रिटर्न आफ दी इन्फिडेल : महात्मा गांधी नहीं , जिन्ना थे आधुनिक भारत के निर्माता

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रिटर्न आफ दी इन्फिडेल : महात्मा गांधी नहीं , जिन्ना थे आधुनिक भारत के निर्मातामोहम्मद अली जिन्ना और महात्मा गांधी। 

नई दिल्ली (भाषा)। मोहम्मद अली जिन्ना इतिहास में दर्ज एक ऐसा नाम है जिसे आजाद हिंदुस्तान का हर बाशिंदा नफरत के साथ याद करता है। देश विभाजन की बहुत ही कड़वी यादें जेहन में आ जाती हैं लेकिन हाल की एक किताब में दावा किया गया है कि अगर जिन्ना मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग पर अड़े नहीं रहते तो साल 2050 तक अविभाजित हिंदुस्तान में मुसलमानों की आबादी 75 करोड़ हो जाती ।

यह विश्व में सबसे बड़ा मुस्लिम देश होता। इस लिहाज से जिन्ना एक महान हिंदुस्तानी थे जिन्होंने हिन्दुस्तान को हिन्दुस्तान ही रहने दिया, उसे मुस्लिम देश होने से बचा लिया।

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ये दावे चौंका सकते हैं और साथ ही संशय भी पैदा करते हैं लेकिन हिंदुस्तान के इतिहास पर लिखी गई एक किताब में ऐसा ही कुछ सोचने को मजबूर करने वाले दावे किए गए हैं। ‘रिटर्न आफ दी इन्फिडेल’ में हिंदुस्तान के इतिहास को आइने के दूसरी ओर से देखने की कोशिश की गई है और यही कोशिश इतिहास की एक नई तस्वीर पेश करती है जो उस तस्वीर से एकदम अलहदा है जिसे हम आज तक देखने के आदी रहे हैं।

अंग्रेजी समाचारपत्र द हिंदू के कंसल्टिंग एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र पंडित द्वारा लिखी गई किताब कहती है, ‘गांधी नहीं, जिन्ना आधुनिक भारत के राष्ट्रपिता थे। यह जिन्ना ही थे जो प्रसिद्ध लोककथा ‘बांसुरीवाला’ की तरह अपना ‘पाइड पाइपर’ बजाते हुए हिंदुस्तान से एकेश्वरवाद की अवधारणा को देश से बाहर ले गए थे। मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग पर जिन्ना के डटे रहने के कारण ही लाखों मुसलमान दुनिया के एक नए भूगौलिक क्षेत्र और राजनीतिक सचाई से रूबरू हुए थे जिसे पाकिस्तान नाम दिया गया था।’

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वीरेन्द्र पंडित लिखते हैं, ‘यदि लाखों मुसलमान अपने नए देश पाकिस्तान नहीं जाते तो, कल्पना करिए, साल 2050 तक अविभाजित हिंदुस्तान में मुसलमानों की आबादी 75 करोड़ हो जाती और यह विश्व में सबसे बड़ा मुस्लिम देश होता। इस लिहाज से जिन्ना, गौतम बुद्ध, चाणक्य और आदिशंकर के बाद सबसे महान हिंदुस्तानी थे।’ लेखक का कहना है कि महात्मा गांधी ने यह दिखावा किया था कि वह बंटवारे के हक में नहीं थे लेकिन कहीं गहराई में उन्हें इस बात को लेकर संतोष था कि बंटवारे के बाद हिंदुस्तान एक ऐसा देश होगा जो अपनी हिंदू विरासत और मूल्यों के अनुसार जीवन जी सकेगा।

वह कहते हैं, ‘गांधी ने जिन्ना को पाकिस्तान की मांग करने के लिए प्रोत्साहित किया और इसके गठन के साथ ही हिंदुस्तान का मध्ययुगीन काल समाप्त हो गया।’ “रिटर्न आफ दी इन्फिडेल” एक कहानी है जो बताती है कि हिंदुस्तान ने किस तरह ईसाइयत और इस्लाम को भारतीय उप महाद्वीप से बाहर का रास्ता दिखाया। यह किताब मुख्य रूप से सभ्यताओं के विकास और विनाश की कहानी है। किताब में कहा गया है कि भारत, चीन और जापान के प्राचीन धर्मों में आस्था रखने वालों को ईसाइयत और इस्लामी काफिर मानते हैं। इन दोनों धर्मों ने पिछले दो हजार साल में या तो धर्मांतरण से या फिर दूसरे जरिए से इन्हें मिटाने की कोशिश की।

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लेखक के मुताबिक यह कालखंड विश्व पटल पर उन्हीं काफिरों की वापसी का है। इसकी शुरआत 1904 में जापान के हाथों रूस की शिकस्त से हुई है। यह किताब बताती है कि किस तरह से प्राचीन सभ्यताओं और संस्कृतियों ने अपनी केंचुली उतारी और खुद को नया जीवन प्रदान किया। 19वीं और 20वीं शताब्दी में, विश्व यूरोपीय और जापानी शक्तियों के उत्थान, पतन और विनाश का गवाह बना और उधर, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक शक्ति का पलड़ा अमेरिका और उसके समकालीन सोवियत संघ की ओर झुक गया और अब 21वीं सदी में यह धीरे-धीरे ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) की ओर करवट ले रहा है।

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किताब के एक अध्याय “द पाइप्ड पाइपर” में कहा गया है कि जिन्ना में हर वो खूबी थी जो उनके अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी महात्मा गांधी में नहीं थीं। हालांकि जिन्ना और गांधी का समीकरण एक और एक, दो का था, दोनों मिलकर एक-दूसरे को पूरा करते थे और वो उस कहानी के प्रमुख किरदार थे जिसमें हिंदुस्तान में इस्लाम का उत्थान और पतन हुआ।

         

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