डेयरी किसानों के लिए खुशखबरी: जून तक 2 रुपए प्रति लीटर बढ़ सकते हैं दूध के दाम
Diti Bajpai 5 April 2019 5:59 AM GMT
लखनऊ। देश में स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के उत्पादन में कमी और मांग बढ़ने की वजह से दूध के दामों में दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हो सकती है। दूध के दाम बढ़ने से किसानों को फायदा तो होगा लेकिन दूसरी ओर उपभोक्ताओं की जेब और ढीली होगी।
भारत की रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) की मार्च, 2019 की रिपोर्ट में यह तस्वीर सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दूध और उससे बनने वाले उत्पादों के मंहगे होने की वजह एसएमपी के उत्पादन में कमी और मांग का बढ़ना है। ऐसे में आने वाले तीन महीनों में दूध के दाम में दो रुपए तक बढ़ोत्तरी हो सकती है। इतना ही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019-20 में दूध उत्पादन 3 से 4 फीसदी घटने की उम्मीद है। वहीं दूध की खपत 6-7 फीसदी बढ़ने से भी दूध के दाम बढ़ेंगे।
Sharp reduction in skimmed milk powder inventories will lead to ₹1-2 per litre increase in the domestic prices of milk over the next few quarters and improve the dairy sector's operating profitability by 30-40 basis points next fiscal.https://t.co/IBgWMrABKs pic.twitter.com/BPb54ISEz5
— CRISIL Limited (@CRISILLimited) March 27, 2019
यह भी पढ़ें- डेयरी कारोबार की हकीकत: 50 रुपए वाले दूध में किसानों को मिलते हैं सिर्फ 20 से 25 रुपए
"अभी बाजार में एक लीटर दूध 25 से 26 रुपए में बिकता है। अगर दूध के दाम 10 पैसे ही बढ़ते है तो हमको फायदा ही होगा। हमारी डेयरी में 250 लीटर दूध का उत्पादन रोज होता है अगर दो रुपए बढ़े तो 500 रुपए की बढ़ोत्तरी हो जाएगी। इससे लेबर और मेडिकल का खर्चा निकल सकता है।" पंजाब के भटिंडा जिले में डेयरी संचालक शिमंदर गोयल ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया। शिमंदर पिछले दो वर्षों से डेयरी चला रहे है इनकी डेयरी में एचएफ नस्ल की 10 गाय है एक गाय से 25 लीटर दूध का उत्पादन होता है।
देश में दूध की कीमतों को लेकर कई आंदोलन के बाद कई राज्यों में वर्ष 2017 में दूध के दाम 1 रुपये प्रति लीटर बढ़े थे। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2018 के अंत में स्किम्ड मिल्क का 3 लाख टन का स्टॉक था। विश्व भर में स्किम्ड मिल्क के दाम 20 फीसदी बढ़ने से स्टॉक में कमी आ रही है। एक किलो एसएमपी से 10 लीटर दूध तैयार किया जाता है।
शामली जिले में रहने वाले डेयरी क्षेत्र के जानकार एम.एस तरार बताते हैं, "अभी डेयरी किसान और उपभोक्ता के बीच दूध के दामों के बहुत ज्यादा अंतर है। इसके कारण दूध की कंपनियां तो मुनाफा कमा लेती है लेकिन अभी भी पशुपालक का व्यापार घाटे में ही चल रहा है ऐसे में 1 से 2 रुपए प्रति लीटर दूध के दाम बढ़ते भी है तो निश्चित तौर किसानों को इससे मदद मिलेगी।" मगर तरार इसे नाकाफी मानते हैं।
डेयरी में ज्यादा खर्च होने की वजह से अब लोग इस व्यवसाय से मुंह मोड़ रहे है। पिछले नौ महीने में पशुओं के चारे में आई बढ़ोत्तरी के बारे में तरार बताते हैं, "गेहूं का भूसा नौ महीने जो 450 रुपए से लेकर 500 रुपए कुंतल था वो बढ़कर 900 रुपए से लेकर 1100 रुपए हो चुके है अगर पशुओं के चारे के दाम दोगुने हो जाऐंगे और दूध के दाम 5 प्रतिशत बढ़ जाए तो यह खुद समझना पड़ेगा की यह बहुत कम बढ़ोत्तरी है। दूध पर किसानों को सब्सिडी मिलनी चाहिए।"
वर्ष 2018 में 155.50 मीट्रिक टन वार्षिक दुग्ध उत्पादन के साथ भारत पहले स्थान पर है। देश के दूध उत्पादन में 51 प्रतिशत उत्पादन भैंसों से, 20 प्रतिशत देशी प्रजाति की गायों से और 25 प्रतिशत विदेशी प्रजाति की गायों से आता है।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के सहतापुर सराय गाँव में रहने वाले राकेश वर्मा बताते हैं, हमारे पास दस गाय है जिनमें से 8 गायों से 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है। और एक दिन सभी गायों में 1700 से 1800 रुपए का खर्चा आता है अगर दाम बढ़ते है तो थोड़ी राहत होगी।"
यह भी पढ़ें- नहीं मिल रहे थे दूध के दाम, इस किसान ने निकाली तरकीब, आज सालाना कमा रहे लाखों
वहीं हरियाणा राज्य के पंचकुला जिले के पशुचिकित्सा संद्य के अध्यक्ष डॉ चिरतन काडियन बतातें हैं, "देश में जितना दूध का उत्पादन हो रहा है उतने पशु ही नहीं बचे है। अगर सरकार मिलावटी दूध और उससे बने उत्पादों पर रोक लगा दे तो डेयरी किसानों को अपने आप दूध के दाम मिलने लगेंगे।"
दूध और उससे बने उत्पाद की खराब गुणवत्ता से चिंतित एफएसएसएआई ने डेयरी कंपनियों के लिए नए नियम जारी किए है। इन नियमों के अनुसार डेयरी प्रदूषित इलाकों से दूर होगी, डेयरी में काम करने वाले लोगों की स्वास्थ्य की जांच, दूध इकट्ठा करते समय हाइजिन का ध्यान, कंपनियों को तय करना होगा कि गाय या भैंस के चारे में ज्यादा पेस्टीसाईड का इस्तेमाल नहीं किया गया हो जैसे कई कड़े नियम लागू किए है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक के अगर मिलावट बंद नहीं हुई तो 2025 तक 87 फीसदी भारतीयों को कैंसर हो हो सकता है।
सर्दियों दूध उत्पादन ज्यादा होने से कंपनियां मिल्क पाउडर बना लेती है और गर्मियों में इस्तेमाल के साथ इसका आयात किया जाता है। लेकिन इस बार सर्दियों में पाउडर का स्टॉक कम होने की वजह से किसानों को दूध के दाम में बढ़ोत्तरी होगी। इससे किसान को फायदा मिलेगा। देश में हर साल 6 लाख टन मिल्क पाउडर बनता है। इसमें से 4.5 से 5 लाख टन की घरेलू खपत है और शेष 1 से 1.5 लाख टन का एक्सपोर्ट किया जाता है।
गर्मियों में दूध उत्पादन कम होनी की वजह के बारे में आईवीआरआई के पशुधन उत्पाद विभाग के डॉ मनीरत्था बताते हैं, "गर्मियों में दूध से बने उत्पादों की मांग ज्यादा होती है और पशुओं के दूध उत्पादन घट जाता है क्योंकि हरे चारे की कमी और पशुओं में गर्मी के कारण स्ट्रेस जैसी समस्या होती है।"
यह भी पढ़ें- मौके पर ही पता चल पाएगा दूध असली है या नकली
More Stories