महाराष्ट्र में गिरे ओले, अगले 3 दिन छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड के लिए भारी, इन राज्यों के लिए जारी है अलर्ट

Arvind ShuklaArvind Shukla   19 March 2020 7:43 AM GMT

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भारत में मौसम से होने वाले नुकसान का एक दौर शुरु हो गया है। 18 मार्च को महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ इलाके में तेज बारिश के साथ ओले गिरे, जिससे गेहूं, चना और ज्वार की फसल को नुकसान पहुंचा है। देश के बड़े इलाके में पहले ही बेमौसम बारिस और ओले गिरने से अनाज और सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान पहुंच है।

"अमरावती संतरा बेल्ट है, परसों (17 मार्च) को बहुत तेज बारिश के साथ ओले गिए, जिससे संतरे के फल गिए गए, जो बच गए थे वो अब पीले होकर नीचे गिर रहे हैं। अभी ज्यादातर बागों में संतरा नींबू के बराबर दाने का है। मेरे पास 8 एकड़ गेहूं था जिसमें से 2 एकड़ बचा है क्योंकि तेज आंधी और बारिस से वो सब गिर गया।" महाराष्ट्र में अमरावती जिले के किसान गजानंद खड़गे फोन पर बताते हैं। अमरावती और नागपुर समेत महाराष्ट्र के कई जिलों में संतरे और मोंसबी की बड़े पैमाने पर खेती होती है, जिन्हें नुकसान पहुंचा है।


विदर्भ के साथ ही महाराष्ट्र के मराठवाड़ा के उस्मानाबाद, लातूर और बीड़ में 18 मार्च की रात को ओले गिरे। उस्मानाबाद में उमरगा तालुका के किसान अशोक पवार बताते हैं, यहां रात में करीब 9 बजे से 10 बजे तक बारिश और ओले गिरे। जिससे गेहूं, चना और ज्वार की फसल को नुकसान पहुंचा है। क्योंकि ज्यादातर फसलें कट कर खेत में पड़ी हुई हैं। गेहूं चना तो किसान हार्वेटिंग के बाद घर भी ले जाए हैं लेकिन ज्वार खेतों में है।"

अमरावती संतरा बेल्ट है, तेज बारिश के साथ ओले गिए, जिससे संतरे के फल गिए गए, जो बच गए थे वो अब पीले होकर नीचे गिर रहे हैं। अभी ज्यादातर बागों में संतरा नींबू के बराबर दाने का है। मेरे पास 8 एकड़ गेहूं था जिसमें से 2 एकड़ बचा है।- गजानंद खड़गे, किसान

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लातूर में कर्नाटक से जुड़े उस्तरी गांव के किसान महारुद्र शेट्टी फोन पर गांव कनेक्शन को बताते हैं, मराठवाड़ा में फल के किसानों (पपीता, अंगूर) को किसानों को ज्यादा नुकसान हुआ है। क्योंकि गेहूं और ज्वार तो 80-90 फीसदी कटकर घर पहुंच गया है। जिनका खेत में रह गया उनका तो नुकसान होना ही है। अभी आगे भी मौमस खराब है।" लातूर के उधीर में नुकसान की ख़बर है तो, बीड़ में भी ओलावृष्टि हुई है। इससे पहले 29 फरवरी को नाशिक के सटाना इलाके में ओलावृष्टि हुई थी।

महाराष्ट्र जैसे रेन फेड (वर्षा आधारित सिंचाई) इलाकों में फसलों की हार्वेटिंग (पकी फसल की कटाई) हरियाणा, यूपी पंजाब जैसे सिंचाई की सुविधा वाले प्रदेशों की तुलना में जल्दी होती है।

भारतीय मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में 18 मार्च से लेकर 22 मार्च तक महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिमी बंगाल, झारखंड, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में बारिश, ओले, तेज हवाओं की आशंका जताई थी। इससे पहले 1 मार्च से लेकर 16 मार्च तक देश के 683 जिलों में से 381 में लार्ज एक्सेस बारिश (अतिवृष्टि) हो चुकी है। इनमें कई कई राज्य ऐसे हैं जिनमें 95 फीसदी से ज्यादा क्षेत्रफल मौसम की चपेट में आया है।

अकेले उत्तर प्रदेश में 1 मार्च से 15 मार्च तक बारिश में यूपी के अतिप्रभावित 35 जिलों में 255 करोड़ का नुकसान का आंकलन किया गया है। इससे पहले यूपी में साल 2018 में मौसम से इतनी बड़ी तबाही हुई थी, लेकिन उस वक्त सिर्फ बुंदेलखंड समेत 7 जिले ही प्रभावित हुए थे।

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मौसम विभाग ने अपनी ताजा चेतावनी में 19 से लेकर 21 मार्च के लिए कई राज्यों के लिए ओरेज अलर्ट जारी किया है। जिसका मतलब है कि उन क्षेत्रों में गरज के साथ ओले, बारिश और 30-40 किलोमीटर प्रति घंटा की हवा हवा चल सकती है, जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है।

मौसम विभाग के अनुसार 19 मार्च को पूर्वी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के विदर्भ, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में सबसे ज्यादा मौसम का प्रकोप रहेगा। यहां बारिश और ओलावृष्टि दोनों की आशंका है जबकि तेंलगाना, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और असम में सिर्फ बारिश की चेतावनी जारी है।

