विकास से कोसों दूर भरावन
Swati Shukla 6 July 2016 5:30 AM GMT
हरदोई। भले ही सरकार यह कह रही हो कि मनरेगा के तहत बहुत से गरीब लोगों को रोजगार मिल रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। 20 हजार जनसंख्या की अबादी वाले भरावन ग्राम पंचायत में पिछले छह सालों से मनरेगा के तहत कोई काम नहीं किया गया है। जल संरक्षण योजना के तहत एक भी तालाब नहीं खोदे गए हैं। ग्राम पंचायत के बहुत से तालाबों पर गाँव वालों ने कब्जा कर रखा है।
जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर गाऊखेड़ा गाँव के रहने वाले लालदास (60 वर्ष) बताते हैं, “सिंचाई की गाँव में कोई सुविधा नहीं है। अब विधायक ने तीन ट्यूबवेल बनवाएं हैं, पर नाली अभी तक नहीं बन पाई है। एक सरकारी ट्यूबवेल है, जिससे गाँव भर के लोगों को पानी पूरा नहीं पड़ता है। जब सिंचाई करते हैं तो तालाब भी भरवा देते हैं।”
जहां पर एक ओर गाँवों के विकास लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है वहीं अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये योजनाएं कागज पर ही सिमट गयी हैं। ग्राम पंचायत भरावन में 12 मजरे आते हैं, जहां पर विकास का कोई कार्य नहीं हो रहा है। सरकारी कागजों के आधार पर यहां 58 तालाब है, लेकिन असलियत में 25 तालाब दिखते हैं, उनमें भी पिछले कई सालों से पंचायत के द्वारा कभी पानी नहीं भराया गया है। इन गाँवों में सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है। एक माइनर है, लेकिन उसकी कभी सफाई नहीं हुई है।
बनी गाँव में रहने वाले अंश सिंह 43 वर्ष बताते हैं, “गाँव की जनसंख्या बहुत ज्यादा है और सबके पास जानवर हैं और पानी निकास नहीं है, नाली जबसे बनी है तब से सफाई नहीं हुई है। गाँव में गन्दगी बहुत है। आठ साल हुई गैय हैं, कोई सफाई करेय नयै आवा है।
सुखलाल शुक्ला (74 वर्ष) भरावन के रहने वाले हैं। वह बताते हैं, “गाँव में मच्छरों का आंतक है, अभी तक छिड़काव नहीं हुआ है। पूरे गाँव में कूड़े के ढेर लगे हैं। बरसात में पानी सड़कों पर भरा रहता है। आसपास पानी निकास की कोई जगह नहीं है, इसकी वजह से पानी में मच्छर पैदा हो रहे हैं।”
More Stories