सौ करोड़ रुपए में काली नदी का पानी बनेगा अमृत 

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सौ करोड़ रुपए में काली नदी का पानी बनेगा अमृत काली नदी को साफ करने की कवायद शुरू।

जोगेन्द्र कुमार, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

मेरठ। अमृत योजना के तहत काली नदी को साफ करने की कवायद शुरू हो गई है। काली नदी में मिलने वाले शहर के नालों को एक जगह जोड़ा जाएगा। सभी नालों का दूषित पानी एसटीपी के माध्यम से शोधन होने के बाद ही नदी में डाला जाएगा। बताया गया कि अमृत योजना के तहत वर्तमान समय में शहर के सीवरेज सिस्टम को दुरुस्त करने की योजना तो है ही, साथ ही आने वाले समय में इससे गंगा को भी खासा फायदा होने की उम्मीद है।

महापौर हरिकांत अहलुवालिया बताते हैं, “अमृत योजना के तहत काली नदी के सुधार का खाका तैयार किया गया है। इसमें शहर के नालों के पानी को मशीनों द्वारा शुद्ध करके ही नदी में डाला जाएगा। काली नदी का अप्रत्यक्ष रूप से दूषित डिस्चार्ज गंगा में मिलता है, जिससे गंगा का पानी भी दूषित हो जाता है।”

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काली नदी के सुधार के लिए अब से पहले भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर कई विभागों ने काफी जतन किए, लेकिन जमीनी स्तर पर काली नदी की हालत आज भी जस की तस बनी हुई है। केन्द्र सरकार की अमृत योजना के तहत शहरों के सीवरेज सिस्टम को सुधारने के लिए 580 करोड़ का बजट तैयार किया गया। इसमें से करीब 100 करोड़ रुपए में काली नदी में गिरने वाले नालों की सेहत सुधारने के लिए रखे गए हैं। अफसर बताते हैं कि गंगा की सेहत सुधारने के लिए भी नमामि गंगे सहित कई प्रोजेक्ट संचालित हैं।

पूर्व में भी हो चुके हैं सुधार कार्य

गंगा की स्थिति सुधारने के लिए यह पहला जतन नहीं है। इससे पहले भी गंगा की सेहत सुधारने के लिए प्रयास किए जा चुके हैं। प्रदूषण बोर्ड, प्रशासन स्तर से काली नदी को सुधारने के लिए कवायद की जा चुकी है, लेकिन सरकारी तंत्र की कसरत का जमीनी स्तर पर कोई फायदा नहीं हुआ। इसी का नतीजा है कि गंगा एवं काली नदी के दूषित डिस्चार्ज में आज तक कोई फर्क सामने नहीं आया है। काली नदी में पिछले 20 वर्षों से वहीं गंदगी, वही बदबू और वही दूषित पानी बह रहा है। कई सामाजिक संगठनों ने भी काली नदी को साफ करने का दावा किया गया, लेकिन मौके पर कुछ नहीं हो पाया, बल्कि हालात और बद से बदतर हो गए।

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पर्यावरण को रहता है खतरा

जहां-जहां से गंगा निकल रही है, वहीं से गंदे पानी के नाले काली नदी के रास्ते गंगा में मिल जाते हैं। जिससे गंगा का पानी दूषित हो रहा है। मेरठ से बुलंदशहर तक करीब सात मुख्य नाले काली नदी में मिल रहे हैं। अधिकारियों ने समस्या के निदान के लिए डिटेल्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली है।

महापौर हरिकांत अहलुवालिया ने बताया अमृत योजना के तहत काली नदी के सुधार का खाका तैयार किया गया है। इसमें शहर के नालों के पानी को मशीनों द्वारा शुद्ध करके ही नदी में डाला जाएगा। काली नदी का अप्रत्यक्ष रूप से दूषित डिस्चार्ज गंगा में मिलता है, जिससे गंगा का पानी भी दूषित हो जाता है।

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