नहीं मिल रहे थे दूध के दाम, इस किसान ने निकाली तरकीब, आज सालाना कमा रहे लाखों

Diti BajpaiDiti Bajpai   30 Jan 2019 6:25 AM GMT

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नहीं मिल रहे थे दूध के दाम, इस किसान ने निकाली तरकीब, आज सालाना कमा रहे लाखों

आज़मगढ़। देश के डेयरी किसानों की सबसे बड़ी समस्या दूध के दाम न मिलना है, जिसकी वजह से कई किसानों ने इस व्यवसाय से मुंह मोड लिया है लेकिन करतालपुर गाँव के ज्ञानेंद्र सिंह ने इससे मुनाफा कमाने की नई तरकीब निकाली है। वह दूध तो बेच ही रहे साथ ही दूध से बने उत्पादों को बनाकर बाज़ार में अच्छे दामों में बिक्री कर रहे है।

''जब मैंने डेयरी को शुरू किया था तब मेरे पास सिर्फ पांच पशु ही थे, जिसके कोऑपरेटिव या प्राइवेट सेंटर पर बेचते थे। लेकिन दूध के दाम ठीक नहीं मिल पाते थे। धीरे-धीरे मैंने पशुओं की संख्या बढ़ाई और दूध तो बेचा साथ ही उसके साथ पनीर, खोया और मिठाई बनानी शुरू की। दूध से ज्यादा इन उत्पादों को बेचकर जितनी लागत लगती है उससे कही ज्यादा निकल आती है।'' ऐसा बताते हैं ज्ञानेंद्र सिंह।


आज़मगढ़ जिले से करीब 20 कि.मी दूर पलहानी करतालपुर गाँव में रहने ज्ञानेंद्र सिंह की एकड़ में डेयरी बनी हुई है। डेयरी 100 से ज्यादा गाय है, जिनसे रोजाना चार कुंतल दूध का उत्पादन होता है। अपनी डेयरी में गायों को सुविधाओं के बारे में ज्ञानेंद्र ने गाँव कनेक्शन को बताया, ''पशुओं के खुर न खराब हो और बैठने में कोई तकलीफ न हो इसके लिए मोटी चटाई बिछा रखी है दूध निकालने के लिए मशीन की भी सुविधा है। इसके साथ सर्दी और गर्मी में बाड़े में अलग-अलग व्यवस्था कर रखी है।''

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ज्ञानेंद्र ने दूध के दाम न मिलने से दूध से पनीर, खोया और मिठाई को बनाना शुरू किया और खुद की भी ब्राडिंग की। ''बाला जी डेयरी प्रोडक्ट्स के नाम से हमारी दुकान है जिसमें शुद्व मिठाई के साथ पनीर, छेना और खोया बेचते है। लोगों के बीच बहुत हमारे प्रोडक्ट्स की डिमांड भी है क्योंकि शुद्व रहता है। मुझे देखकर कई किसानों ने छोटे स्तर पर अभी पनीर और दही बनाना शुरू किया है।'' सिंह ने बताया।

डेयरी में ज्ञानेंद्र ने ढाई हजार लीटर दूध की क्षमता वाला फ्रीजर भी लगवा रखा है, जिसकी मदद से दूध को दो तीन तक संरक्षित किया जा सकता है, जिससे मिठाई समेत कई उत्पाद को बनाया जाता है। देश में लगातार दूध और दूध से बने उत्पादों की मांग बढ़ रही है। असंगठित क्षेत्र में दूध की कीमत संगठित क्षेत्र की तुलना में काफी कम होती है। संगठित क्षेत्र में सिर्फ 20 फीसदी दूध की खपत होती है। ऐसे में पशुपालक का दूध और दूध के उत्पादों को बनाकर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं।


अकेले ज्ञानेंद्र ही नहीं उत्तर प्रदेश के कई किसान अब गाय के दूध, गोबर और गोमूत्र से उत्पादो को बनाकर अच्छे दामों बाज़ारों में बेच रहे हैं। गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद इलाके में सिंकदरपुर गाँव है जहां असीम रावत (39 वर्ष) पिछले तीन वर्षों से हेथा नाम डेयरी चला रहे हैं। इस डेयरी में साहीवाल, गिर, थारपारकर प्रजाति की 500 गायें हैं। इन गायों के दूध से असीम मक्खन, घी, खोया और पेड़ा तैयार करके अच्छी कमाई कर रहे है।

