आतंकियों के निशाने पर इंडियन रेलवे, यूपी में पटरियों से फिर छेड़छाड़ की कोशिश

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आतंकियों के निशाने पर इंडियन रेलवे, यूपी में पटरियों से फिर छेड़छाड़ की कोशिशअकालतख्त एक्सप्रेस में तलाशी के दौरान एक पैकेट में सुतली बम, दो लाइटर और एक खत मिला। 

लखनऊ। बीते दो वर्षों से भारतीय रेलवे आतंकियों के निशाने पर रही है, जिसे वह बड़ी आसानी से निशाना बनाकर कई लोगों को मौत के घाट उतारने में कामयाब रहते हैं। रेल की पटरी को नुकसान पहुंचा इसे हादसे की शक्ल देना आतंकियों की नई रणनीति का हिस्सा है। बुधवार देररात अमेठी के पास अकालतख्त ट्रेन में सुतली बम का मिलना कुछ इसी तरह की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

पटरी काटने की पहली घटना यूपी की राजधानी लखनऊ से शुरू हुई थी, जहां मोहनलालगंज इलाके के कनकहा रेलवे स्टेशन के पास दो अक्टूबर 2015 को गांधी जयंती के दिन रेलवे लाइन की 50 सेंटीमीटर पटरी काट दी गई थी। इससे बड़ा रेल हादसा होते-होते बचा था। मोहनलालगंज क्षेत्र में ही 16 जनवरी को भी रेल की पटरी काटने का प्रयास किया गया था, लेकिन इसमें शरारतीतत्वों को कामयाबी नहीं मिली थी। इस घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे रेलवे के अधिकारी जांच में जुट गए थे और उस वक्त पुलिस अधिकारी इसे महज दहशत फैलाने का प्रयास भर बता रहे थे। इस मामले में रेलवे रिपोर्ट दर्जकर इसकी जांच कर रही थी।

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वहीं पिछले साल 20 नवम्बर को कानपुर के पुखरायां के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में 120 से ज्यादा लोग मारे गए थे। उसके कुछ दिन बाद 28 दिसम्बर को कानपुर से कुछ ही दूरी पर एक और रेलगाड़ी पटरी से उतर गई थी। इन दोनों घटनाओं के लिए पटरी चटकने को वजह माना जा रहा था पर जब मामले में तीन लोगों की संदेह के आधार पर गिरफ्तारी की गई तो पता लगा कि इसके पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ था। इसी तरह यूपी के संभल जिले में चंदौसी रेलवे स्टेशन के नजदीक चंदौसी-मुरादाबाद रेलमार्ग पर पटरी काटने की घटना से होने वाली एक बड़ी दुर्घटना गैंगमैन की सतर्कता के कारण टल गई थी। रेलवे गैंगमैन ने मोहम्मदगंज गाँव के पास रेल पटरी कटी देखी। इस बारे में उसने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी भी दी थी। पटरी करीब 32 मिलीमीटर तक काटी गई थी और उसे काटने में इस्तेमाल किया गया औजार भी पटरी के पास से ही बरामद किया गया था।

वरिष्ठ अधिकारी और फॉरेंसिक दल भी मौके पर पहुंचा था। मामले की जांच की जा रही है। वहीं कुछ माह पहले भी कानपुर शहर के बाहरी इलाके में मंधना रेलवे स्टेशन के पास भी कानपुर-फर्रुखाबाद रेलवे मार्ग पर मंधना और नारमऊ के बीच कुछ अज्ञात लोगों ने रेलवे पटरी के ‘पिनड्राल क्लिप’ खोल दी थी और पटरी को आरी से काटने की कोशिश की थी। आरी से पटरी काटे जाने की आवाज सुनकर रेलवे की गुजर रही गश्ती टीम वहां पहुंची तो अज्ञात लोग मौके से भाग निकले थे। इस घटना की सूचना पर पहुंची आरपीएफ ने बिठूर पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराकर जांच शुरू कर दी थी, जिस समय यह पटरी काटी जा रही थी उस समय किसी ट्रेन के गुजरने का समय नहीं था इसलिए एक बड़ा हादसा टल गया था।

रेल हादसों में लगातार बढ़ोत्तरी।

वहीं एक और घटना रेल पटरी काटने की रामपुर जिले में भी हुई थी, जहां राज्यरानी ट्रेन हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिए थे कि आखिर क्या वजह है कि उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक ट्रेन पटरियों से उतर रहीं हैं। जिस प्रकार यूपी में रेल हादसे हो रहे हैं वो कहीं न कहीं किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं।

ज्ञात है कि यूपी में रेल हादसे के लिए साजिश रचने के आरोप में एक शख्स शमसुल होदा को सुरक्षा एजेंसियों ने काठमांडू से गिरफ्तार किया था। दरअसल, बिहार पुलिस ने जनवरी में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ में खुलासा हुआ कि वे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर भारतीय रेलवे को निशाना बनाने का काम कर रहे थे। सुरक्षा एजेंसियों को इस बात के भी सबूत मिले हैं कि आईएसआई के इशारे पर दुबई में बैठकर भारतीय ट्रेनों को निशाना बनाने की साजिश रचने का कार्य चल रहा है, जिसमें यूपी उनका साफ्ट टारगेट है। जो इस बात का सबूत है कि उत्तर प्रदेश राज्य को निशाना बनाकर जिस प्रकार ट्रेनों को निशाना बनाया जा रहा है उसके पीछे एक संगठित नेटवर्क काम कर है।

