#RamRahimSingh : बलात्कारी बाबा की सल्तनत को हर पार्टी का साथ

Manish MishraManish Mishra   28 Aug 2017 9:05 AM GMT

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#RamRahimSingh : बलात्कारी बाबा की सल्तनत को हर पार्टी का साथ25 अगस्त को कोर्ट का फैसला आने के बाद बाबा के समर्थकों ने शहर में जमकर तोड़फोड़ की। 

लखनऊ। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की ताकत और वोटबैंक की राजनीति के चलते सभी राजनीतिक दलों ने उसके साथ सच्चा सौदा किया। प्रदेश में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रही हो, लेकिन सभी ने डेरे के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई।

डेरा प्रमुख के प्रति वफादारी ऐसे पता चलती है कि वर्ष 2002 इनेलो (इंडियन नैशनल लोकदल) सरकार नहीं चाहती थी कि इस मामले की सीबीआई जांच हो। उसके बाद 2009 में कांग्रेस को डेरे का समर्थन मिला और गो स्लो की नीति अपनाई। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव बीजेपी जीत गई थी, विधानसभा चुनाव में डेरे ने खुल कर बीजेपी का समर्थन किया।

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पत्रकार रामचंदर छत्रपति के बुलावे पर एक कार्यक्रम में व्याख्यान देने के लिए स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेन्द्र यादव 20 अक्टूबर, 2002 को हरियाणा के सिरसा गए थे। “कार्यक्रम में मेरे व्याख्यान देने के बाद सबसे अंत में रामचंदर छत्रपति ने बोलते हुए डेरे का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे धमकियां दी जा रही हैं, मेरी जान को खतरा है,” योगेन्द्र यादव ने गाँव कनेक्शन को बताया, “जब मैंने बाद में उनसे पूछा कि सर आप को डर नहीं लगता? तो उन्होंने कहा-एक दिन जाना तो सभी को है। यहां सभी को पता है कि डेरे के अंदर क्या होता है? पर बोल कोई नहीं रहा।”

वहीं, इस कार्यक्रम के चार दिन बाद 24 अक्टूबर, 2002 रामचंदर छत्रपति की हत्या कर दी गई। सीबीआई के तत्कालीन डीआईजी मुलिंजा नारायणन को 2007 में यह केस सौंपा गया था। मुलिंजा बताते हैं, “जिस दिन उन्हें केस सौंपा गया था, उसी दिन उनके अधिकारी उनके रूम में आए और कहा कि ये केस तुम्हें जांच करने के लिए नहीं, बंद करने के लिए सौंपा गया है।”

मुलिंजा बताते हैं, “जब केस मेरे पास आया, तो मैंने अपने अधिकारियों से कह दिया कि मैं उनकी बात नहीं मानूंगा और केस की तह तक जाऊंगा। इसके अलावा बड़े नेताओं और हरियाणा के सांसदों तक ने मुझे फोन कर केस बंद करने के लिए कहा, लेकिन मैं नहीं झुका। हाई कोर्ट ने केस मुझे सौंपा था, इसलिए मुझे किसी के आगे झुकने की जरूरत नहीं थी

“बाबा राम रहीम का सरकार पर प्रभाव तो तब दिखा कि जब एफआईआर से उसका नाम ही हटा दिया गया,” योगेन्द्र यादव ने गाँव कनेक्शन को बताया। उन्होंने कहा, “उस समय हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला (इनेलो) सरकार थी, इस हत्याकांड की सीबीआई जांच की सिफारिश तो दूर, प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश दिए तो उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी।”

योगेंद्र यादव, प्रमुख, स्वराज इंडिया

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“उसके बाद छत्रपति का बड़ा बेटा अंशुल मेरे पास आया कि अंकल सुप्रीम कोर्ट में बड़े-बड़े वकीलों को लाएंगे, हम क्या करेंगे? फिर मैं उसे लेकर राजेन्द्र सच्चर जी के पास गया, उन्होंने कहा कि हाँ मैं खड़ा होऊंगा, तब जाकर सीबीआई जांच के आदेश हुए। इसके बाद साध्वी के भाई की हत्या समेत दो मर्डर के लिए बाबा को आरोपी बनाया गया,” योगेन्द्र यादव ने बताया।

डेरा सच्चा सौदा आश्रमों की एक श्रृंखला है। इसकी स्थापना सन् 1948 में संत शाह मस्ताना जी ने की थी। दूसरे प्रमुख थे सतनाम जी महाराज, और तीसरे डेरा प्रमुख हैं बाबा गुरमीत राम रहीम।उन्होंने कहा, “डेरा प्रमुख सभी पार्टियों को अपनी जेब में रखते थे, सभी की खुलकर सौदेबाजी की जाती रही है। चुनाव के दौरान हर अखबार में खबरें छपती हैं कि डेरा इस बार किसको समर्थन करेगा?”

अपने अनुभव को साझा करते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा, “वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में मैं आम आदमी पार्टी की ओर से पंजाब और हरियाणा का प्रभारी था। चुनाव के वक्त मेरे पास कुछ लोग आए कि आप जैसे अच्छे लोगों की डेरा प्रमुख चुनावों में मदद करना चाहते हैं, एक बार मिल लीजिए,” आगे बताते हैं, “क्योंकि मैं असलियत जानता था, तो मैंने ऐसे लोगों से मिलने से साफ मना कर दिया।”

“डेरा सच्चा सौदा की एक राजनीतिक समिति होती है, वह निर्णय लेती है कि डेरा किस पार्टी को सपोर्ट करेगा। वोट किसे जाएगा। इसके लिए खुलकर सौदेबाजी होती है। इसी सौदेबाजी का ही नतीजा था कि चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री खट्टर बाबा राम रहीम का शुक्रिया अदा करने पूरी कैबिनेट के साथ गए थे। सभी को पता था कि वह बलात्कार का आरोपी है,” योगेन्द्र यादव कहते हैं, “बलात्कार के फैसले से 10 दिन पहले 15 अगस्त को दो मंत्री राम बिलास शर्मा और अनिल विज डेरा जाकर बाबा के पैर छूते हैं, और सरकार की ओर से 51 लाख रुपया दान करते हैं। अगर ये मिली भगत नहीं तो क्या है?”

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योगेन्द्र यादव ने सवाल उठाते हुए कहा, “खट्टर सरकार तीन साल से हरियाणा में है, और ये तीसरी बार है, बाबा रामपाल और जाट आंदोलन का मामला हुआ। इस बार तारीख, समय, स्थान और लोग सब पता था, कि हिंसा कब होगी। लेकिन फिर क्या हुआ?”डेरा सच्चा सौदा कागजों में एक गैर सरकारी संगठन के तौर पर रजिस्टर्ड है, जो नशा मुक्ति केन्द्र, सफाई अभियान, मेडिटेशन जैसे कार्यक्रम करता आ रहा है। इनकी आड़ में और चीजें होती थीं।

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