जन्म के छह महीने के बाद लगवाएं ज्वर टीका, सूकरों को कभी नहीं होगा 'सूकर ज्वर' 

Diti BajpaiDiti Bajpai   1 April 2018 5:36 PM GMT

जन्म के छह महीने के बाद लगवाएं ज्वर टीका, सूकरों को कभी नहीं होगा सूकर ज्वर सूकर फीवर एक विषाणु जनित रोग है

सूकरों में होने वाली बीमारी 'सूकर ज्वर' सबसे खतरनाक बीमारी है। यह बहुत तेजी से एक जानवर से दूसरे जानवरों में तेजी से फैलती है जिससे मृत्युदर बढ़ जाती है। इस बीमारी से सूकरों को बचाने के लिए भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने स्वाइन फीवर वैक्सीन तैयार की है।

"सूकर फीवर एक विषाणु जनित रोग है। यह बीमारी बहुत जल्दी फैलती है, जिससे पशुपालक को काफी नुकसान होता है। ज्यादातर पशुपालक इसके लक्षण नहीं समझ पाते है। इसी को देखते हुए इस वैक्सीन को तैयार किया गया। इस वैक्सीन को जन्म के छह महीने बाद अगर पशुपालक लगवा लें तो ये बीमारी नहीं होती है, "ऐसा बताते हैं, भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एके तिवारी।

ये भी पढ़ें- सूकर पालन से सलाना कर रहे लाखों की कमाई

इस बीमारी के लक्षणों के बारे में डॉ. तिवारी बताते हैं, "आमतौर पर सूकरों के शरीर का तापमान 101 डिग्री सेल्सियस होता है। लेकिन जब बीमारी का संक्रमण होता है तो शरीर का तापमान 106 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। सूअर खाना नहीं खाता है और काफी कमजोर भी हो जाता है। शरीर चकत्ते पड़ जाते है। अगर ये लक्षण दिखें तो पशुचिकित्सक की सलाह से एंटीबायोटिक दिलाएं बुखार कम करने की दवा दिलवाएं। इसके साथ विटामिन का सप्लीमेंट देना चाहिए ताकि शरीर में ताकत आ जाए।"

सूकर ज्वर बीमारी का कोई समय नहीं होता है। यह सूकरों को कभी भी हो सकती है। किसी भी उम्र में हो जाती है। इसलिए शुरूआत में ही पशुपालक को टीकाकरण करा लेना चाहिए। अगर किसी गार्भित सूकर को यह बीमारी होती है तो वो बच्चे भी मर जाते है।

ये भी पढ़ें- सूकर पालन व्यवसाय से खुद के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी बना रही आत्मनिर्भर

लक्षण

  • सूकरों को तेज बुखार।
  • साँस लेने में कठिनाई।
  • बरताव बदल जाता है।

ये भी पढ़ें- सूकर पालन शुरू कर बनाई पहचान

उपचार

  • सूकरों को साफ और ताजा पानी दें।
  • इस बीमारी से ग्रसित सूकर को स्वस्थ सूकरों से अलग रखें।
  • उनके बाड़े में साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • उनका अच्छे से रख-रखाव करें।
  • बीमारी होने पर पशुचिकित्सक को संपर्क करें।

ये भी पढ़ें- आईवीआरआई ने पशुपालकों के लिए बनाए दो एप्स, आठ भाषाओं में मिलेगी जानकारी

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.