लॉकडाउन: सब्जी की कीमतों में भारी गिरावट, एक रुपए किलो बिक रहा टमाटर, दो रुपए में प्याज

लॉकडाउन की वजह से मंडियों में सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट आई है। इसका सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है। वहीं व्यापारियों का कहना है कि मांग घटने की वजह से भाव नीचे आ रहा है।

Mithilesh DharMithilesh Dhar   25 May 2020 1:45 PM GMT

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Lockdown impact, vegetables, vegetable price, farmers, National lockdown, COVID-19 impact, Wholesale vegetable prices Lockdown Effect on vegetable prices, COVID-19 lockdown, Demand for vegetables in India, Wholesale veggie prices crashमंडियों में अमाटर और प्याज की कीमतों में गिरावट से किसानों का नुकसान हो रहा है।

देश की मंडियों में सब्जियों के थोक भाव में काफी गिरावट आई है। राजधानी नई दिल्ली में टमाटर की कीमत जहां एक से दो रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है तो वहीं प्याज दो से तीन रुपए प्रति किलो में बिक रहा है। दूसरी सब्जियों की कीमतों में भी 50 से 60 फीसदी तक की गिरावट आई है।

नई दिल्ली की आजादपुर में मंडी में टमाटर की कीमत एक रुपए तक पहुंच गई है। कम कीमत से मिलने से नाराज एक किसान ने शनिवार को टमाटर मंडी में फेंक दिया जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

आजादपुर मंडी में ही सब्जी आढ़ती मोहम्मद आरिफ ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "सब्जियों की मांग बहुत कम हो गई है। इसी कारण टमाटर का भाव एक रुपए प्रति किलो तक तो पहुंच गया है है, दूसरी सब्जियों की कीमत भी बहुत कम हो गई है।"

"थोक के हिसाब से तोरई की कीमत चार से पांच रुपए प्रति किलो है जो पिछले महीने 12-13 रुपए किलो थी। इसी तरह घीया आठ-नौ रुपए से कम होकर दो से तीन रुपए प्रति किलो पहुंच गया है। प्याज की कीमत भी दो से तीन रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। मांग में लगातार गिरावट आ रही है। टमाटर तो एक-दो रुपए किलो में भी कोई नहीं खरीदने वाला नहीं है। रोज फेंकना पड़ रहा है। जब हम खुद नहीं बेच पाएंगे तो खरीदेंगे कैसे।" आरिफ आगे कहते हैं।

आंध्र प्रदेश के चीत्तूर जिले की मदनपल्ली मंडी महाराष्ट्र नासिक के पिपलगांव के बाद देश में टमाटर की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है। यहां भी टमाटर की कीमत बहुत तेजी से गिरी है।

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मदनपल्ली के वेडपल्ली में रहने वाले टमाटर की खेती करने वाले दादम रेड्डी गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "टमाटर की कीमत इस महीने बहुत कम हुई है। मैंने 23 मई को पांच बॉक्स टमाटर 80 रुपए प्रति बॉक्स के हिसाब से बेचा। जबकि यही टमाटर पिछले साल मैंने 1,200 से 2,000 प्रति बॉक्स के हिसाब से बेचा था।"

"मेरे पास दो एकड़ में टमाटर है। जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ है तबसे भाव बहुत कम है। नहीं कुछ तो अभी तक कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपए तक का नुकसान उठा चुका हूं।" दादम आगे कहते हैं।

दादम जिस बॉक्स की बात कर रहे हैं उसमें 30 किलो टमाटर होता है। एक बॉक्स का 80 रुपए मिला जिसका मतलब हुआ कि टमाटर 2.50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिका।

व्यापारियों और किसानों को ऑनलाइन खरीद-बिक्री की सुविधा देने वाली केंद्र सरकार की वेबसाइट ई-नाम के अनुसार आंध्र प्रदेश, चीत्तूर जिले की मदनपल्ली मंडी में 24 मई को टमाटर का थोक भाव न्यूनतम 240 रुपए प्रति कुंतल और अधिकतम 560 रुपए प्रति कुंतल था।


मदनपल्ली मंडी के सबसे बड़े सब्जी विक्रेताओं में से एक रघू फार्म टोमैटो के निदेशक रघू कहते हैं, "दूसरे शहरों से मांग घट गई है। हमारे यहां से टमाटर की ज्यादा मांग दिल्ली और मुंबई में रहती थी, लेकिन अभी मांग आधे से भी कम हो गई है। जो यहां स्थानीय खपत है काम उसी से काम चल रहा है, लेकिन यहां उतनी कीमत नहीं मिलती।"

