मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा उत्तर प्रदेश, मछली पालन की तरफ बढ़ रहा है युवाओं का रुझान
Divendra Singh | Sep 09, 2021, 14:55 IST
मत्स्य विभाग और सरकारी योजनाओं की मदद से उत्तर प्रदेश में मछली का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, पिछले साल के मुकाबले में यहा पर मछली का उत्पादन काफी बढ़ गया है। तभी तो मत्स्य योजनाओं के संचालन के बजट दोगुना हो गया है।
पिछले कुछ वर्षों में मछली पालन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने एक नया मुकाम हासिल किया है, इससे न केवल मछली पालन से पहले से जुड़े लोगों को फायदा हो रहा है, बल्कि नए लोग भी मछली पालन के व्यवसाय से जुड़ रहे हैं।
यूपी के महाराजगंज जिला मुख्यालय से निचलौल ब्लॉक मुख्यालय तक जाने वाले मुख्य मार्ग पर बरोहिया गाँव में मेधा मत्स्य प्रजनन केंद्र चलाने वाले डॉ संजय श्रीवास्तव भी उन्हीं में से एक हैं। वैसे तो संजय श्रीवास्तव ने साल 1992 में पट्टे पर करीब डेढ़ हेक्टेयर के सरकारी तालाब और 23,000 रुपए की सरकारी मदद के साथ साल 1990 में उन्होंने मछली पालन की शुरूआत की थी, लेकिन आज वो जिले ही नहीं प्रदेश के बड़े मछली पालकों में से एक हैं।
मछली पालन के बारे में संजय श्रीवास्तव गांव कनेक्शन से बताते हैं, "मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिससे शायद ही किसी को नुकसान होता हो। लेकिन पिछले कुछ सालों में मछली पालन के क्षेत्र में यूपी काफी आगे बढ़ रहा है, तभी तो अब युवा भी इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं।"
महाराजगंज जिले में संजय श्रीवास्तव का फिश फार्म। फोटो: दिवेंद्र सिंह वो आगे कहते हैं, "मछली पालन विभाग की कई योजनाओं का लाभ लेकर हमने अपना व्यवसाय बहुत आगे बढ़ा लिया है, पहले हमें बाहर से मछली के सीड मंगाने पड़ते थे, लेकिन अब हम खुद की हैचरी में सीड तैयार करते हैं, जो हमारे तो काम आता ही है, साथ ही दूसरे मछली पालक भी यहां से ले जाते हैं।"
मछली पालन के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए संजय श्रीवास्तव को कई बार राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला स्तर पर सम्मानित किया गया है। मछली पालन के फायदें गिनाते हुए संजय कहते हैं, "कोविड के दौरान जब दूसरे व्यवसाय में लोगों को नुकसान उठाना पड़ा था, उस समय भी मछली पालन का व्यवसाय अच्छा चलता रहा।"
मत्स्य विभाग की ओर आर्थिक रूप से कमजोर मत्स्य पालकों को आवास के साथ समय पर मत्स्य बीज उपलब्ध करा उनकी आमदनी बढ़ाने काम किया जा रहा है। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की शुरूआत की है। इसे आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत साल 2020-21 से साल 2024-25 तक सभी प्रदेशों और संघ शासित राज्यों में लागू करना है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 योजनाओं के संचालन के लिए 105.24 करोड़ रुपए का बजट का प्राविधान था, जो वित्तीय 2021-22 में बढ़ा कर 271.03 करोड़ रुपए का कर दिया गया है। फोटो दिवेंद्र सिंह
योजना के तहत सामान्य वर्ग के लोगों की कुल इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को अधिकतक 60 प्रतिशत अनुदान राशि डीबीटी के माध्यम से दी जाती। इसमें सामान्य वर्ग के 60 प्रतिशत अंश और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को 40 प्रतिशत अंश खुद से या फिर किसी बैंक से लोन लेकर देना होता है। लाभार्थियों को देय अनुदान की धनराशि दो या तीन किश्तों में दी जाती है।
गाजियाबाद के रजनीश कुमार ने भी साल 2018 में मत्स्य विभाग की मदद से मछली पालन की शुरूआत की है, आज वो 100 एकड़ में फंगेशियस और रोहू जैसी मछलियां पाल रहे हैं।
रजनीश बताते हैं, "साल 2018 में मैंने पांच एकड़ तालाब में मछली पालन शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे इसे बढ़ाता गया और 100 एकड़ जमीन पर मछली पालन की शुरूआत कर दी है। 50 एकड़ सरकारी जमीन भी पट्टे पर ली है।"
