विलुप्त हो चुकी कल्याणी नदी को मिल रहा जीवनदान, तटबंध पर राज्यपाल ने लगाए पौधे

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल आज नदी के तटबंध पर पौधारोपण करने के लिए पहुँचीं, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कल्याणी नदी के बारे में 'मन की बात' में कर चुके हैं जिक्र

Virendra SinghVirendra Singh   6 July 2020 11:16 AM GMT

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विलुप्त हो चुकी कल्याणी नदी को मिल रहा जीवनदान, तटबंध पर राज्यपाल ने लगाए पौधेबाराबंकी में कार्यक्रम के दौरान कल्याणी नदी के किनारे पौधा लगातीं राज्यपाल आनंदी बेन पटेल। फोटो : गाँव कनेक्शन

बाराबंकी। जिले में विलुप्त हो चुकी कल्याणी नदी को कोविड-19 महामारी के बीच नया जीवन मिला है। एक तरफ मनरेगा के तहत मजदूर नदी के पुनरोद्धार का काम कर रहे हैं दूसरी तरफ प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल आज नदी के तटबंध पर पौधारोपण करने के लिए पहुँचीं।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में बाराबंकी की कल्याणी नदी के बारे में उल्लेख किया था और मनरेगा के तहत मजदूरों को काम मिलने और उनसे नदी के पुनरुद्धार का काम होने से कल्याणी नदी के दिन बहुरने की बात कही थी।

कल्याणी नदी के किनारे पौधारोपण कार्यक्रम में पहुंची राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा, "एक तरफ आबादी बढती गयी और दूसरी तरफ अंधाधुंध पेड़ काट दिए गए। इसका सीधा असर पड़ा, वातावरण में ऑक्सीजन कम होने के साथ लोगों को बीमारियाँ घेरने लगीं, आज जब कोविड-19 महामारी के रूप में हमारे सामने आया तो फिर से हमें औषधि की याद आई, वे औषधि जो हमारी धरती पर आज भी उगती हैं।"

राज्यपाल ने कहा, "हमें बदलना होगा और हम लोगों को पेड़-पौधे लगाने होंगे, प्रदेश की योगी सरकार बधाई की पात्र है जिन्होंने पिछले वर्ष 2019 में 22 करोड़ पौधे लगाये थे और इस बार उससे भी ज्यादा 25 करोड़ पौधे लगाने का कार्य किया है। हमारे ऋषि-मुनियों ने हमेशा से पेड़-पौधों का महत्व समझा और आज हमें भी यह समझना होगा।"

पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों का अभिवादन करतीं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल। फोटो : गाँव कनेक्शन

बाराबंकी की कल्याणी नदी में लगातार नदी के पुनरोद्धार का कार्य जारी है। पहले चरण में मवैया गांव में 2600 मीटर तक नदी की खुदाई और चौड़ीकरण का कार्य पूरा होने के बाद अब द्वितीय चरण में ग्राम हैदरगंज में 1200 मीटर खुदाई और चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है।

इस दौरान राज्यपाल ने नदी के तटबंध पर वृक्षारोपण करने के साथ नदी के पुनरोद्धार कार्य का जायजा भी लिया। इसके अलावा राज्यपाल ने गांवों में सरकारी योजनों के क्रियान्वयन के बारे में भी आला-अफसरों से जानकारी ली। इस बीच राज्यपाल ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कार्य कर रही छह महिला समूहों के बेहतर कार्यों को लेकर उन्हें सम्मानित भी किया।

ऐसे बदलेगी कल्याणी नदी की सूरत

अभी तक कल्याणी नदी के तटबंध पर विभिन्न प्रजातियों के 1875 पौधे वन विभाग द्वारा रोपित किये गए हैं। साथ ही नदी के आस-पास के किसानों द्वारा 3125 पौधरोपण किया जाना प्रस्तावित है। किसानों की ओर से जो भी पौधे रोपित किये जायेंगे, उसके एवज में उन्हें प्रति पौधे के हिसाब से 180 रुपये देने का भी प्रावधान किया गया है।

'वृक्ष धरा के आभूषण हैं, इनके बिना जीवन अधूरा'

बाराबंकी से करीब 150 किलोमीटर दूर लखीमपुरखीरी के बिजुवा ब्लॉक के यूएस सेवा संस्थान मेड़ई पुरवा में सोमवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय अयोध्या के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित पौधारोपण करने के लिए पहुंचे।

इस मौके पर प्रो. दीक्षित ने कहा, "वृक्ष हमारी धरती के आभूषण हैं, इनके बिना जीवन अधूरा है, पेड़-पौधों से मनुष्य का हमेशा से बहुत गहरा नाता रहा है। यह हमारे सच्चे मित्र हैं। पेड़-पौधे हमसे कुछ न लेते हुए भी हमें बहुत कुछ देते हैं जो एक सच्चा मित्र ही कर सकता है।"

पौधारोपण कार्यक्रम के बाद आधुनिक विधि से खेती कर रहे किसानों के खेत देखे पहुंचे डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय अयोध्या के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित। फोटो : गाँव कनेक्शन

इससे पहले कुलपति प्रो. दीक्षित ने किसानों के साथ फार्म पर जैविक विधि से उगाई जा रहीं साग-सब्जियों के बारे में जानकारी हासिल की। इसके अलावा आधुनिक विधि से खेती कर रहे किसानों की फसलों का भी जायजा लिया और अन्य किसानों तक भी खेती की इन विधियों को उपयोग करने की सलाह दी।

कार्यक्रम में मौजूद कृषि विज्ञान केंद्र कटिया द्वतीय के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि किसान अगर फ़ायदे की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए बहुत जरूरी है कि खेती में आने वाली लागत कैसे कम की जाये, इस पर ध्यान देने की किसान को बहुत आवश्यकता है। यह तभी सम्भव होगा, जब किसान भाई रासायनिक खादों को छोड़ कर स्वयं देसी खाद का उपयोग करना सीखेंगे।

(रिपोर्टिंग सहयोग : बाराबंकी से दीपक सिंह और लखीमपुर खीरी से मोहित शुक्ला)

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