गोरखपुर : आठ साल बाद पैदा हुए थे जुड़वा बच्चे, डॉक्टरों की लापरवाही ने ली दोनों की जान

Ashutosh OjhaAshutosh Ojha   8 Sep 2017 3:58 PM GMT

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गोरखपुर : आठ साल बाद पैदा हुए थे जुड़वा बच्चे, डॉक्टरों की लापरवाही ने ली दोनों की जानब्रह्मदेव और उनकी मां अनारा। 

गोरखपुर। शादी के आठ साल बाद ब्रह्मदेव यादव के परिवार में दो जुड़वा बच्चे पैदा हुए। मगर बीती नौ-दस अगस्त को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत के मामले में ब्रह्मदेव अपने दोनों बच्चे हमेशा के लिए गवां बैठे।

गोरखपुर के बाघा गाढ़ा गाँव के रहने वाले ब्रह्मदेव के परिवार में बीती तीन अगस्त को ही आठ साल बाद जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया था। पेशे से किसान ब्रह्मदेव के परिवार में बच्चों की मौत के बाद मातम का माहौल है। आंखों में आंसू लिए ब्रम्हदेव की मां अनारा गुस्से से कहती हैं, “बीआरडी अस्पताल के डॉक्टरों ने हमारी दुनिया उजाड़ दी। मैं कभी अपने दुश्मन को ऐसे डॉक्टरों के पास नहीं भेजूंगी। दोनों बच्चों में कोई नहीं बचा।“

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गाँव कनेक्शन से बातचीत में ब्रह्मदेव रुंधे गले से बताते हैं, “7 अगस्त को दोनों बच्चों को अचानक बुखार आ गया। पहले दोनों बच्चों को लेकर गोरखपुर के ही एक अस्पताल में दिखाने ले गए। अस्पताल ने दोनों जुड़वा बच्चों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में रिफर कर दिया।“ वहीं, दादी अनारा बताती हैं, “जब हम बच्चों को बीआरडी ले गए तो वहाँ हमारे साथ बहुत अन्याय हुआ। कोई भी डॉक्टर हमसे सही से बात नहीं करता था। डॉक्टर ने दो बोतल खून भी माँगा।“ वो कहती है, “भला नार्मल पैदा हुए बच्चे को कोई खून चढ़ाता है।“

ब्रह्मदेव की शादी वर्ष 1999 में सुमन के साथ हुई थी। मगर शादी के 16 महीने बाद ब्रम्हदेव की पत्नी का पेट में पल रहा गर्भ गिर जाने से समस्याएं बढ़ गई। काफी इलाज के बाद आठ साल बाद उनके बीती तीन अगस्त को ब्रह्मदेव और सुमन के जुड़वा बच्चे हुए थे। पत्नी के नॉर्मल डिलीवरी होने पर वह जल्द अपने गाँव भी आ गए थे।मगर सात अगस्त को दोनों बच्चों को बुखार आने के बाद ब्रह्मदेव ने अंत में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था।

ब्रह्मदेव की मां अनारा बताती हैं, “हमारा एक बच्चा 9 अगस्त को खत्म हो गया और दूसरा बच्चा गैस ऑक्सीजन न मिलने की वजह से दस तारीख को ।अस्पताल में उन बच्चों से हमें मिलने भी नहीं दिया जा रहा था। मेरा बेटा-बहू दोनों अपने बेटे को ठीक से देख भी नहीं पाए।“ वह आगे कहती हैं, “जो बच्चे वहां उस वार्ड में भर्ती थे, वो बेड से गिर जाते थे। फिर उनको उठा कर बेड पर लिटाया जाता। ये देख के मैं चिल्लाने लगी तो डॉक्टर ने मुझे बाहर कर दिया गया था।“

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वहीं, दोनों मृतकों के चेचरे बावा साधू यादव कहते हैं, “सारे सपने इन डॉक्टरों ने तोड़ दिए। हमारी सारी खुशियाँ इन लोगों ने छीन ली।“ मृत बच्चों के चाचा प्रमोद का कहना है, “अस्पताल प्रशासन ने बताया ही नहीं। गैस न होने पर उन लोगों ने बच्चों को ऐसे ही छोड़ दिया था।“

इंसेफ्लाइटिस से पांच और बच्चों की मौत

गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में पिछले 48 घंटे के दौरान इंसेफ्लाइटिस की वजह से पांच और बच्चों की मौत हो गई। अपर निदेशक स्वास्थ्य कार्यालय से प्राप्त सूचना के मुताबिक 15 और 16 अगस्त को इंसेफेलाइटिस के कुल पांच मरीजों की मौत हो गई। इसके साथ ही इस साल मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस के कारण मरने वालों की संख्या बढकर 144 हो गई है। पिछले दो दिन के दौरान इंसेफेलाइटिस के 14 नए मरीज भर्ती किए गए।

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