देशभर की मंडियों में फसलों की कीमतों पर निगरानी रखने वाली केंद्र सरकार की वेबसाइट www.http://agmarknet.gov.in/ के अनुसार देश की मंडियों में टमाटर की कीमत 24 मई को औसतन पांच रुपए प्रति किलो के नीचे पहुंच गई जबकि प्याज छह रुपए प्रति किलो से नीचे बिका।

वेबसाइट के अनुसार पिछले साल वर्ष 2019 में 24 मई को देश में टमाटर की औसतन कीमत 27.50 रुपए प्रति किलो थी। टमाटर की कीमत सबसे ज्यादा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में गिरी है, जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली की मंडियों में प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है।

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मध्य प्रदेश के जिला रतलाम के तहसील जावरा, गांव मेहंदी के रहने वाले संग्राम सिंह ने इस साल प्याज की खेती की है। छह मई को जब वे मंडी प्याज बेचने गये तो उन्हें भाव मिला एक रुपए प्रति किलो।

वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "23 कुंतल 38 किलो प्याज के बदले व्यापारी ने मुझे 1.50 पैसे प्रति किलो के हिसाब से 3,507 रुपए दिये। इससे ज्यादा खर्चा तो मेरा मंडी तक जाने में ही हो गया। मेरे पास तो अभी और प्याज है। कीमत सही होने का इंतजार कर रहा हूं।"

सब्जियों में आलू, प्याज और टमाटर की खपत देश में सबसे ज्यादा है, लेकिन हर इसकी कीमतों से किसान और उपभोक्ता दोनों परेशान रहते हैं। इसी प्याज की कीमत नवंबर-दिसंबर 2019 में 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई थी।

टमाटर, प्याज और आलू की गिरती कीमतों से किसानों को नुकसान हो इसके लिए केंद्र सरकार ने दो साल पहले ऑपरेशन ग्रीन्‍स (टॉप योजना) की शुरुआत की थी।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 12 मई को देश को लॉकडाउन से हो रहे नुकसान से उबारने के लिए 20,000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इसमें ऑपरेशन ग्रीन्‍स के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है कि साथ ही अब इसके दायरे में सभी सब्जियों को लाया गया है।

नीति आयोग के सदस्य और केंद्र सरकार सरकार के सलाहकार रमेश चंद ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा है, "किसानों को अपनी उपज कम कीमतों पर बेचने को मजबूर किया जा रहा है, यह चिंता का विषय है। सब्जी की कीमतों में गिरावट इसलिए भी हो रही है क्योंकि मंडियों में आवक ज्यादा है जिसके हिसाब से खपत नहीं हो रही है, लेकिन राज्य सरकारों को इस ध्यान देना चाहिए जिससे किसानों को नुकसान न उठाना पड़े।"

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"लॉकडाउन की शुरुआत में ही हमने राज्यों को राय दी थी कि वे मंडियों को छह महीने तक के लिए बंद कर सकते हैं जिससे किसान सीधे अपनी उपज बेच सकें, लेकिन ऐसा हो नही पाया।" वे आगे कहते हैं।

कृषि अर्थशास्त्री और कमोडिटी मामलों के जानकार विजय सरदाना का का कुछ और ही कहना है। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "अगर मंडी में किसानों को सही कीमत नहीं मिल रही है तो उन्हें चाहिए कि वे मंडी में जाये ही ना। किसानों को अब किसान के साथ-साथ व्यापारी भी बनना पड़ेगा।"


नई आजादपुर मंडी के कारोबारी और ऑनियम मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया, "मंडी में खरीदार कम हो जाने के कारण टमाटर समेत सब्जियों के दाम में 50 से 60 फीसदी तक की गिरावट आई है। होटल, ढाबा सब बंद है लेकिन मंडी में आवक चालू है जबकि खपत बहुत कम हो गई है। बड़ी संख्या में लोग बाहर भी चले गये हैं। सब्जी की कीमतों पर इसका भी असर पड़ा है। इधर मंडियों में कोरोना के कई मरीज भी मिले, इस कारण लोग डर के कारण मंडी नहीं आ रहे हैं।"

"इन्हीं सब कारणों से सब्जियों की कीमत गिर रही है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, अगर मांग नहीं बढ़ी तो कीमत और गिरेगी। हालांकि खुदरा बाजारों सब्जियों की कीमत स्थिर है। इससे आम लोगों को कोई राहत नहीं मिल रही है।" राजेंद्र शर्मा आगे कहते हैं।

   

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