वो आगे कहते हैं, "मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें किसान को नुकसान नहीं होगा, मार्केटिंग में परेशानी नहीं होती है, व्यापारी यहां से मछली ले जाते हैं,, नहीं तो हम लोग नोएडा मंडी ले जाते हैं।"
निदेशक मत्स्य एसके सिंह के मुताबिक विभाग की ओर से मछली पालकों की आमदनी बढ़ाने का काम किया जा रहा है। मछली पालकों को अधिक सुविधाएं देने के लिए बजट में दोगुना बढ़ोत्तरी कर दी गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 योजनाओं के संचालन के लिए 105.24 करोड़ रुपए का बजट का प्राविधान था, जो वित्तीय 2021-22 में बढ़ा कर 271.03 करोड़ रुपए का कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि मत्स्य बीज उत्पादन में रिकार्ड बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 6.28 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर से मत्स्य बीज उत्पादन किया जा रहा है। इससे प्रदेश के बाहर भी मेजर कार्प मत्स्य बीज के निर्यात में बढ़ोत्तरी हुई है।
आसिफ ने एक तालाब से शुरूआत की थी, आज कई सारे तालाबों में मछली पालन कर रहे हैं। सभी फोटो: दिवेंद्र सिंह लखनऊ के मोहम्मद आसिफ भी पिछले कुछ वर्षों से मछली पालन कर रहे हैं, उनका फार्म बाराबंकी देवां में स्थित है। आसिफ बताते हैं, "शुरूआत मैंने एक एकड़ से की थी लेकिन आज छह एकड़ में मछली पालन शुरू कर दिया है। एक एकड़ में लगभग एक लाख मछलियां डालता हूं, जो कुछ महीनों में तैयार हो जाती हैं। विभाग की तरफ से सौर ऊर्जा के लिए सब्सिडी मिली है।"
सरकार की नीतियों के चलते भारत सरकार की ओर से अन्तरर्थलीय मात्स्यिकी के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ राज्य घोषित करते हुए दस लाख रूपए का पुरस्कार दिया गया है।
यूपी में पूर्वांचल के जिलों में मछली उत्पादन का क्षेत्र बढ़ा है। साल 2020-2021 प्रदेश में लगभग 7.46 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ जिसमें से पूर्वांचल में 47%, मध्यांचल में 21%, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 18% और बुंदेलखंड में 14% मछली का उत्पादन हुआ।
प्रदेश में वर्ष 2019-20 में जहां मछली उत्पादन 30,526 टन था यह 2020-21 में 11 फीसद बढ़कर 34,874 टन हो गया है।
मएक एकड़ फार्म में 20- 25 टन मछली का उत्पादन हो रहा है। पंगेसियस में उत्पादन लागत ज्यादा होती है, क्योंकि यह केवल फार्मुलेटेड फ्लोटिंग फीड (सतह पर तैरने वाले कंपनी निर्मित) ही खाती हैं, जिसकी कीमत ज्यादा है, लेकिन इसका वजन बहुत जल्दी बढ़ता है बाजार में इसकी मांग भी अच्छी रहती है।
शुरू हुआ झींगा पालन
विभाग के मुताबिक मथुरा व अलीगढ़ जनपदों में खारे पानी के कारण अनुपयोगी भूमि को खारे पानी की झींगा प्रजाति की फार्मिंग में प्रयोग किया जा रहा है। जो काफी कामयाब साबित हुई है। इसके अलावा गंगा यात्रा कार्यक्रम एवं नमामि गंगे के अन्तर्गत गंगा नदी के विभिन्न स्थलों पर केन्द्रीय संस्थाओं के माध्यम से देशी मेजर कार्प मत्स्य प्रजातियों के मत्स्य बीजों को प्रवाहित कर रिवर रैचिंग का काम किया जा रहा है।
विभाग की ओर से 2881 आर्थिक रूप से कमजोर पालकों को मछुआ आवास उपलब्ध करा चुकी जबकि आत्मनिर्भर अभियान के तहत 7883 मत्स्य पालकों को 6972.08 लाख रुपए के किसान क्रेडिट काड दिए गए हैं।
यूपी के महाराजगंज जिला मुख्यालय से निचलौल ब्लॉक मुख्यालय तक जाने वाले मुख्य मार्ग पर बरोहिया गाँव में मेधा मत्स्य प्रजनन केंद्र चलाने वाले डॉ संजय श्रीवास्तव भी उन्हीं में से एक हैं। वैसे तो संजय श्रीवास्तव ने साल 1992 में पट्टे पर करीब डेढ़ हेक्टेयर के सरकारी तालाब और 23,000 रुपए की सरकारी मदद के साथ साल 1990 में उन्होंने मछली पालन की शुरूआत की थी, लेकिन आज वो जिले ही नहीं प्रदेश के बड़े मछली पालकों में से एक हैं।
मछली पालन के बारे में संजय श्रीवास्तव गांव कनेक्शन से बताते हैं, "मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिससे शायद ही किसी को नुकसान होता हो। लेकिन पिछले कुछ सालों में मछली पालन के क्षेत्र में यूपी काफी आगे बढ़ रहा है, तभी तो अब युवा भी इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं।"
