नीम : एक सस्ता घरेलू जैविक कीटनाशक 

Vineet BajpaiVineet Bajpai   27 Dec 2017 1:53 PM GMT

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नीम : एक सस्ता घरेलू जैविक कीटनाशक नीम एक जैविक कीटनाशक।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। लगातार बढ़ती आबादी का सीधा प्रभाव खाद्यान पर है। पिछले वर्षों में अनाज का उत्पादन तो बढ़ा है, लेकिन अगर इसे सावधानी से संरक्षित न किया जाए तो इसमें घुन, कीड़े, सूड़ी व फंफूंद लगने का खतरा बढ़ जाता है।

अनाज को सुरक्षित रखने के लिए आज जो कीटनाशी या रसायन प्रयोग में लाये जाते हैं वे जहरीले होते हैं जिसके कारण लोगों पर इसका बुरा असर पड़ता है। जबकि पुराने समय से ही हमारे पास एक ऐसा कीटनाशक है जिसके इस्तेमाल से न तो कोई समस्या होती है और न ही अनाज खराब होता है और वो कीटनाशक है नीम। पहले ज्यादा तर लोग अनाज को सुरक्षित रखने के लिए इसी का इस्तेमाल करते थे। आइये हम आपको बताते हैं कि कैसे आप नीम का इस्तेमाल करके आप अपने अनाज को सुरक्षित रख सकते हैं।

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किटनाशक के तौर पर नीम का प्रयोग

  • जब आप अनाज को इकट्ठा करके रख रहे हों तो उस समय अनाज में सूखी नीम की पत्तियां मिला दें इससे उसमें घुन और अन्य कीड़े मकोड़े नहीं लगते हैं और अनाज सुरक्षित रहता है।
  • जहां पर अनाज रख रहे हों वहां पर अनाज रखने से पहले लगभग 3-4 इंच सूखी पत्तियों की परत सतह पर विछा देना चाहिए, इस प्रकार क्रमशः लगभग 2 फीट तक अनाज भरने के पश्चात पत्तियों की एक-एक तह को लगाते जायें इससे आपका अनाज सुरक्षित रहता है।
  • किसान अनाज को बोरियों में भी भरकर रख देते है। इसके लिए जिस बोरे में अनाज भर रहे हों उस बोरे को पहले नीम की पत्तियां ड़ालकर उबाले गये पानी में रात भर के लिए भिगो दें फिर बोरे को छांव में सुखा लें उसके बाद उसमें अनाज भरें।
  • दालों के भण्डारण के लिए एक किलो दाल में एक ग्राम नीम का तेल ऐसे मिलाएं जिससे वह पूरी तरह से फैल जाये, जब दालों को पुनः प्रयोग में लाना हो तब उसे अच्छी तरह धो कर इस्तेमाल करें, समय के साथ नीम के तेल की महक धीरे-धीरे कम होने लगती है। जब दलहन को बुवाई के लिए तैयार करना हो तो उस स्थिति में एक किलो दाल बीज में 2 ग्राम नीम तेल की आवश्यकता पड़ती है। जो जैविक विधि का घोलक है।
  • नीम की पकी हुई निबौली (फल) को 12-18 घंटे पानी में भिगोयें उसके बाद भीगी हुई निबौली को लकड़ी के ड़ण्ड़े से चलायें जिससे निबौली के बीज का छिलका व गूदा अलग हो जाये, गूदे को निकालकर छाया में सुखायें, सूखे हुए गूदे को बारीक पीस कर पाउड़र बनायें पाउड़र को बारीख सूती कपड़े मे पोटली बनाकर शाम को पानी में भिगो दें। सुबह पोटली को दबाकर रस निकाल लें और पोटली में जो बते उसे फेंक दें और रस में 1 प्रतिशत साबुन मिलाऐं, तैयार निबौली कीटनाशक का खेत में छिड़काव करें।
  • एक हेक्टेअर क्षेत्र में छिड़काव हेतु 5 प्रतिशत घोल तैयार करने के लिए 25 कि.ग्रा. निबौली 500 लीटर पानी तथा 5 किग्रा.साबुन की आवश्यकता होती है। नीम सस्ता, सुरक्षित एवं आसानी से गाँवों में मिल जाती है।

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