प्रदूषण से मौतों में भारत पांचवें स्थान पर, एक साल में 25 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत

Astha SinghAstha Singh   5 Jun 2018 5:48 AM GMT

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प्रदूषण से मौतों में भारत पांचवें स्थान पर, एक साल में 25 लाख से ज़्यादा लोगों की मौतसाभार: इंटरनेट

लखनऊ। पर्यावरण का विगड़ना पूरे विश्व में चिंता का विषय बना हुआ है। प्लास्टिक कचरे का बढ़ना और पेड़ों का कम होना स्थिति को तेजी से भयावह बना रहे हैं। यही नहीं दुनिया भर में होने वाले पर्यावरण के प्रदूषण मौतों के मामले में भारत पांचवे नंबर पर है।

ये मौतें वायु, जल और अन्य तरह के प्रदूषण के कारण हुई हैं। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल, द लांसेट में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, दक्षिण पूर्व एशिया में साल 2015 में 32 लाख मौतें हुई हैं। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के इस आंकड़े में भारत भी शामिल है।

दुनियाभर में हुई करीब 90 लाख मौतों में से 28 प्रतिशत मौतें अकेले भारत में हुई हैं। यानी यह आंकड़ा 25 लाख से ज़्यादा है। प्रदूषण से होने वाली मौतें की लिस्ट में बांग्लादेश सबसे ऊपर है और उसके बाद सोमालिया का नंबर है। वहीं, चीन में ये प्रदूषण से होने वाली मौंतों का आंकड़ा 22 लाख रहा है जो इस सूची में 16वें स्थान पर है|

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निम्न आय वाले देशों में खराब स्थिति

निम्न और मध्यमवर्गीय आय वाले देशों में सबसे ज्यादा 92 प्रतिशत मौतें हुई हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में प्रत्येक चार में से एक से ज़्यादा मौत प्रदूषण के कारण हो रही है। सबसे ज्यादा ख़तरा वायु प्रदूषण से बताया गया है। वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या सबसे ज्यादा है|इससे करीब 65 लाख असमय मौतें हुई हैं जो कुल मौतों का दो-तिहाई हिस्सा है। इसमें बाहर से होने वाला प्रदूषण जैसे गैसें और घर में होने वाला प्रदूषण जैसे लड़की के जलने या चारकोल से होने वाला धुंआ, शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर मौतें प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों जैसे हृदय रोग, हृदयाघात और फेफड़ों के कैंसर से हुई हैं|इसके बाद जल प्रदूषण सबसे बड़ा ख़तरा रहा है. इससे 18 लाख मौतें हुई हैं।

विकसित देशों की स्थिति

विकसित देशों की बात करें तो ब्रिटेन में प्रदूषण के कारण 50 हजार मौतें हुई हैं। ब्रिटेन का 188 देशों की सूची में 55वां नंबर है। अमेरिका इस सूची में 54वें स्थान पर है. इस सूची में प्रदूषण से होने वाली सबसे कम मौतों में ब्रूनेई और स्वीडन का नाम शामिल है। इस अध्ययन के लेखक प्रोफेसर फिलिप लैंड्रिगन कहते हैं, ''प्रदूषण पर्यावरणीय चुनौती से कहीं ज्यादा है। यह एक गहन और व्यापक खतरा है जो मानव स्वास्थ्य और कल्याण के कई पहलुओं को प्रभावित करता है।

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कहाँ कितना प्रदूषण रहा

देश के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों का 2015 में वायु प्रदूषण का स्तर पीएम 10 (2) 268 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 168 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच रहा। इसमें 268 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ दिल्ली शीर्ष पर है। वहीं इसके बाद अन्य शहरों में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, इलाहाबाद, बरेली, कानपुर तथा हरियाणा के फरीदाबाद वहीं झारखंड के झरिया, रांची, कुसेंदा, बस्टाकोला और बिहार के पटना का प्रदूषण स्तर पीएम 10, 258 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।

दिल्ली में प्रदूषण

दिल्ली में प्रदूषण का मसला भी लगातार उठता रहा है|दिवाली के बाद होने वाले प्रदूषण को देखते हुए इस बार सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी. ये रोक 31 अक्टूबर तक जारी रहेगी|दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण हरियाणा और पंजाब में जलने वाला पुआल भी माना जाता है, जिस पर नियंत्रण के लिए इस बार कोशिशें की जा रही थीं|

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लखनऊ में प्रदूषण कि स्थिति

जहां गोंडा देश का सबसे ज्यादा गंदा शहर है तो वहीँ लखनऊ प्रदूषण के मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ता जा रहा है | लखनऊ के बढ़े प्रदूषण कि रिपोर्ट भारतीय विषविज्ञान अनुसन्धान(आईआईटीआर) ने जारी की थी जिसमें बताया गया था कि शहर में सबसे प्रदूषित जगह इंदिरानगर का इलाका है|

शहर के इन आवासीय इलाकों में हुआ सर्वे-

क्षेत्र पीएम 10 की मात्रा

  • अलीगंज 280.3
  • गोमतीनगर 298
  • इंदिरानगर 389
  • विकास नगर 266.5

राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक ने पीएम 10 का मानक 100 निर्धारित किया है

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह मानक-50 निर्धारित किया है

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पिछले साल से 50% कम प्रदूषण इस दीवाली रिकॉर्ड किया गया है| लोगों ने इस दिवाली कम पटाखे जलाए जिससे बहुत कम प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया है|
डॉ राम करन, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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