छत्तीसगढ़-झारखंड के किसानों के लिए मुश्किल

20 मार्च को एक बार फिर छत्तीसगढ़ , ओडिशा और झारखंड में मौसम नुकसान पहुंचा पहुंचा सकता है। मौसम विभाग ने 20 मार्च के लिए ओरेंज अलर्ट जारी किया है। शुक्रवार को पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूरी राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र के विदर्भ और पश्चिम बंगाल में बारिश हो सकती है।

21 मार्च के लिए मौसम विभाग का पूर्वानुमान। फोटो- IMD की वेबसाइट से

21 मार्च को यूपी से लेकर दिल्ली पंजाब तक बारिश और ओले की चेतावनी

21 मार्च के लिए ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। यहां तेज बारिश, ओलावृष्टि, आकाशीय बिजली और 30-40 की रफ्तार से हवा चल सकती है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंड़ीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए मौसम विभाग ने बारिश की चेतावनी जारी की है।

22 और 23 मार्च एक बार फिर ओडिशा के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के भी कई जिलों में बारिश, ओलावृष्टि और लाइटिंग हो सकती है। इसके बाद मौसम साफ हो सकता है।

मौसम की जानकारी देने वाली निजी संस्था स्काईमेट वेदर में मेट्रोलॉडी और क्लाईमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) के वाइस प्रेसीडेंट महेश पालावत कहते हैं, 18 से 20 तक एक बार फिर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिससे कुछ राज्यों में बारिश और ओले गिर सकते हैं लेकिन ये काफी कम होगा। इसके अलावा 23 मार्च को भी कुछ जगह मौसम बिगड़ सकता है।'

मौसम बिगड़ने की वजह पश्चिमी विक्षोभ है। साल के मार्च 2020 में पश्चिम विक्षोभ लगातार सक्रिय है। ये पहले भी होता था लेकिन वो हिमालयी रीजन में उसका असर रहता था।- एमएल खिच्चर, प्रोफेसर और मौसम विशेषज्ञ

स वक्त पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा सक्रिय हैं। ये पहले जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि में पहले भी सक्रिय रहते थे लेकिन इस बार पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत में काफी सक्रिय है। ये पहले भी बनता रहा है, साल 2020 के मार्च में इसकी फ्रीक्वेंसी (त्रीवता) लगातार बढ़ी है।)

हरियाणा कृषि विश्वविद्लाय हिसार में प्रोफेसर और कृषि मौसम विभाग के नोडल अधिकारी एमएल खिच्चर कहते हैं, इस वक्त पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा सक्रिय हैं। ये पहले जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि में पहले भी सक्रिय रहते थे लेकिन इस बार पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत में काफी सक्रिय है। ये पहले भी बनता रहा है, साल 2020 के मार्च में इसकी फ्रीक्वेंसी (त्रीवता) लगातार बढ़ी है।)

महाराष्ट्र में पिछले साल सितंबर से लेकर नवंबर तक हुई भारी (मानसून के लंबा खिंचने) से किसानों को भारी नुकसान हुआ था। पानी को तरसने वाले मराठवाड़ा में सोयाबीन, कपास और ज्वार-बाजरे की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था। जबकि नाशिक, सांगली, सतारा और पुणे में प्याज, टमाटर और अंगूर की फसल बर्बाद हुई थी, प्याज की फसल में नुकसान के चलते इस पिछले साल काफी कम उत्पादन हुआ जिसके चलते प्याज फुटकर में 200 रुपए किलो तक पहुंच गया था। नाशिक के सटाना, मालेगांव आदि इलाकों में अंगूर की फसलों को नुकसान पहुंचा था। संबंधित ख़बरें यहां पढ़ें

महाराष्ट्र में पिछले साल हुई मौसम से नुकसान के चलते अब किसानों को फसल बीमा का मुआवजा दिया जा रहा है। सोयाबीन के लिए क्षेत्र में हुए नुकसान के मुताबिक 13500 रुपए प्रति हेक्टेयर का भुगतान बीमा कंपनियां कर रहा है। उस्मानाबाद के किसान अशोक पवार के मुताबिक फसल बीमा के 13500 रुपए (प्रति हेक्टेयर) से पहले एनडीआरफ (आपदा के तहत) भी 8700 रुपए प्रति हेक्टेयर मिले थे, इसतरह किसानों को काफी कुछ सहूलियत हुई है।"

साल 2019 में दैवीय आपदा से महाराष्ट्र में भारी नुकसान और किसानों की आत्महत्यों के बाद महाराष्ट्र में नई बनी उद्धव ठाकरे सरकार ने किसानों का 2 लाख रुपए तक का फसली कर्ज़ माफ किया था, जिसकी प्रक्रिया जारी है। अशोक पवार बताते हैं, कि जिन किसानों का कर्ज़ा माफ हुआ है उन्हें सरकार ने 10 नंबर का एक विशिष्ट क्रमांक दिया है, किसान को वो नंबर और अपना आधार कार्ड लेकर सरकार के सूचना केंद्रों पर जाना है, जिसके बाद 15 दिन में प्रमाणीकरण की कार्यवाही पूरी होने के बाद पैसा बैंक खातों में आ जा रहा है।'

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