अयोध्या में सरयू खतरे के निशान से ऊपर, साधु तटों से हटने को तैयार नहीं

Update: 2017-07-06 23:59 GMT
अयोध्या में सरयू नदीं ऊफान पर।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

अयोध्या (फैजाबाद)। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में हो रही भारी बरसात से सरयू नदी के किनारे बसे लोगों व साधु-संतों को बाढ़ व नदी के किनारे हो रहे कटान के आपदा से लड़ना पड़ रहा है। ऐसे में अयोध्या सरयू नदीं के किनारे बसें मधुकरी संत व तीन बर्ष पहले नेपाली बाबा के आश्रम पर कटान का खतरा बढ़ गया है। जिसके बचाव के लिए प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा हैं, लेकिन संत आश्रम से न हटने की जिद्द पर अड़े हैं।

धार्मिक नगरी अयोध्या में सरयू किनारे कुटिया बनाकर रहने वाले दो दर्जन से अधिक संतों द्वारा सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर के बावजूद अपना आश्रम न छोड़ने और जलसमाधि ले लेने की चेतावनी के बाद जिला प्रशाशन हरकत में आ गया है। संतों द्वारा दी गयी चेतावनी के बाद नारायण धाम संतों को मनाने जिले के अधिकारी पहुंच रहे हैं। एडीएम सिटी विंध्यवासिनी राय, एसपी सिटी अनिल सिदौदिया, रेजिडेंट मजिस्ट्रेट अशोक कुमार, बाढ़ नियंत्रण प्रभारी व अधिशासी अभियंता जेपी यादव समेत वर्तमान विधायक वेद गुप्ता आश्रम पहुंचे। इन्होंने सरयू नदी की बढ़ रही कटान का निरीक्षण किया और आश्रम के संतो को वहां से हटने का भी निवेदन किया।

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निरीक्षण में अधिकारियों ने बताया कि काफी तेजी से कटान हो रही है। 2 दिन के अंदर लगभग 40 फुट से अधिक कटान हो चुकी है। अब स्थान से मात्र 40 मीटर दूरी तक ही कटान रह गया है। वहीं, संतों का कहना है कि हमने पहले ही प्रशासन से मदद मांगी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुयी।

नेपाली बाबा व अन्य संत जल समाधि लेने पर अड़े

फैजाबाद गोरखपुर हाइवे के किनारे सरयू नदी के कछार में बीते 3 वर्षों से रहने वाले नेपाली बाबा के शिष्य संतो ने अपना आश्रम नहीं छोड़ा है। कटान के कारण इन संतो के आश्रमों पर खतरा मंडरा रहा है। बावजूद साधु संत कह रहे हैं कि वह अपना आश्रम छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे, भले ही उन्हें जल समाधि लेनी पड़े। सीताराम ‘नारायण धाम आश्रम’ के नाम से आश्रम बनाकर 2 दर्जन से अधिक साधु-संत सरयू तट के किनारे रह रहे हैं ।

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वही, बाढ़ नियंत्रण अधिशासी अभियंता जेपी यादव ने बताया की इस वर्ष पानी की क्षमता अगले वर्ष से कम है, लेकिन पानी की रफ्तार और क्षमता कम होने से यहां लगातार कटान होता जा रहा है। 6 दिनों में सरयू नदी में हो रहे कटान की रफ्तार तेज हो गई है। इसके लिए अपने उच्च अधिकारियों को सूचित कर बंधे पर बसे गांव को सुरक्षित करने के जल्द से जल्द उपाय किये जा रहे हैं।

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