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इस मामले में यूपी एटीएस के आईजी असीम अरुण ने बताया, “कानपुर रेल हादसा सहित अन्य रेलवे की पटरी काटने के मामलों की जांच चल रही है, जहां आतंकी गिरोह की तलाश जारी है, जो लगातार यूपी रेल हादसे को अंजाम देने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि अभी इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि अकालतख्त ट्रेन में सुतली बम रखने के पीछे आतंकी संगठन है, क्योंकि इसके पीछे कोई शरारतीतत्व भी हो सकता है।” उधर, अकालतख्त ट्रेन में विस्फोटक मिलने के मामले में एसपी जीआरपी सौमीत्र यादव ने बताया, “हावड़ा से अमृतसर जा रही अकालतख्त एक्सप्रेस में बम मिलने से हड़कंप मच गया। ट्रेन को अकबरगंज स्टेशन पर रोककर बम को डिफ्यूस किया गया। इस दौरान ट्रेन छह घंटे तक खड़ी रही। तलाशी में जीआरपी को एक पैकेट में सुतली बम और एक खत बरामद हुआ।”

रेलवे पुलिस के अनुसार, लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर राजकीय रेलवे पुलिस को कोलकाता से अमृतसर जा रही अकालतख्त एक्सप्रेस में बम होने की सूचना मिली थी। तलाशी के दौरान एक पैकेट में सुतली बम, दो लाइटर और एक खत मिला। खत में जम्मू-कश्मीर में गत एक अगस्त को मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादी अबू दुजाना की मौत का बदला लेने की बात कही गई है।

अपर पुलिस अधीक्षक बीसी दुबे ने बताया, “बम को निष्क्रिय कर दिया गया। उसके बाद ट्रेन अकबरगंज रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हो गई।” उन्होंने कहा कि बम को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

इसलिए है रेलवे सॉफ्ट टारगेट

रेल की पटरियों को काटने में ज्यादा लोगों की जरूरत नहीं पड़ती है। एक या दो मिलकर इस पूरी वारदात को अंजाम दे देते हैं। वहीं जिस प्रकार रामपुर के पास राज्यरानी ट्रेन और कानपुर के पुखरायां रेल हादसे को अंजाम दिया गया है उससे भी संदेह को और अधिक बल मिलता है, हो न हो इसके पीछे भी कोई न कोई देश विरोधी ताकत है, जो ऐसी घटना को अंजाम देकर निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारने का प्रयास कर रहा है। इस ओर खुफिया एजेंसी काफी समय से काम कर रही है, लेकिन उसे कोई महत्वपूर्ण कामयाबी अबतक नहीं मिल पाई है, जिससे वह इन साजिशों को आंतकी घटना से जोड़कर देख सके।

कानपुर का जाजमऊ इलाका बना आतंकियों का गढ़

पहले किसी भी आतंकी घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों की नजर यूपी के आजमगढ़ जिले की ओर रहती थी, लेकिन वक्त के साथ आतंकियों ने भी अपनी पनाहगाह बदल कर कानपुर बना ली है। इस बात की तस्दीक कुछ माह पहले कानपुर के जाजमाऊ से पकड़े गए आतंकियों ने कर दी है। भोपाल में गिरफ्तार तीन संदिग्ध आतंकियों में से दो कानपुर के निकले। लखनऊ में जिस आतंकी को 11 घंटे के ऑपरेशन के बाद मार गिराया गया वह भी कानपुर का रहने वाला था।

इन घटनाओं के बाद पुलिस ने शहरभर में कई स्थानों पर छापेमारी की, जहां जाजमऊ के ताड़बगिया से सगे भाइयों को गिरफ्तार किया गया। ज्ञात है कि भोपाल पैसेंजर ट्रेन में ब्लास्ट के मामले में एटीएस और पुलिस टीम ने केडीए कालोनी चकेरी में रहने वाले दानिश अख्तर, जाजमऊ निवासी आतिश मुज्जफर उर्फ अल कासिम और इन्द्रानगर अलीगढ़ में रहने वाले सैय्यद मीर हुसैन हम्जा को गिरफ्तार किया। दानिश से पूछताछ करने के बाद एटीएस भोपाल ने यूपी एटीएस को जानकारी दी, जिसके आधार पर ऑपरेशन चलाया गया और जाजमऊ ताड़बगिया से दानिश के सगे भाई फैसल और इमरान को गिरफ्तार कर लिया गया।

इन्हीं लोगों की निशानदेही पर लखनऊ काकोरी में आतंकी सैफुल्लाह उर्फ अली को जिंदा पकड़ने के लिए देररात तक एटीएस और पुलिस के 100 सुरक्षा जवान जुटे रहे। रात करीब 2.45 बजे सैफुल्लाह को मार गिराया गया था। सैफुल्लाह भी कानपुर के जाजमऊ इलाके का था।

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