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मछली पालन के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए संजय श्रीवास्तव को कई बार राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला स्तर पर सम्मानित किया गया है। मछली पालन के फायदें गिनाते हुए संजय कहते हैं, "कोविड के दौरान जब दूसरे व्यवसाय में लोगों को नुकसान उठाना पड़ा था, उस समय भी मछली पालन का व्यवसाय अच्छा चलता रहा।"
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मिल रही मदद
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योजना के तहत सामान्य वर्ग के लोगों की कुल इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को अधिकतक 60 प्रतिशत अनुदान राशि डीबीटी के माध्यम से दी जाती। इसमें सामान्य वर्ग के 60 प्रतिशत अंश और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को 40 प्रतिशत अंश खुद से या फिर किसी बैंक से लोन लेकर देना होता है। लाभार्थियों को देय अनुदान की धनराशि दो या तीन किश्तों में दी जाती है।
गाजियाबाद के रजनीश कुमार ने भी साल 2018 में मत्स्य विभाग की मदद से मछली पालन की शुरूआत की है, आज वो 100 एकड़ में फंगेशियस और रोहू जैसी मछलियां पाल रहे हैं।
रजनीश बताते हैं, "साल 2018 में मैंने पांच एकड़ तालाब में मछली पालन शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे इसे बढ़ाता गया और 100 एकड़ जमीन पर मछली पालन की शुरूआत कर दी है। 50 एकड़ सरकारी जमीन भी पट्टे पर ली है।"
Huge water body of 50 acre in the name of Mussorie Jheel in district Ghaziabad will be one of the upcoming fisheries site in U.P. for fish farming, solar system, recreation & tourist. Development work at full swing (day time view).
Pics by- PVR Aqua, Ghaziabad.#upfisheries pic.twitter.com/sDHkmvyKqW
— Fisheries Department, U.P. (@FDepar2) April 20, 2021
मत्स्य विभाग ने बढ़ाया योजनाओं का बजट
उन्होंने बताया कि मत्स्य बीज उत्पादन में रिकार्ड बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 6.28 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर से मत्स्य बीज उत्पादन किया जा रहा है। इससे प्रदेश के बाहर भी मेजर कार्प मत्स्य बीज के निर्यात में बढ़ोत्तरी हुई है।
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मछली पालन के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार
पूर्वांचल में बढ़ा है मछली उत्पादन
Regionwise status of fish production in 2020-2021 of Uttar Pradesh.
Total Fish Production:- 7.46 LakhMT
1- Eastern (Porvancha)l- 47%
2- Central (Madhyanchal)- 21%
3- Western (Paschimanchal)- 18%
4- Bundelkhand- 14%#PMMSY#upfisheries@nfdbindia @FisheriesGoI pic.twitter.com/cQPdm9NgKg
— Fisheries Department, U.P. (@FDepar2) August 18, 2021
रोहू, कतला सहित कई दूसरी प्रजाति की मछलियों का पालन
Fish productivity (in ton/ha) of different waterbodies of U.P. reported in the year 2020-21. It shows water resources are under exploited when compare to its potential. Rivers, reservoirs, wetlands, flood plains etc. requires major attention.#upfisheries@nfdbindia @FisheriesGoI pic.twitter.com/RQP9Qo3xKm
— Fisheries Department, U.P. (@FDepar2) August 22, 2021
विभाग के मुताबिक मथुरा व अलीगढ़ जनपदों में खारे पानी के कारण अनुपयोगी भूमि को खारे पानी की झींगा प्रजाति की फार्मिंग में प्रयोग किया जा रहा है। जो काफी कामयाब साबित हुई है। इसके अलावा गंगा यात्रा कार्यक्रम एवं नमामि गंगे के अन्तर्गत गंगा नदी के विभिन्न स्थलों पर केन्द्रीय संस्थाओं के माध्यम से देशी मेजर कार्प मत्स्य प्रजातियों के मत्स्य बीजों को प्रवाहित कर रिवर रैचिंग का काम किया जा रहा है।