क्या झारखंड और हिमाचल प्रदेश की तरह शहरों में रोजगार गारंटी योजना शुरू करने की तैयारी में है केंद्र सरकार ?
लॉकडाउन की वजह से बड़े स्तर पर लोगों ने अपना रोजगार खो दिया। ऐसे में शहरों को लौटे प्रवासियों और गरीबों के लिए झारखण्ड और हिमाचल प्रदेश की सरकार पहले ही शहरों में रोजगार गारंटी योजना शुरू करने का फैसला कर चुकी हैं।
Kushal Mishra 24 July 2020 1:32 PM GMT
लॉकडाउन के दौरान गांवों के अलावा शहरों में लौटे प्रवासियों और गरीबों को रोजगार देने के लिए झारखण्ड और हिमाचल प्रदेश की सरकार ने मनरेगा की तर्ज पर शहरों में रोजगार गारंटी योजना को हरी झंडी दे दी है। ऐसे में केंद्र सरकार भी अब शहरों में रोजगार देने के लिए एक नयी योजना शुरू करने की तैयारी में है।
हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन में गांवों को लौटे प्रवासियों और गरीबों के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुवात की थी। अब केंद्र सरकार शहरों में भी गरीबों और प्रवासियों को रोजगार देने के लिए ऐसी ही एक ओर रोजगार योजना शुरू कर सकती है।
शहरों के लिए यह योजना भी गरीब कल्याण रोजगार अभियान जैसी हो सकती है या फिर ग्रामीण भारत में चल रही मनरेगा को शहरी तौर पर लांच किया जा सकता है। बिज़नेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना को शहरों में जल्द शुरू करने के लिए आंतरिक चर्चा भी चल रही है।
एक महीने पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लॉकडाउन में बढ़ती बेरोजगारी को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार से मनरेगा की तर्ज पर शहरों में भी रोजगार गारंटी योजना को लागू करने का आग्रह किया था। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने आवास एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र भी लिखा।
इस पत्र में गहलोत ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि कोरोना महामारी की वजह से राज्य के शहरी क्षेत्रों में भी एक बड़े तबके का रोजगार प्रभावित हुआ है और इनकी मदद के लिए केंद्र सरकार मनरेगा की तर्ज पर एक निश्चित अवधि के लिए इन्हें रोजगार देने वाली योजना को लागू करे।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांवों में रोजगार देने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुवात की थी। इसमें छह राज्यों के 116 जिलों में 125 दिनों तक विभिन्न योजनाओं में लोगों को रोजगार दिए जाएंगे। अब ऐसे ही योजना शहरों में भी शुरू हो सकती है।
वहीं शहरों में रोजगार की गारंटी दिए जाने को लेकर बंगलोर में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट की ओर से भी रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी। मनरेगा से प्रेरित इस रिपोर्ट को सरकार के सामने भी पेश किया गया था।
इस रिपोर्ट में मुख्य भूमिका में रहे अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर अमित बसोले 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "भारत में करीब 4,000 ऐसे छोटे शहर हैं जहाँ कई तरह के काम इस योजना के तहत किये जा सकते हैं। शहर का कोई भी नागरिक साल में सौ दिन का काम पा सकता है, जिसके लिए 500 रुपये रोज की दर सुझायी गयी है। इसे हर साल महंगाई के हिसाब से बढ़ाया जायेगा।"
अमित कहते हैं, "अगर सरकार कोरोना संकट के समय में शहरों में रोजगार गारंटी की योजना लेकर आती है तो निश्चित रूप से यह गरीबों और शहरों को लौटे प्रवासियों के लिए एक बड़ा कदम होगा। न सिर्फ इससे लोगों को अपने ही राज्य में रोजगार मिलेगा बल्कि छोटे शहरों के लोगों को भी लाभ मिलेगा।"
दूसरी ओर पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी भी केंद्र सरकार से शहरी गरीबों और प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने की अपील कर चुके हैं।
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