सिर्फ गोबर की खाद के इस्तेमाल से इस किसान को 3 एकड़ में मिली 51 कुंतल बंसी गेहूं की उपज 

Neetu SinghNeetu Singh   30 Aug 2018 9:15 AM GMT

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सिर्फ गोबर की खाद के इस्तेमाल से इस किसान को 3 एकड़ में मिली 51 कुंतल बंसी गेहूं की उपज 

एक तरफ जहां किसान बेहतर उपज लेने के लिए बाजार से कई तरह की खादें और रासायनिक दवाइयां खरीदते हैं, वहीं मध्य प्रदेश के एक युवा किसान ने तीन एकड़ में सिर्फ गोबर की खाद डालकर 51 कुंतल बंसी गेंहूं की बेहतर पैदावार ली है। यह उपज औसतन बंसी गेहूं की उपज से ज्यादा है। इसका बाजार भाव चार हजार प्रति कुंतल की बिक्री से शुरू है।

मध्य प्रदेश के रतलाम जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर ईसरथूनी गांव में रहने वाले युवा किसान अम्बर जाट (28 वर्ष) को जैविक खेती करने की प्रेरणा खरगौन जिले के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पीएस बारचे से मिली है।

अम्बर जाट गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "पहली बार मैंने बिना रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों के गेहूं की खेती की है। गेहूं की पूरी फसल में बुवाई के समय ही एक एकड़ में दो ट्राली गोबर की खाद डाली थी, इसके अलावा तीन बार पानी लगाया। लागत बीज और तीन पानी की ही आयी है, पहली बार में ही तीन एकड़ में 51 कुंतल बंसी गेहूं का उत्पादन हुआ है।"

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बंसी गेहूं में18 पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं

वो आगे बताते हैं, "अगर बुवाई से कटाई तक एक एकड़ में कुल लागत की बात करें तो 10,000 रुपए ही लागत आयी है। वैसे रासायनिक खादों का जब प्रयोग करते थे तो एक एकड़ की लागत 20,000 रुपए आती थी, जबकि दूसरे गेहूं और बंसी गेहूं के उत्पादन में कोई अंतर नहीं आता है।"

महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान पद्मश्री सुभाष पालेकर अपने शिविरों में किसानों को देसी बीज और जीरो बजट खेती करने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं। बंसी गेहूं के बारे में उनका कहना है, "इस गेहूं को खाने से मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है, क्योंकि इसमें ग्लूकोज की मात्रा काफी कम रहती है। इसके अलावा अन्य गंभीर बीमारियों में भी गेहूं कारगर है। यह आसानी से पच जाता है।"

खरगौन के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पीएस बारचे बताते हैं, "बंसी गेहूं औसतन एक एकड़ में 12 से 14 कुंतल होता है। रतलाम की मिट्टी बहुत अच्छी है इसलिए अम्बर के खेत में औसत से ज्यादा गेंहूं पैदा हुआ है। ये बाजार में चार हजार से पांच हजार रुपए कुंतल आसानी से बिक जाता है।"

वो आगे बताते हैं, "देशी बीज किसी भी फसल का हो उसे संरक्षित करने की जरूरत है। जैसे बंसी गेहूं वर्षों पुराना गेहूं है, पंजाब और महाराष्ट्र की लैब में इस गेहूं का परिक्षण कराया गया जिसमें 18 पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जबकि बाकी गेहूं में आठ नौ प्रतिशत ही पोषक तत्व होते हैं। इस समय देश कुपोषण से गुजर रहा है इसलिए देसी बीजों को बचाना बहुत जरूरी है क्योंकि सबसे ज्यादा पोषक तत्व देसी बीजों में ही पाए जाते हैं।"

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