किसान आंदोलन का तीसरा चरण आज गुजरात के बारदोली से शुरू

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किसान आंदोलन का तीसरा चरण आज गुजरात के बारदोली से शुरूकिसान आंदोलन।

नई दिल्ली। पिछले दिनों देश भर के करीब 187 किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के संसद मार्ग पर आंदोलन किया था। आज से ये आंदोलन दोबारा गुजरात के बारदोली में शुरू हुआ। आज से 26 जनवरी तक किसान मुक्ति अभियान चलेगा। पिछले दिनों हुए किसान मुक्ति संसद में योगेंद्र यादव ने इस आंदोलन की घोषणा की थी। गुजरात का यह गांव सरदार पटेल की जन्मभूमि और कर्मभूमि है। 26 नवम्बर के दिन ही सरदार पटेल ने गुजरात के बारदोली से किसान आंदोलन की शुरुआत की थी।

26 जनवरी को किसान दिवस मनाया जाएगा। देश मे अब कहीं भी MSP से नीचे फसल को नहीं बिकने दिया जाएगा। देश मे कहीं भी किसान की कुर्की नहीं होने दी जाएगी। कर्ज लिए किसी भी किसान का फोटो बैंक वालों को इश्तेहार में नहीं छापने दिया जाएगा, किसान मुक्ति अभियान की यह मांग है। इस बारे में जनकारी देते हुए स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि पिछले दिनों दिल्ली के संसद मार्ग पर आयोजित 'किसान मुक्ति संसद' में एकत्र हुए हजारों किसानों ने यह प्रण लिया है कि किसानों को आवाज को अब कोई दबा नही सकता।

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योगेंद्र यादव ने कहा कि सभी किसान नरेंद्र मोदी की ओर ऊँगली उठा कर इशारा कर रहे हैं कि उन्होंने किसानों को गर्त में धकेल दिया है। उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी जी के पास उनके निवास और कार्यालय से 5 मिनट की दूरी पर रहने वाले किसानों से आकर मिलने तक का समय नहीं था। ऐसे में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने आगे के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए एक अभियान शुरू करने का निर्यण लिया। इसके लिए एक देशव्यापी अभियान 26 नवंबर आज से उस दिन शुरू किया गया जिस दिन देश के संविधान को अंतिम रूप दिया गया था और यह अभियान का समापन 26 जनवरी को उस दिन होगा जब हमारे संविधान को मंजूरी दी गई थी।

योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी व्यस्त व्यक्ति हैं। उनके पास दिल्ली में हमसे मिलने का समय नहीं है। वो शायद गुजरात में व्यस्त हैं, इसलिए हम वहाँ जाकर इस अभियान की शुरुआत कर रहे हैं।

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स्वराज इंडिया के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट शेयर की गई, जिसमें लिखा हुआ है कि भारत के किसान दशकों से खेमों में बंटा था। कभी क्षेत्र के आधार पर, कभी अलग-अलग फसल की खेती के आधार पर, तो कभी भूमिहीन और जमींदार के नाम पर। यहाँ तक की जाति और मज़हब के नाम पर किसान विभाजित थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आज समूचे देश का किसान अपने विरूद्ध दशकों से किये जा रहे अन्याय/शोषण के ख़िलाफ़ एकजुट हो रहा है। और किसान संगठन जो पहले अलग-अलग रंग के झंडों में बंटकर संघर्ष करते थे अब साथ आ रहे हैं। किसानी एकता आज के दौर की सबसे बड़ी घटना है। आज किसान आंदोलनों को युवाओं का नेतृत्व मिल रहा है।

किसानों की मांगें हैं कि देश में कहीं भी एमएसपी से नीचे फसल को नहीं बिकने दिया जाए। देश मे कहीं भी किसान की कुर्की नहीं होने दिया जाए और कर्ज लिए किसी भी किसान का फोटो बैंक वालों को इश्तेहार में नहीं छापने दिया जाए।

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