अब बांस एक पेड़ नहीं, गैर कृषि भूमि में भी बांस उगा सकेंगे किसान
Shubham Koul 4 Feb 2018 3:55 PM GMT
नई दिल्ली। किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। भारतीय वन कानून में संशोधन के बाद अब बांस एक पेड़ नहीं रह गया। ऐसे में किसान अब गैर कृषि भूमि (non profit land) में भी बांस उगा सकेंगे और बाजार में बेच सकेंगे। यह फैसला किसानों की आय दोगुना करने के लिए सरकार के प्रयासों के बीच लिया गया।
और अपनी आमदनी को बढ़ा सकेंगे
वर्गीकरण के हिसाब से बांस एक घास है, लेकिन भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत इसे कानूनन पेड़ के रूप में परिभाषित किया गया था। अब 90 सालों बाद कानून में संशोधन कर बांस को पेड़ का दर्जा दिए जाने से हटा लिया गया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार के इस फैसले के प्रमुख दो उद्देश्य हैं, एक तरफ जहां इस फैसले से किसान गैर कृषि भूमि पर बांस को उगा सकेंगे और अपनी आमदनी को बढ़ा सकेंगे, वहीं पर्यावरण की दृष्टि से भी सरकार को लाभ मिलेगा।
बांस को काटने की अनुमति हासिल करने में छूट
इस अध्यादेश के जरिये गैर वन्य क्षेत्रों में उगाए जाने वाले बांस को पेड़ की परिभाषा से बाहर कर दिया गया है। यह बांस के पेड़ों को काटने या इसकी ढुलाई के लिये अनुमति हासिल करने से छूट देने में मदद करेगा। अध्यादेश जारी किये जाने से पहले, अधिनियम में पेड़ की परिभाषा में ताड़, बांस, झाड़-झंखाड़ और सरकंडा शामिल थे। इसके जरिये आर्थिक इस्तेमाल के लिये बांस को काटने या उसकी ढुलाई के लिये परमिट की जरुरत को समाप्त कर दिया गया है।
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