बेसहारा गायों की देखभाल करने वाली जर्मन महिला को मिलेगा पद्मश्री सम्मान

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बेसहारा गायों की देखभाल करने वाली जर्मन महिला को मिलेगा पद्मश्री सम्मानजर्मनी की फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग 1200 बीमार, लाचार और छोड़ी गई गाय पाल रही हैं।

मथुरा (उत्तर प्रदेश, भाषा)। जिस देश में गाय के लिए लोगों की हत्या की जा रही है, जहां लगभग हर सड़क पर आवारा और छुट्टा गायें भटकती नजर आती हैं। हजारों कथित गोरक्षक वाले इस देश में गायों की दुर्दशा हो रही है, वो भूखी प्यासी सड़कों पर पॉलीथीन खा रही हैं और गोशालें सरकारी मदद लोगों के दान के इंतजार में हैं। उस देश में एक विदेशी महिला 1200 गाय और बछड़ों का पाल रही है। इलाके के लोग उसे उन गायों की मां कहते हैं।

भारत से करीब 7 हजार किलोमीटर दूर जर्मनी में रहने वाली फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग 1978 में देश में पर्टयक के रुप में घूमने आईं थी, लेकिन फिर यहीं की होकर रह गईं। इसकी एक बड़ी वजह गायों से उनका प्रेम है। अब वो 59 वर्ष की हो चुकी हैं, और 1200 गायों की देखभाल करती हैं, इनमें से ज्यादातर वो गाय हैं जो बीमार, घायल और किसानों और पशुपालकों द्वारा छोड़ी गई हैं।

वो बताती हैं, जब वो भारत आईं थी तो जीवन में क्या करना है या यहां रहना है ऐसा कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं था। समाचार एजेंसी भाषा को वो बताती हैं, "मैं एक पर्यटक के रुप में आयी थी और मुझे अहसास हुआ कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए आपको एक गुरु की जरुरत होती है। मैं एक गुरु की तलाश में राधा कुंड गयी।" यहां रहते हुए उन्होंने एक पड़ोसी के निवेदन पर गाय खरीदी। वो बताती हैं, गाय खरीदने और उसकी सेवा के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। मैंने कई गायों पर कई किताबें खरीदी और यहां तक हिंदी भी सीख ली।"

मैंने देखा कि जब गाय बढ़ी हो जाती है और दूध देना बंद कर देती है तो लोग उसे छोड़ देते हैं। लेकिन मैं नहीं छोड़ सकती है। मेरी गोशाला जो बीमार गाय छोड़ जाते हैं मैं उन्हें भी मना नहीं कर पाती।
फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग, गो प्रेमी और गोशाला संचालक

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गायों के साथ सुदेवी माता।

फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग इस पूरी कहानी में जो सबसे रोचक बात है वो इस वक्त भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक हैं। वो बताती हैं, "मैंने देखा कि जब गाय बढ़ी हो जाती है और दूध देना बंद कर देती है तो लोग उसे छोड़ देते हैं।" देश के शहरों में गंदगी खा रही ये सबसे ज्यादा छोड़ी हुई गाये होती हैं। इनमें से वो गाय भी हैं जो खराब नस्ल के चलते किसानों के काम की नहीं रहती हैं, दूध कम देती हैं।

मथुरा में अब फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग को लोग प्यार से सुदेवी माताजी कहते हैं। उन्होंने एक गौशाला शुरु की जिसका नाम सुरभि गौसेवा निकेतन है। यहां राधे कुंड में गायों और बछडों के एक विशाल परिवार का हवाला देते हुये उन्होंने कहा, "वे हमारे बच्चों के जैसे हैं और मैं उन्हें नहीं छोड़ सकती। एक बार एक गाय 3,300 वर्ग गज में फैली गौशाला में आ जाती है तो उसे खाना और दवा मुहैया करा कर उसकी पूरी देखभाल की जाती है।'

उन्होंने कहा, आज, हमारे पास 1,200 गायें और बछडे हैं। और अधिक गायों को रखने के लिए हमारे पास जगह नहीं है। लेकिन जब कोई बीमार या घायल गाय को मेरे आश्रम के बाहर छोडकर जाता है तो मैं इंकार नहीं करती और उसे अंदर ले आती हूं।

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फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग

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