'टॉप' प्राथमिकता का बुरा हाल, महाराष्ट्र में एक रुपए किलो तक पहुंची टमाटर की कीमत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'टॉप' (टोमैटो, ओनियन, पोटैटो) को प्राथमिकता देने की बात कही थी। बजट के समय वित्त मंत्री ने इनके संरक्षण के लिए ऑपरेशन का ग्रीन का नारा दिया था।

Mithilesh DharMithilesh Dhar   22 Sep 2018 7:34 AM GMT

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टॉप प्राथमिकता का बुरा हाल, महाराष्ट्र में एक रुपए किलो तक पहुंची टमाटर की कीमत

लखनऊ। टमाटर की अच्छी पैदावार से किसान एक बार फिर मुश्किल में हैं। बाजार में टमाटर के भाव 100 रुपए प्रति कुंतल तक पहुंच गये हैं। ऐसे में लागत तो दूर किसानों का मंडी तक उपज लाने का किराया तक नहीं निकल पा रहा।

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रहने वाले अरुण इंगले (56) बीती नौ सितंबर को लगभग एक कुंतल ताजा टमाटर मंडी लेकर पहुंचते हैं। लेकिन जब उन्हें पता चला कि टमाटर की कीमत 100 रुपए प्रति कुंतल हो गयी है तो उन्हें झटका लगा।

गाँव कनेक्शन से फोन पर बातचीत में अरुण कहते हैं, "मंडी तक टमाटर ले जाने के लिए मैंने छोटा हाथी बुक किया था। जिसने मुझसे 200 रुपए किराया ले लिया। टमाटर फेंकने की मेरी हिम्मत नहीं हुई, मेरी मेहनत लगी थी उसमें। इसलिए मैंने उसे गाँव में बांटना ही बेहतर समझा।"

अरुण को 100 किलो टमाटर के बदले 100 रुपए मिलता। दो सौ रुपए ऑटो का खर्च। मतलब 100 रुपए का नुकसान तो तुरंत हुआ, बाकी निराई, सिंचाई और मेहनत को छोड़ दीजिए। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा टमाटर उत्पादक जिले नासिक, पुणे, सांगली, सतारा, अहमदनगर और नागपुर में बंपर उत्पादन होने से मंडियां टमाटर से भर गई हैं। महाराष्ट्र की थोक मंडियों में टमाटर की कीमत 100 रुपए प्रति कुंतल तक पहुंच चुकी है। यानी एक किलो टमाटर का भाव एक रुपया मिल रहा है।

ये हाल बस महाराष्ट्र में ही नहीं है। बिहार में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। हताश किसान मजबूरी में अपनी फसल को खेत में सड़ने के लिए छोड़ रहे हैं। बिहार के सासाराम जिले के पोस्ट ऑफिस चौक पर पिछले दिनों किसानों ने टमाटर सड़कों पर फेंक दिया। सदर के किसान मनोज सिंह बताते हैं, "टमाटर की कीमत 300 रुपए कुंतल मिल रही है। इससे ज्यादा तो हमारा खर्च हो जाता है। टमाटर वापस घर लाने में और पैसे खर्च होते हैं, ऐसे में हमने उसे सड़क पर ही फेंक दिया। सरकार ने बजट के समय कहा था कि वे टमाटर के लिए कुछ करेंगे, लेकिन हमारे यहां तो अभी तक कुछ नहीं हुआ।"

महाराष्ट्र के अहमदनगर मंडी में टमाटर का भाव। 19 सितंबर तक

इस साल बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में आपरेशन फ्लड की तर्ज पर 'आपरेशन ग्रीन' चलाने की घोषणा की थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टॉप प्रायोरिटी (टोमैटो, ओनियन, पोटैटो) का नारा दिया। सरकार की मंशा प्याज, आलू और टमाटर किसानों को राहत देने की थी। योजना का क्या हुआ, ये तो नहीं पता, लेकिन टॉप का 'ट' एक बार फिर किसानों को रुला रहा है।

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महाराष्ट्र की अन्य मंडियों की बात करें तो अमरावती में इस महीने की एक तारीख को टमाटर की कीमत 100 रुपए प्रति कुंतल तक पहुंच गयी थी जबकि औरंगाबाद में यही कीमत 200 रुपए थी जिसमें अभी थोड़ा सुधार हुआ 20 सितंबर को रेट 300 रुपए तक पहुंचा था।

अमरावती के टमाटर व्यापारी और किसान नेमराज बताते हैं, "इतनी कम कीमत पर टमाटर बेचने का कोई मतलब नहीं बनता। सोच रहा हूं कि कुछ कीमत बढ़े तब बेचूंगा, लेकिन यह भी डर है कि कहीं सड़ने न लगे।"

