आम आदमी पार्टी में लगातार उठे हैं बगावत के सुर, ये हैं वे बड़े नाम जो अब नहीं हैं अरविंद केजरीवाल के साथ

Mithilesh DharMithilesh Dhar   7 May 2017 5:42 PM GMT

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आम आदमी पार्टी में लगातार उठे हैं बगावत के सुर, ये हैं वे बड़े नाम जो अब नहीं हैं अरविंद केजरीवाल के साथनेताओं का पार्टी से मोहभंग क्यों हो रहा है ? या बड़े नेता पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं ?

लखनऊ। दिल्ली एमसीडी चुनाव में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी कठिन दौर से गुजर रही है। उठापठक के बीच पार्टी पर संगीन अरोप भी मढ़े जा रहे हैं। पार्टी के नेता कपिल मिश्रा ने आज पार्टी संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर उनकी ही पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन से 2 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया है।

इस बयान के बाद कांग्रेस और भाजपा नेता आप पर हमलावार हो गए है और अरविंद केजरीवाल से इस्तीफा मांग रहे हैं। ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि एक के बाद एक आप के नता बगावती क्यों हो रहे हैं ? इन नेताओं का पार्टी से मोहभंग क्यों हो रहा है ? या बड़े नेता पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं ?

एक ताजा घटनाक्रम में पार्टी विधायक अमानतुल्ला खान को बाहर निकाल दिया जाता है और फिर अगले ही दिन उन्हें महत्वपूर्ण समितियों की जिम्मेदारी भी दे दी जाती है। अमानतुल्ला खान के बयान को लेकर ही कुमार विश्वास ने बड़ा फैसला लेने तक की बात की थी। आनन-फानन में मीटिंग करके उन्हें बगावत तो नहीं करने दिया जाता लेकिन उन्हें राजस्थन का प्रभारी बना दिया जाता है और उनके करीबी मंत्रियों के पर के पर करत दिए जाते हैं।

2011 में इंडिया अगेंस्ट करपशन नामक संगठन से अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए जन लोकपाल आंदोलन से लाइम लाइट में आए अरविंद केजरीवाल ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ 26 नवंबर 2012 में आप पार्टी का गठन किया। पार्टी पहली बार दिसंबर 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरी। पार्टी ने चुनाव में 28 सीटों पर जीत दर्ज़ की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी। अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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49 दिनों के बाद 14 फरवरी 2014 को विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण अरविंद केजरीवाल की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया। 2015 में आप पार्टी दिल्ली में फिर सरकार बनाती है। 14 फरवरी 2015 को अरविंद केजरीवाल दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं। तब से अब तक पार्टी के कई बड़े चेहरों ने या तो पार्टी को छोड़ दिया या पार्टी ने उन्हें छोड़ दिया। आंदोलन की शुरुआत करने वाले अन्ना हजारे ने भी अरविंद केजरीवाल का विरोध किया है। ऐसे ही कुछ नामों की चर्चा हम यहां कर रहे हैं जो पार्टी के कभी सूत्रधार हुआ करते थे लेकिन वे अब पार्टी के साथ नहीं हैं।

योगेंद्र यादव।

योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण को बाहर किया

अन्ना आंदोलन से लेकर आम आदमी पार्टी बनाने तक केजरीवाल ने जिन मुद्दों पर देश में सुर्खियां बटोरी, वो सारे कानूनी दांवपेंच प्रशांत भूषण के जिम्मे थे। प्रशांत पार्टी का थिंक टैंक माने जाते थे। आंतरिक कलह के कारण अरविंद केजरीवाल ने उन्हें बाहर कर दिया। अन्ना आंदोलन से लेकर आप के गठन तक में थिंक टैंक का हिस्सा रहे योगेन्द्र यादव के साथ भी यही हुआ। कहा जाता है आप को शून्य से शिखर तक लाने में इनके राजनीतिक विश्लेषण का भरपूर इस्तेमाल किया गया। इनको भी केजरीवाल की नीतियों का विरोध करना महंगा पड़ा और इन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया।

