यूपी में 1000 पुरुषों पर 1017 महिलाएं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में लिंगानुपात बढ़ने पर सीएम योगी ने दी जनता को बधाई
उत्तर प्रदेश में प्रति 1000 पुरुषों पर 1017 महिलाएं हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2020-21 के मुताबिक पिछले 5 वर्षों में लिंगानुपात 995 से बढ़कर 1017 हो गया है।
गाँव कनेक्शन 25 Nov 2021 7:40 AM GMT
लखनऊ( उत्तर प्रदेश)। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 उत्तर प्रदेश के लिए राहत की खबर लेकर आया है। प्रदेश में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या बढ़ी है। प्रदेश में वर्ष 2015-16 के सापेक्ष लिंगानुपात 995 से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 1,017 हुआ है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिंगानुपात में बढ़ोतरी पर प्रदेश की जनता को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2020-21 की यह उपलब्धियां स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार तथा महिला सशक्तीकरण समेत जीवन की सुगमता के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सफलता का उदाहरण हैं।
राज्य सरकार ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्ष से अधिक की अवधि में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन तथा कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रयास सफल हुए हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2020-21 में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, 2015-16 के सापेक्ष राज्य के लिंगानुपात में प्रभावी वृद्धि हुई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2020-21 के अनुसार प्रदेश में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने वाले परिवारों तथा बेहतर सैनिटेशन सुविधा का उपयोग करने वाले परिवारों के प्रतिशत में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, 2015-16 में प्रदेश में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने वाले परिवारों का प्रतिशत 32.7 था, जो ताजा सर्वे में बढ़कर 49.5 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार, बेहतर सैनिटेशन सुविधा का उपयोग करने वाले परिवारों का प्रतिशत 36.4 से बढ़कर 68.8 प्रतिशत हो गया है। राज्य सरकार ने कहा यह राज्य सरकार द्वारा 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना'तथा 'स्वच्छ भारत मिशन'के प्रभावी क्रियान्वयन का भी असर है।"
यूपी में संस्थागत प्रसव भी बढ़ा
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा, "नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, 2015-16 में प्रदेश का टोटल फर्टिलिटी रेट 2.7 था, जो वर्तमान सर्वे में कम होकर 2.4 हो गया है। संस्थागत प्रसव 67.8 प्रतिशत से बढ़कर 83.4 प्रतिशत हो गया है। नवजात शिशु मृत्यु दर (एन0एन0एम0आर0) 45.1 प्रतिशत से कम होकर 35.7 प्रतिशत तथा शिशु मृत्यु दर (आई0एम0आर0) 63.5 प्रतिशत से घटकर 50.4 प्रतिशत रह गई है।"
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2020-21 के अनुसार गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से प्रभावित होने वाली महिलाओं की संख्या में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, 2015-16 की तुलना में 5.1 प्रतिशत की कमी आयी है, जो राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज हुई 1.8 प्रतिशत की कमी से अधिक है। इसी प्रकार, प्रदेश में बच्चों के वृद्धि अवरोध (स्टण्टिंग) के मामलों में 6.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज की गई कमी 2.9 प्रतिशत से अधिक है। राज्य में सामान्य से कम वजन के बच्चों के मामलों में 7.4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह कमी 3.7 प्रतिशत रही।
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— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) November 24, 2021
Union Health Ministry released the findings of NFHS-5 Phase-II today.https://t.co/jqyGXG7Bhk pic.twitter.com/jVqIvn69kJ
राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों में बढ़ा एनेमिया
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-21) के अनुसार ग्रामीण भारत में बाल पोषण संकेतकों में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन एनीमिया चिंता का विषय बना हुआ है। राजस्थान में स्टंटिंग एनएफएचएस-4 में 40.8% से घटकर एनएफएचएस-5 में 32.6% हो गई है। हालांकि, 72.4% ग्रामीण बच्चे एनीमिक हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 (2020-21) में 5 साल से कम उम्र के बच्चों के पोषण संकेतकों में मामूली सुधार दिखाया गया है - स्टंटिंग, वेस्टिंग और कम वजन वाले वर्ग के बच्चों में कमी आई है। हालांकि, ग्रामीण भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया में वृद्धि हुई है।
ग्रामीण भारत में, 2020-21 में 6-59 महीने के आयु वर्ग के 68.3 प्रतिशत बच्चे एनीमिक पाए गए। यह पिछले पांच वर्षों में 15 प्रतिशत की वृद्धि है। 2015-16 के दौरान जब पिछला एनएफएचएस-4 आयोजित किया गया था, तब 59.5 प्रतिशत बच्चे एनीमिक पाए गए थे। एनीमिया से पीड़ित बच्चे में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं होता है। हीमोग्लोबिन एक प्रकार का प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं को शरीर में अन्य कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाने की अनुमति देता है। बच्चों में एनीमिया को लेकर विस्तृत रिपोर्ट यहां पढ़ें
24 नवंबर को जारी किया गया था भारत की सेहत का रिपोर्ट कार्ड
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद कुमार पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने नई दिल्ली में भारत और 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (द्वितीय चरण के तहत क्लब) के लिए जनसंख्या, प्रजनन तथा बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण एवं अन्य पर प्रमुख संकेतकों के 2019-21 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) तथ्यपत्रक (फैक्टशीट) जारी किए हैं। चरण- II में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया, वे हैं अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, ओडिशा, पुद्दुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में एनएफएचएस-5 के निष्कर्ष दिसंबर, 2020 में जारी किए गए थे।
एनएफएचएस को लगातार कई दौरों में जारी करने का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा अन्य उभरते मुद्दों से संबंधित विश्वसनीय और तुलनात्मक डेटा प्रदान करना है। एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण कार्य देश के 707 जिलों (मार्च, 2017 तक) के लगभग 6.1 लाख नमूना परिवारों में किया गया है, जिसमें जिला स्तर तक अलग-अलग अनुमान प्रदान करने के लिए 724,115 महिलाओं और 101,839 पुरुषों को शामिल किया गया। एनएफएचएस-5 के सभी परिणाम मंत्रालय की वेबसाइट www.mohfw.gov.in पर सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं।
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