निजी अस्पतालों को मात दे रही यह पीएचसी, ऑक्सीजन प्लांट और न्यू बाेर्न केयर यूनिट जैसी हैं सुविधाएं

पीएचसी की सूरत बदली और स्टाफ ने बढ़िया काम किया तो स्थानीय लोगों ने भी इसका रूख करना शुरू किया, इस समय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ओपीडी करीब 200-250 के बीच है

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   24 July 2019 1:30 PM GMT

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निजी अस्पतालों को  मात दे रही यह पीएचसी, ऑक्सीजन प्लांट और न्यू बाेर्न केयर यूनिट जैसी हैं सुविधाएं

गोरखपुर/लखनऊ। ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवाओं की पहली सीढ़ी यानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का जहां बुरा हाल है वहीं उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर मुख्यालय से करीब 75 किलोमीटर दूर डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपने आप में एक पूर्ण अस्पताल है। यहां पर मौजूद चिकित्सकीय सुविधाएं किसी भी बड़े अस्पताल को मात देती हैं। डेरवा पीएचसी सूबे की एकमात्र ऐसी पीएचसी है जहां केंद्रीकृत आक्सीजन प्लांट से ईटीसी वार्ड, जेएसवाई वार्ड, इमरजेंसी वार्ड और लेबर रूम में आक्सीजन की सप्लाई होती है। यहां अलग से न्यू बार्न केयर यूनिट भी बनाया गया है।

वर्ष 2017 के बाद किये गये बदलावों का असर यह रहा कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के कायाकल्प योजना के तहत इस पीएचसी ने 84.7 अंकों के साथ पूरे यूपी में पहला स्थान प्राप्त किया है। तत्कालीन नोडल अधिकारी डा. एनके पांडेय ने बताया, " पीएचसी के भीतर बड़ी-बड़ी घासें थीं। आसपास के गांवों के लोग भी डेरवा इलाज करवाने की तुलना में सीएचसी बड़हलगंज जाना अधिक पसंद करते थे। वर्ष 2017 में भारत सरकार के कायाकल्प योजना में आने के बाद मैंने इस पीएचसी को गोद ले लिया। यह चुनौती स्वीकार की कि दूरस्थ क्षेत्र में स्थित इस पीएचसी का उत्थान कराऊंगा। कार्य बड़ा ही दुष्कर था क्योंकि जिले का कोई भी स्टाफ इतनी दूर तैनाती लेकर काम करने में रूचि नहीं रख रहा था। मैंने कर्मचारियों को लगातार प्रेरित करना शुरू किया।"

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डॉक्टर पांडेय ने आगे बताया, " सबसे पहले यहां के जर्जर भवनों की मरम्मत, रंगाई-पुताई और साफ-सफाई करायी गयी। जननी सुरक्षा वार्ड (जेएसवाई वार्ड) की सफाई करायी गयी और उसे व्यवस्थित किया गया। टीकाकरण कक्ष और कोल्ड चेन का कक्ष एक अलग ब्लाक में कर दिया गया। जेएसवाई वार्ड में एएनसी क्लिनिक, प्री लेबर रूम, ऑटो क्लेव रूम और लेबर रूम एक साथ किये गये हैं। वहीं वार्ड के सामने के ब्लाक में फीमेल वार्ड के साथ केएमसी कार्नर व एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग कार्नर बनाया गया है।"


भवनों की मरम्मत व साफ-सफाई के बाद डेरवा पीएचसी के आसपास के 206 गांवों में अच्छा संदेश गया। यहां के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. चंद्रशेखर गुप्ता स्टाफ के साथ यहां रात्रिकालीन निवास करने लगे तो बदलावों में और तेजी आई। पगडंडी को सड़क में बदला गया। पीएचसी के बाहर एक बड़ा सा गड्ढा था जिसे पटवा कर साफ-सुथरा करवाया गया। इस गड्ढे पर हर्बल गार्डेन लगवा कर इसे आशा कार्यकर्ताओं को समर्पित करने की योजना है। पीएचसी परिसर में एक रैन बसेरा भी बनाया गया है। परिसर के भीतर एक हर्बल गार्डेन बनाया गया जहां मदार, घृतकुमारी समेत दर्जनों प्रकार के औषधीय पौधे लगाए गए।

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पीएचसी की सूरत बदली और स्टाफ ने समर्पित भाव से काम किया तो स्थानीय लोगों ने भी इसका रूख करना शुरू किया। इस समय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ओपीडी करीब 200-250 के बीच है। संस्थागत प्रसव 2017 के पहले तुलना में 25 से बढ़ कर 100 (प्रति माह) के करीब पहुंच गया है। प्रत्येक सप्ताह जहां 05 से 10 नियमित टीकाकरण होता था, वहीं अब यह संख्या 50 के करीब पहुंच चुकी है। डेरवा पीएचसी के भीतर एक किचेन बनाने की भी योजना चल रही है जहां से भर्ती मरीजों को ताजा व पौष्टिक भोजन दिया जा सके।


डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पब्लिक एनाउंसमेट सिस्टम भी लगा हुआ है जहां से इमरजेंसी की परिस्थिती में किसी भी स्टाफ को एनाउंस करके बुलाया जाता है। यहां के कुल 09 सरकारी आवासों में प्रभारी चिकित्साधिकारी समेत एक चिकित्साधिकारी, 2 स्टाफ नर्स, 2 एएनएम, 01 फार्माशिस्ट और वार्डब्याय रात्रिकालीनी निवास करते हैं और कभी भी इनकी सेवाएं मरीजों को प्राप्त हो जाती हैं। एक आवास में किचेन बनाने का काम चल रहा है।

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