शांति भूषण।

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शांति भूषण को किनारे किया

पार्टी के वयोवृद्ध और संस्थापक नेता शांति भूषण ने केजरीवाल की तानाशाही के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और आंतरिक लोकतंत्र का सवाल उठाया। उन्होंने पैसे लेकर टिकट बांटने के आरोप भी लगाए। बाद में केजरीवाल की सहमति से उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया।

प्रोफेसर आनंद कुमार।

प्रोफेसर आनन्द कुमार भी हुए बाहर

टीम केजरीवाल में थिंकटैंक का हिस्सा रहे प्रोफेसर आनन्द कुमार ने पार्टी में एक व्यक्ति एक पद की बात उठायी तो उन्हें भी बाहर कर दिया गया।

अजित झा।

अजित झा हो गए आजीज

प्रोफेसर आनन्द कुमार के साथ अजित झा ने भी पार्टी के भीतर लोकतंत्र की आवाज उठाई। आंदोलन और पार्टी में सक्रिय रहे। केजरीवाल ने चर्चित फोन टेप कांड में अजित झा के लिए भी अपशब्द कहे थे। इन्हें भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

किरण बेदी।

किरण बेदी ने भी साथ छोड़ा

अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी ने अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन ‘लोकपाल आंदोलन’ साथ ही किया। दोनों ही टीम अन्ना के अहम सदस्य थे, लेकिन 2011 में शुरू हुआ लोकपाल आंदोलन डेढ़ साल बाद जब एक सामाजिक आंदोलन से एक राजनीतिक पार्टी की तरफ बढ़ चला तो किरण बेदी ने राजनीति में आने से इनकार करते हुए केजरीवाल के साथ चलने से मना कर दिया, और केजरीवाल से अलग हो गईं।

संतोष हेगड़े।

जस्टिस संतोष हेगड़े भी अलग हुए

जनलोकपाल का ड्राफ्ट जिन तीन लोगों ने मिलकर तैयार किया था उनमें से एक हैं जस्टिस संतोष हेगड़े भी थे। अन्ना आंदोलन में सक्रिय जुड़े रहे। बाद में जस्टिस हेगड़े ने टीम अन्ना से दूरी बना ली और खुद को केजरीवाल से अलग हो गए। अरविंद केजरीवाल से उनकी नाराजगी तब जब जाहिर हो गई जब वे उनके शपथग्रहण समारोह में बुलाए जाने के बाद भी नहीं पहुंचे।

शाजिया इल्मी।

शाजिया इल्मी अब भाजपा में

शाजिया इल्मी पत्रकारिता से अन्ना आंदोलन में आईं। आम आदमी पार्टी के चर्चित चेहरों में से एक थीं। शाजिया ने केजरीवाल पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी। अब शाजिया बीजेपी में हैं।

केजरीवाल और कुमार बिन्नी।

विनोद कुमार बिन्नी निकाले गए

दिल्ली में सरकार बनने के बाद सबसे पहले आप में बगावत करने वाले विनोद कुमार बिन्नी पहले विधायक थे। बिन्नी ने खुलकर केजरीवाल के खिलाफ आरोप लगाए। इस वजह से उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। बिन्नी तब से अरविन्द केजरीवाल के साथ थे जब अन्ना आंदोलन शुरू भी नहीं हुआ था।

एमएस धीर

एमएस धीर ने भी लगाए आरोप

आप सरकार में स्पीकर रहे एमएस धीर का अरविन्द केजरीवाल से ऐसा मोहभंग हुआ कि उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी। सिखों के प्रति केजरीवाल की कथनी और करनी में अंतर बताते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ी।

मयंकी गाधी।

मयंक गांधी ने भी साथ छोड़ा

योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण और अन्य लोगों को निकाले जाने के बाद मयंक गांधी ने एक आर्टिकल अपने ब्लॉग पर लिखा। लेख में उन्होंने केजरीवाल पर कई आरोप लगाए। कुछ दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

             

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