हेथा डेयरी के संचालक असीम बताते हैं, "डेयरी में 100 गायों से अभी 500 से 600 लीटर दूध उत्पादन हो रहा है कई उत्पाद बना रहे है। साथ ही देसी गाय के गोबर से बने उपले, राख, खाद और गोमूत्र से बने अर्क, पेस्टीसाइड और गो- फिनाइल बनाते है जो कीमत बाजार में बहुत अच्छी मिल रही है।'' असीम ने दो गायों से इस डेयरी करोबार को शुरू किया था। उनके इस प्रयास को अब यूपी, हरियाणा, समेत कई राज्यों के किसान देखने के लिए आते हैं। उनके प्रयासों से उन्हें दिल्ली में आयोजित विश्व दुग्ध दिवस पर कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने राष्ट्रीय गोपालक रत्न पुरस्कार से नवाजा।


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पिछले 20 वर्षों से भारत विश्व में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। डेयरी व्यवसाय छेटे व बड़े स्तर दोनों पर सबसे ज्यादा विस्तार में फैला हुआ व्यवसाय है। इससे करीब सात करोड़ ऐसे ग्रामीण किसान परिवार डेयरी से जुड़े हुए हैं। दूध उत्पादन व्यवसाय व्‍यावसायिक या छोटे स्तर पर दूध उत्पादन किसानों की कुल दूध उत्पादन में मदद करता है और उसकी आर्थिक वृद्धि को बढ़ाता है।

डेयरी के क्षेत्र में किसानों को लाभ देने के लिए मोदी सरकार ने डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) भी शुरू की है। इस योजना में किसानों को डेयरी खोलने से लेकर डेयरी उत्पाद बनाने के लिए उपकरणों की खरीद पर भी सब्सिडी दी जा रही है। मिल्‍क कोल्‍ड स्‍टोरेज खोलने के लिए भी सब्सिडी इस योजना के तहत दूध और दूधे से बने उत्पाद के संरक्षण के लिए कोल्‍ड स्‍टोरेज यूनिट शुरू कर सकते हैं। इस तरह का कोल्ड स्टोरेज बनाने में अगर आपकी लागत 33 लाख रुपये आती है तो इसके लिए सरकार सामान्‍य वर्ग के आवेदक को 8.25 लाख रुपये और एससी/एसटी वर्ग के लोगों को 11 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है।


पनीर, खोया, देसी घी बनाने में है फायदा

ज्यादातर किसान डेयरी में दूध को बेचने की सोचते है। लेकिन जिस पशुपालक की डेयरी में रोजाना 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है वे देसी घी, पनीर, खोया, दही, छेने बनाकर बेचकर बाजार में तिगुना मुनाफा कमा सकते है।

एक मशीन से बनते हैं सभी डेयरी उत्पाद

दूध से उत्पाद बनाने के लिए एक खोया, पनीर और देसी घी बनाने वाली मशीन खरीदनी होगी। एलपीजी गैस और बिजली से चलने वाली इस मशीन के जरिए मिनटों में दूध को गर्म किया जा सकता है और जरूरत के हिसाब से खोया, पनीर, दही और देसी घी बनाया जा सकता है। बाजार में 100 लीटर दूध की क्षमता वाली मशीन की कीमत करीब 80 हजार के आस-पास है। ये मशीन 150 लीटर, 200 लीटर, 300 लीटर की क्षमता में भी मिलती है और इसका इस्तेमाल करना काफी आसान है। इन प्रोडक्ट को बनाने का फायदा ये भी है कि दूध को दो से चार घंटे तक ही रखा जा सकता है लेकिन यदि इससे खोया, देसी घी और पनीर जैसी चीजें बना दी जाएं तो एक से दो दिनों तक रखा जा सकता है और अच्छी कीमत पर बाजार में बेचा जा सकता है।

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