मंडियों में टमाटर की आवक बढ़ गयी है। इसलिए कीमत तेजी से गिर रही है और ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि कीमत और गिर सकती है। महाराष्ट्र की बाजार समितियों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि निर्यात शुल्क में कमी करें ताकि पड़ोसी देशों में टमाटर निर्यात किया जा सके।

इस बारे में पिपलगांव बाजार समिति के अध्यक्ष दिलीप बनकर कहते हैं, "सरकार को किसानों की स्थिति को देखते हुए पड़ोसी देशों को निर्यात पर लगी पाबंदी तत्काल हटाना चाहिए, साथ ही निर्यात शुल्क में कमी करें ताकि स्थिति में कुछ सुधार हो सके।"

सरकार के ही आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में 548 करोड़ रुपए का टमाटर भारत ने निर्यात किया था कि जो 2017-18 में गिरकर 107 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत के टमाटर एक्सपोर्ट को गहरा झटका लगा है। पाकिस्तान को 2016-17 में 368 करोड़ का टमाटर एक्सपोर्ट किया था जो कि घट कर पिछले साल 34 लाख ही रह गया।


आजादपुर मंडी दिल्ली में भी टमाटर की कीमत तेजी से गिर रही है। टमाटर एसोसिशन के उप प्रधान अशोक कुमार बताते हैं, "हमारे यहां भी टमाटर की कीमत गिरकर 400 रुपए तक पहुंच गयी है, जबकि अधिकतम कीमत भी 1800 से घटकर अब 1300 रुपए प्रति कुंतल पर आ गयी है। कीमत और गिरेगी ही क्योंकि अब तो आजादपुर मंडी में अन्य प्रदेशों से भी टमाटर आने लगा है। पाकिस्तान ने हमसे टमाटर लेने से मना कर दिया है। ऐसे में कीमत और नीचे आएगी।"

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ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि किसानों को ऐसे नुकसानों से कैसे बचाया जा सकता है। इस बारे में बनारस हिंदू विश्वविद्वालय (बीएचयू) के एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट के प्रोफेसर और क्वॉर्डिनेटर डॉ. राकेश सिंह ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "भारत में टमाटर का उत्पादन तो बढ़ रहा है लेकिन इससे किसानों को फायदा नहीं हो रहा। दाम कभी बढ़ जाता है तो कभी घट जाता है। इसके लिए सरकार को पहल कर टमाटर से बनने वाले प्रोडक्ट की ओर ध्यान देना चाहिए, दूसरा और कोई रास्ता है ही नहीं।"

टमाटर, आलू और प्याज, ये तीनों ऐसी फसलें हैं, जिन्हें बहुत दिनों तक बाहर नहीं रखा जा सकता। ऐसे में जब सही कीमत नहीं मिलती तो किसानों के पास उन्हें फेंकने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचता। देश में कोल्ड स्टोरेज की क्षमता ठीक नहीं है। सरकार ने इसीलिए ऑपरेशन ग्रीन की घोषणा की थी जिसके लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया, जो नाकाफी है।

भारत फलों और सब्जियों का दूसरे सबसे बड़ा उत्पादक देश है, बावजूद इसके देश में कोल्ड स्टोर और प्रसंस्करण संबंधी आधारभूत संसाधनों के अभाव में हर साल दो लाख करोड़ रुपए से अधिक की फल और सब्जियां नष्ट हो जाती हैं। इसमें सबसे ज्यादा बर्बादी आलू, टमाटर और प्याज की होती है। भारत हर साल 13,300 करोड़ रुपए के ताजा उत्पाद बर्बाद कर देता है क्योंकि देश में पर्यात कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और रेफ्रिजरेट वाली परिवहन सुविधाओं का अभाव है।

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इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजीज इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सालाना 44,000 करोड़ रुपए की फल-सब्जी और अनाज बर्बाद हो जाते हैं। सीफेट (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्टिंग इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजीज) की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 6.1 करोड़ टन कोल्ड स्टोरेज की जरूरत है, ताकि बड़ी संख्या में फल, अनाज के साथ खाद्यान्न खराब न हो। सीफेट की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश भर में हर साल कोल्ड स्टोरेज के अभाव में 10 लाख टन प्याज बाजार में नहीं पहुंच पाती है। सिर्फ इतना ही नहीं, 22 लाख टन टमाटर भी अलग-अलग कारणों से बाजार में पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाता है।

निवेश नीति विश्लेषक और कृषि मामलों के जानकर देविंदर शर्मा ने पिछले दिनों गाँव कनेक्शन के लिए एक लेख में लिखा था, जिसमें वे कहते हैं, "जब तक टमाटर का एमएसपी नहीं मिलेगा तब किसानों को दुर्दशा जारी रहेगी। राज्य सरकारों को चाहिए कि वे जल्दी खराब होने वाली सब्जियों के लिए भी एमएसपी तय करें ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके।"


         

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