मात्र 285 फायर स्टेशनों पर 1 लाख 6 हजार गाँव का जिम्मा 

Abhishek PandeyAbhishek Pandey   5 Jun 2017 5:30 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
मात्र 285 फायर स्टेशनों पर 1 लाख 6 हजार गाँव का जिम्मा आग लगने की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।

लखनऊ। यूपी में बढ़ती आग की घटनाओं को रोक पाना फायर विभाग के लिए मुश्किल होता दिख रहा है। इसकी मुख्य वजह प्रदेश में महज 285 फायर स्टेशनों के पास 106000 गाँव का जिम्मा है, जो आग की घटनाओं पर काबू पाने में नाकाफी साबित होता दिख रहा है। साथ ही आजादी के बाद से अब तक फायर विभाग संसाधनों की कमी से भी जुझ रहा है, जिस ओर किसी भी सरकार की नजर नहीं गई।

उत्तर प्रदेश में चाहे शहर हो या गाँव, आग लगने की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। जहां एक तरफ शहरों में आग लगने की सूचना पर फायर ब्रिगेड कर्मी वक्त रहते पहुंच जाते हैं, लेकिन दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में आग की घटना को रोक पाने में फायर ब्रिगेड विभाग नाकाम होता दिख रहा है, हालांकि शहरी क्षेत्र में भी गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। बढ़ती गर्मी के साथ आग लगने की घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है।

ये भी पढ़ें- रविवार को उत्तर भारत में बरसी आग, टूटे रिकॉर्ड, इलाहाबाद रहा सबसे गर्म

इसकी बानगी यूपी 100 के आंकड़े बताते हैं, जहां प्रदेश भर से हर रोज औसतन 650 सूचनाएं केवल आग लगने की आ रही हैं। साथ ही राजधानी में भी रोजाना दस से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। जबकि फायर विभाग कई वर्षों से सीमित संसाधनों और कर्मचारियों की कमी का रोना रो रहा है। बावजूद इसके ज्यादातर आग लगने की सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड कर्मी घटनास्थल पर पहुंचने का प्रयास करते हैं। आलम यह है कि प्रदेश की करीब 45 करोड़ की आबादी में 285 फायर स्टेशन हैं जिनपर केवल 1600 गाड़िया उपलब्ध हैं, जिन्हें शहर और ग्रामीण इलाकों में आग लगने की घटना पर बुझाने का जिम्मा है। इनके जिम्मे 75 जिलों के 1 लाख 6 हजार गांव की सुरक्षा है।

वहीं राजधानी लखनऊ में ही 14 से 30 अप्रैल के बीच आग लगने के 280 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्र की ऐसी घटनाएं भी शामिल हैं, जिनमें किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल जलकर राख हो गई, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ। बावजूद इसके फायर विभाग में अब तक आग की घटना पर काबू पाने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे। उधर ग्रामीण इलाकों में आग की घटना के संबंध में ज्यादातर ग्रामीणों की एक ही शिकायत रहती है कि आग लगने पर दमकल दस्तें के देरी से पहुंचने पर सबकुछ जलकर खाक हो जाता है, जिसे देखने सुनने वाला कोई नहीं होता है। वहीं इस संबंध में डीजी फायर प्रवीण सिंह से कई बार बात करने का प्रयास किया गया तो, उनका फोन नहीं उठा।

ये भी पढ़ें- 16 फ्रेक्चर, 8 सर्जरी और परिवार द्वारा छोड़े जाने के बाद भी सिविल सर्विस में पास हुईं उम्मुल खेर

संसाधन के साथ-साथ फायर कर्मचारियों की कमी

राजधानी के सीएफओ (चीफ फायर ऑफिसर) अभय भान पाण्डेय का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में फायर स्टेशन से गार की दूरी होने की चलते हमारी टीम देर से पहुंचती है, लेकिन उसका प्रयास रहता है कि जल्द से जल्द घटनास्थल पर पहुंचकर आग पर काबू पाया जा सके। साथ ही उन्होंने बताया कि गर्मी में ग्रामीण इलाकों में किसानों के लिए आग से संबंधित जागरुकता अभियान चलाया जाता है। सीएफओ ने आगे बताया कि आग से बचाव के पूरे इंतजाम किए जाते हैं। संसाधनों और फायर कर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए निदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है, जिसकी जल्द मंजूरी मिलने की आशा है।

प्रदेश में मौजूदा फायर सर्विस

  • फायर स्टेशन- 285
  • फायर मैन- 3000
  • फायर टेंडर- 1600
  • चालक- 800
  • लीडिंग फायरमैन- 800

राजधानी में मौजूदा फायर सर्विस

  • फायर टेंडर- 22
  • वाटर मिस्ट- 6
  • हाइड्रोलिक प्लेटफार्म- 2
  • छोटे टेंडकर 20
  • फायर मैन-168
  • लीडिंग फायरमैन-45
  • चालक-56

वीवीआईपी ड्युटी में भी फायर विभाग व्यवस्त

एक तरफ प्रदेश में फायर विभाग आग पर काबू पाने में नाकाम होता दिख रहा है और दूसरी ओर संसाधनों की कमी रोना-रो रहा है, लेकिन इसके बावूजद वीवीआईपी ड्युटी में रोजाना फायर सर्विस की तीन से चार गाड़ियां अक्सर सीएम, राज्यपाल और दो डीप्टी सीएम के प्रोग्राम में सुरक्षा के मद्देनजर लगाई जाती है। इसके चलते बचे हुए दूसरे फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के पास राजधानी के शहरी इलाकों सहित ग्रामीण क्षेत्रों का भी जिम्मा रहता है।

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.