यहां मिलता है 21 किलो का समोसा, 10 किलो का गुलाब जामुन और 8 किलो की कचौड़ी

बीकानेर के रहने वाले धर्मेंद को कहा जाता है चटखारे का बादशाह, धर्मेंद्र बनाते हैं 151 तरह के गोल गप्पे।‛लिम्का बुक ऑफ नेशनल रेकॉर्ड' में वर्ष 2010 में धर्मेंद के नाम कीर्तमान दर्ज हुआ

Moinuddin ChishtyMoinuddin Chishty   16 Nov 2018 9:33 AM GMT

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यहां मिलता है 21 किलो का समोसा, 10 किलो का गुलाब जामुन और 8 किलो की कचौड़ी

बीकानेर। इन दिनों बीकानेर का खानपान अपनी एक और विशेषता के चलते देशभर में लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इस लोकप्रियता के पीछे एक व्यक्ति का अपने पेशे के प्रति समर्पण भाव है। बीकानेर के रहने वाले धर्मेंद्र अग्रवाल को ‛चटखारे का बादशाह' कहकर पुकारा जाता है। वैसे तो बीकानेर रसगुल्ले, गुलाब जामुन, भुजिया, घेवर के लिए प्रसिद्ध है ही पर धर्मेंद्र ने तीखे स्वाद के बल पर बीकानेर को देश के नक्शे पर पुनः प्रतिष्ठा दिलाने में सफलता हासिल की है।

मूलतः बीकानेर के धर्मेंद्र अग्रवाल के परिवार में बरसों से मिठाई और नमकीन बनाने का काम होता आया है। धर्मेंद्र ने बताया, " हम तीन भाई पानी पताशे का ठेला लगाते थे। एक रोज़ की बात है, तैयार मसाले में लाल मिर्ची का पूरा पैकेट गिर गया, सारा मसाला खराब हो गया। मैंने उसी मसाले से पिचके यानी पानी पताशे बना डाले, बेमेल मसाले का स्वाद ग़ज़ब का निकला। रोज़मर्रा से अधिक तीखा मसाला भी ग्राहकों को भाया। यहीं से से मेरे चटखारे का बादशाह बनने की कहानी शुरू हुई।"

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एक दिन उसने पत्ता गोभी के पानी पताशे बनाकर देखे, वाहवाही मिली। आलू और प्याज के फ्लेवर वाले गोल गप्पे भी बनाए। फिर नित नए आइडिया दिमाग में आते चले गए, पानी पताशे बनते गए- ग्राहक खाते गए उसका मनोबल बढ़ता गया। ‛लिम्का बुक ऑफ नेशनल रेकॉर्ड' में वर्ष 2010 में धर्मेंद्र के नाम कीर्तमान दर्ज हुआ, जिसमें उन्हें 121 तरह के स्वाद वाले गोल गप्पे बनाने में महारथ हासिल थी। आज धर्मेंद्र 151 से भी अधिक स्वाद वाले स्वादिष्ट पानी पताशे बना लेते हैं।

विविधता स्वाद की, आइटम्स भी बढ़े

-10 किलो का गुलाब जामुन ।

- 8 किलो की कचोरी।

- 21 किलो का समोसा।

-70 प्रकार से अधिक तरह के गुजराती फाफड़े बनाने में महारथ हासिल है।

- 25 तरह की कचौरियां बना लेते हैं।

- 121 तरह के दही बड़े।

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- 56 तरह के कांजी बड़े।

-150 तरह के छोले भटूरे।

- 70 प्रकार की बेसन की पापड़ी।

- 30 तरह की जलेबियां।

- विभिन्न तरह की पुड़ियां बनाने में मास्टरी।

- 15 किलोग्राम का समोसा बनाया जिसकी लंबाई 2 फ़ीट थी।

- 56 किलोग्राम की आलू की टिकिया बनाई।

- ऊंटनी के दूध से गोल गप्पे बनाए।

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धर्मेंद्र को इस बात की ख़ुशी है कि अब बीकानेर आने वाले पर्यटकों को उनका नाम पता चल गया है, वे सीधे उनके ठेले पर चटखारेदार आइटम खाने अणचाबाई हॉस्पिटल के पास पहुंच जाते हैं। शुरुआत में, बैंगलोर के एक आयोजन में 51 तरह के गोल गप्पे बनाकर बेचने से उनका काम अब फैलने लगा है। शादी ब्याह में बड़े रसूखदार लोग उन्हें अपने मेहमानों की सेवा के लिए बुलाने लगे हैं। स्वाद में माहिर धर्मेंद्र साफ सफाई और हायजिनिटी का बड़ा ध्यान रखता है।

धर्मेंद्र ने बताया, "जब ग्राहक पैसा भरपूर देने को तैयार है तो मैं ए-वन माल देने से परहेज क्यों करूं? जैसा घर में मां को खिलाना पसंद करता हूं, वही स्वाद, वही माल ग्राहकों को परोसता हूं। मेरे दादा भतमाल कंदोई गाल के लड्डू बनाने के माहिर माने जाते थे। मुझे आज खुशी है कि मैंने उनकी उसी परंपरा में कुछ और स्वाद जोड़ दिए हैं। "

(लेखक कृषि-पर्यावरण पत्रकार हैं)

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