केन्द्र पर किसानों को 100 कुंतल के हिसाब से 32500 रूपए का होता है नुकसान
  • बाट माप तौल के छापे में हुआ था खुलासा

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30 से 32 हजार रुपए की कमाई

गन्ना विभाग के अनुसार एक गन्ना खरीद केन्द्र पर रोजाना दो हजार कुंतल गन्ना तौला जाता है। जिसमें केन्द्रों के अधिकारी और कर्मचारी रोजाना लगभग 100 कुंतल गन्ने का हेर-फेर कर देते हैं। जिला मापतौल अधिकारी की माने तो कर्मचारियों के हाथों में डंडी होती है, जिसे वो कांटे में ऐसे मारते हैं, जिससे किसी को शक नहीं होता। यदि एक केन्द्र पर 100 कुंतल का टांका लग रहा है तो है तो उस केन्द्र से किसानों को 32500 रुपए का नुकसान रोज हो रहा है।

घटतौली की शिकायत हर साल रहती है, मिल प्रबंधन से बात कर कांटों की रूटीन चेकिंग शुरू कराई जाएगी। इसके अलावा बाट माप तौल विभाग भी समय-समय पर चेकिंग करता है।
हरपाल सिंह, गन्ना उपायुक्त, मेरठ

बाट माप तौल विभाग ने विधिक माप विधान अधिनियम 2009 की धारा 30 के अंतर्गत किसानों की शिकायत के बाद हस्तिनापुर ब्लॉक के सेंटर पर छापा मारा तो कलई खुलकर सामने आ गई। सैफपुर केन्द्र के कांटे में प्रति दो टन 30 किलो गन्ने का अंतर देखने को मिला।

बाट माप तौल निरीक्षक मनोज कुमार बताते हैं कि यदि उन्हे और सेंटर की शिकायत मिलेगी तो वो उसे भी चैक करेंगे। उन्होने पिछली बार नंगलामल शुगर मिल के कई सेंटर पर छापा मारा था। तो खामिया मिली थी।

      

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