स्वामीनाथन आयोग: अगर लागू हो जाएं ये सिफारिशें तो हर किसान होगा पैसे वाला
Anusha Mishra 7 Aug 2018 10:32 AM GMT

लखनऊ। जब भी खेती, किसान का जिक्र आता है, किसान की आमदनी की बात होती है, देश में अनाज के बंपर उत्पादन की बात होती है, हरित क्रांति की बात चलती है एक शख्स का नाम जरुर आता है.. वो हैं प्रो. एमएस स्वामीनाथन। प्रो. स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है, उन्होंने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए जो सुझाव दिए थे, अगर वो पूरी तरह लागू हो जाएं तो किसानों की दशा बदल सकती है। आज प्रो. स्वामीनाथन का जन्मदिन है, चलिए आपको बताते हैं कौन हैं स्वामीनाथन और क्या थी उनकी सिफारिशें
एमएस स्वामीनाथन
7 अगस्त 1925, कुम्भकोणम, तमिलनाडु में जन्मे एमएस स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं। स्वामीनाथन भारत की 'हरित क्रांति' में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिए विख्यात हैं। उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए थे। 'हरित क्रांति' कार्यक्रम के तहत ज़्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज ग़रीब किसानों के खेतों में लगाए गए थे।
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इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर 25 वर्ष से कम समय में आत्मनिर्भर बना दिया था। उस समय से भारत के कृषि पुनर्जागरण ने स्वामीनाथन को 'कृषि क्रांति आंदोलन' के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति दिलाई। उनके द्वारा सदाबाहर क्रांति की ओर उन्मुख अवलंबनीय कृषि की वकालत ने उन्हें अवलंबनीय खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विश्व नेता का दर्जा दिलाया। एमएस स्वामीनाथन को 'विज्ञान एवं अभियांत्रिकी' के क्षेत्र में 'भारत सरकार' द्वारा सन 1967 में 'पद्म श्री', 1972 में 'पद्म भूषण' और 1989 में 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था।
क्यों बना था स्वामीनाथन आयोग
अन्न की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करने, इन दो मकसदों को लेकर 2004 में केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स का गठन किया। इसे आम लोग स्वामीनाथन आयोग कहते हैं। इस आयोग ने अपनी पांच रिपोर्टें सौंपी। अंतिम व पांचवीं रिपोर्ट 4 अक्तूबर, 2006 में सौंपी गयी लेकिन इस रिपोर्ट में जो सिफारिशें हैं उन्हें अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।
Warm birthday greetings to the architect of India's Green Revolution Dr. @msswaminathan. On behalf of every Indian, especially the farmers, I applaud your gallant effort in making India self-sustainable in food production. May God bless you with good health and long life.
— Radha Mohan Singh (@RadhamohanBJP) August 7, 2018
क्या हैं आयोग की सिफारिशें
भूमि सुधार के लिए
इस रिपोर्ट में भूमि सुधारों की गति को बढ़ाने पर खास जोर दिया गया है। सरप्लस व बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटना, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने के हक यकीनी बनाना व राष्ट्रीय भूमि उपयोग सलाह सेवा सुधारों के विशेष अंग हैं।
किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए
अयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने व वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है। एमएसपी औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है ताकि छोटे किसान भी मुकाबले में आएं, यही ध्येय खास है। किसानों की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछेक नकदी फसलों तक सीमित न रहें, इस लक्ष्य से ग्रामीण ज्ञान केंद्र व मार्केट दखल स्कीम भी लांच करने की सिफारिश रिपोर्ट में है।
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सिंचाई के लिए
सभी को पानी की सही मात्रा मिले, इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग व वाटर शेड परियोजनाओं को बढ़ावा देने की बात रिपोर्ट में वर्णित है। इस लक्ष्य से पंचवर्षीय योजनाओं में ज्यादा धन आवंटन की सिफारिश की गई है।
फसली बीमा के लिए
रिपोर्ट में बैंकिंग व आसान वित्तीय सुविधाओं को आम किसान तक पहुंचाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। सस्ती दरों पर क्रॉप लोन मिले यानि ब्याज़ दर सीधे 4 प्रतिशत कम कर दी जाए। कर्ज उगाही में नरमी यानि जब तक किसान कर्ज़ चुकाने की स्थिति में न आ जाए तब तक उससे कर्ज़ न बसूला जाए। उन्हें प्राकृतिक आपदाओं में बचाने के लिए कृषि राहत फंड बनाया जाए।
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उत्पादकता बढ़ाने के लिए
भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही खेती के लिए ढांचागत विकास संबंधी भी रिपोर्ट में चर्चा है। मिट्टी की जांच व संरक्षण भी एजेंडे में है। इसके लिए मिट्टी के पोषण से जुड़ी कमियों को सुधारा जाए व मिट्टी की टेस्टिंग वाली लैबों का बड़ा नेटवर्क तैयार करना होगा और सड़क के ज़रिए जुड़ने के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया जाए।
खाद्य सुरक्षा के लिए
प्रति व्यक्ति भोजन उपलब्धता बढ़े, इस मकसद से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूल सुधारों पर बल दिया गया है। कम्युनिटी फूड व वाटर बैंक बनाने व राष्ट्रीय भोजन गारंटी कानून की संस्तुति भी रिपोर्ट में है। इसके साथ ही वैश्विक सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाई जाए जिसके लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 1% हिस्से की जरूरत होगी। महिला स्वयंसेवी ग्रुप्स की मदद से 'सामुदायिक खाना और पानी बैंक' स्थापित करने होंगे, जिनसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को खाना मिल सके। कुपोषण को दूर करने के लिए इसके अंतर्गत प्रयास किए जाएं।
ICAR Remembers and Pays respect to Prof. M. S. Swaminathan on his 93rd Birthday! @RadhamohanBJP @gssjodhpur @AgriGoI @DOAHDF @DDKisanChannel @PIB_India pic.twitter.com/9idbshPSwa
— ICAR (@icarindia) August 7, 2018
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