सरदार सरोवर बांध : मोदी ने किया उद्घाटन, नर्मदा घाटी में जल सत्याग्रह 

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सरदार सरोवर बांध : मोदी ने किया  उद्घाटन, नर्मदा घाटी में जल सत्याग्रह आंदोलन करतीं महिलाएं।

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने 67वें जन्मदिन पर सरदार सरोवर बांध का उद्दाटन किया। भारी जश्न के बीच उन्होंने दुनिया के दूसरे बड़े बांध को देश को समर्पित किया। इससे गुजरात राजस्थान समेत कई राज्यों को फायदा होगा। लेकिन खुद मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में इसका विरोध हो रहा है। मध्यप्रदेश के हजारों लोग जल सत्याग्रह कर रहे हैं। इन लोगों का आरोप हैं सरकार विस्थापित लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं दे रही है।

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एक तरह जहां पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में शुरू हुई इस परियोजना के पूरे होने का जश्न मनाया जाएगा वहीं हजारों स्थानीय लोग पानी में बैठकर इसका विरोध कर रहे हैं।। बड़वानी के पास के कई गांवों में नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता जल सत्याग्रह कर रहे हैं।

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सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर की अगुवाई में सैकड़ों महिलाएं और पुरुष पानी में रह कर अपना विरोध जता रहे हैं। बडवानी के पास एक गांव की रहने वाली सरस्वती बाई शुक्रवार की रात से नर्मदा में बैठी हैं। वो बताती हैं,“शिवराज सरकार मां नर्मदा और हम ग्रामीणों के साथ धोखा कर रही है। पुर्नवास के नाम पर धोखा दिया जा रहा है। हम लोग अपनी जमीन और नर्मदा मां को छोड़कर नहीं जाएंगे।”

नर्मदा घाटी सरदार सरोवर बांध की नीव भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 5 अप्रैल, 1961 में रखी थी। यह नर्मदा नदी पर बना 800 मीटर ऊंचा बांध है। सरदार सरोवर बांध दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। अमेरिका का ग्रांड कोली डेम दुनिया का सबसे बड़ा बांध बताया जाता है। इस बांध का डूब क्षेत्र करीब 214 किलोमीटर है और 194 गांवों के करीब 44 हजार परिवार इससे प्रभावित हुए हैं। शिवराज सरकार का दावा है विस्थापितों को दूसरी जगहों पर बेहतर मुआवजा और सुविधाएं देकर बसाया जा रहा है। लेकिन स्थानीय लोग सुविधाएं न होने का आरोप लगा रहे हैं।

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आंदोलनकारियों का साथ देने के लिए देश के कई कोनों से सामाजिक कार्यकर्ता भी पहुंचे हैं। पिछले दो दिनों से इलाके के साथ लोगों के साथ आवाज उठा रहे सामाजिक कार्यकर्ता अविनाश चंचल ने गांव कनेक्शन को बताया, गांवों में तेजी से पानी भरने लगा है, कई लोग नई जगहों पर चले गए हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को मुआवजा नहीं मिला है। जो विस्थापित एरिया है वो यहां से 200-250 किलोमीटर दूर है।’

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वो आगे बताते हैं, “वहां भी जो प्लाट दिए गए हैं वो काफी छोटे हैं। कुछ लोगों ने शिकायत की है एक ही प्लाट 2-3 लोगों को आवंटित किया गया है। नई कॉलोनियों में न बिजली है न पानी, ऐसे में लोग कैसे यहां से जाएं। इसीलिए प्रदर्शन करे हैं।”

स्थानीय लोगों के मुताबिक नई कॉलोनियों में टीन शेड बनाएं गए हैं। जो प्लास्टिक की हैं। ऐसे में अपने बने-बनाए घरों को छोड़कर जो लोग जा भी रहे हैं वो वहां कैसे रहें। लोगों का आरोप है सरदार सरोवर के विस्थापितों के पुनर्वास संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश 8/2/17 के अनुसार पुनर्वास स्थल के सभी कार्यों को सुविधाएं अगर तैयार नहीं है तो, विस्थापितों में जीआरए के समक्ष शिकायत दर्ज करनी थी। कम से कम 50 पुनर्वास स्थलों संबंधी सैकड़ों विस्थापितों ने जीआरए के पास शिकायत दर्ज करने के बावजूद GRA ने नहीं विस्थापितों की सुनवाई की , न ही नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को स्थलों पर कार्य संबंधी कोई आदेश दिया।

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