जल्द ही यूपी के किसानों के चेहरे पर खिलेगी मुस्कान, जानिए क्यों

Rishi MishraRishi Mishra   26 May 2017 12:13 PM GMT

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जल्द ही यूपी के किसानों के चेहरे पर खिलेगी मुस्कान, जानिए क्योंखाद्यान्नों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी इस बार बेहतर होगी।

गाँव कनेक्शन

लखनऊ। खाद्यान्नों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी इस बार बेहतर होगी। उप्र सरकार की ओर से खरीफ और रबी के लिए नये सिरे से न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। धान और दलहन से जुड़ी फसलों के लिए किसानों को राहत देने वाला समर्थन मूल्य सरकार बहुत जल्द ही घोषित कर सकती है।

कृषि विभाग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि समर्थन मूल्य और किसान से फसल की खरीद का अनुपात बेहतर कर के लाभ दिया जाएगा। किसानों की आय को साल 2022 में दोगुना करने का लक्ष्य लेकर सरकार अब समर्थन मूल्य में किसानों को और बेहतर कमाई का अवसर देने की तैयारी कर रही है।

खरीफ 2017-18 की प्रमुख फसलों धान (सामान्य), धान (ग्रेड-ए), धान (बासमती), ज्वार, बाजरा, मक्का, उर्द, मूंग, अरहर, मूंगफली, सोयाबीन, तिल एवं रबी 2017-18 (विपणन वर्ष 2018-19) की प्रमुख फसलों गेहूँ, जौ, चना, मदर, मसूर, लाही-सरसों की भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा करने के लिए प्रदेश की संस्तुति जल्द ही केंद्र सरकार को भेजी जाएगी।

प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, की अध्यक्षता में गठित मूल्य परामर्शदात्री परिषद की इस संबंध में एक बैठक हो चुकी है। निदेशक परिषद द्वारा इस प्रकार से प्रदेश स्तर पर आकलित की गयी खरीफ तथा रबी की प्रमुख फसलों के प्रति कुंतल संस्तुत मूल्यों को अनुमोदन दे दिया गया है। जल्द ही केंद्र सरकार नये समर्थन मूल्य की घोषणा करेगा। राज्य सरकार की ओर से केंद्र से अनुरोध किया गया है कि, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य राज्य की संस्तुतियों के अनुरूप घोषित किये जायें ताकि प्रदेश के कृषकों को उनकी फसलों के लाभकारी मूल्य प्राप्त हों।

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समर्थन मूल्य और बेहतर तरीके से खरीद की होगी व्यवस्था

कृषि विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिस औसत से पूर्व में समर्थन मूल्य बढ़ता था। उससे बेहतर औसत लेते हुए किसान को दाम मिलेंगे। जिससे उसका थोड़ा फायदा होगा। इसके बाद में क्रय केंद्रों और अन्य सरकारी एजेंसियों के जरिये बेहतर खरीद का फारमूला तैयार है।जिसमें सरकार अधिक से अधिक खाद्यान्न खरीदेगी। जिससे किसानों को बाजारों में भी अच्छा भाव मिलेगा और उसकी आय बढ़ेगी।

सरकार किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है। इसलिए इस बार धान और अन्य खाद्यान्नों के लिए केंद्र सरकार से कोआर्डिनेट कर के बेहतर समर्थन मूल्य तय किये जाएंगे। इसके बाद में अनाज के क्रय के लिए अच्छी व्यवस्था होगी। सरकार अधिक से अधिक उपज खरीदेगी।
ज्ञानचंद सिंह, निदेशक, कृषि विभाग उप्र

मगर किसान संघों की मांग के अनुरूप नहीं बढ़ा सकते समर्थन मूल्य

किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शेखर दीक्षित का कहना है कि धान का समर्थन मूल्य 1800 रुपए, गेहूं समर्थन मूल्य 2100 रुपए और गन्ने का समर्थन मूल्य 425 रुपए से कम नहीं होना चाहिये। पहले वेतन आयोग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की सेलरी 22 रुपए थी, जबकि सातवें वेतनमान के हिसाब से 21000 रुपए है। इस हिसाब से प्रत्येक वेतन आयोग में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। मगर सरकार किसान के लिए समर्थन मूल्य बढ़ाने में कंजूसी करती है। दूसरी ओर राज्य के कृषि निदेशक ज्ञान सिंह का स्पष्ट कहना है कि किसानों के लिए समर्थन मूल्य बहुत अधिक बढ़ा देना संभव नहीं है। समर्थन मूल्य बहुत अधिक होने का सीधा नुकसान आम जनता के सामने महंगाई के तौर पर आता है। बाद इस महंगाई का सबसे बड़ा शिकार खुद किसान होता है।

अरहर का रखेंगे खास ख्याल

राज्य सरकार की ओर से खरीफ तथा रबी की दलहनी फसलों को भारत सरकार के एजेन्सियों के माध्यम से सम्बन्धित विभागों द्वारा समय से क्रय करने पर विचार करने के लिए निर्देशित किया गया। ताकि दलहनी फसलों के उत्पादक प्रदेश के कृषकों को भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्यों के नीचे की मूल्य पर अपनी दलहनी फसलों विशेष रूप से फसल अरहर को बेचने के लिए विवश न होना पड़े। अगर सरकार की इच्छा के अनुरूप अरहर का क्रय केंद्रीय एजेंसियों ने किया तो देश में अरहर के दाम नहीं बढ़ेंगे।

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