अभी और बढ़ेगी महंगाई, आरबीआई ने दिए संकेत

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अभी और बढ़ेगी महंगाई, आरबीआई ने दिए संकेतअभी और महंगाई के लिए रहें तैयार।

लखनऊ। महंगाई की मार से फिलहाल आपको कोई राहत नहीं मिलने जा रही है बल्कि अगले छह महीनों में इसके बढ़ने के संकेत दिख रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बुधवार को ब्याज दरों में बदलाव न करने का ऐलान किया। आरबीआई ने आर्थिक विकास दर के अनुमान को 7.3 प्रतिशत से घटाकर 6.7 प्रतिशत किया है। वहीं, आने वाले छह महीनों में महंगाई दर 4.2 से 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के बढ़ते दाम और खरीफ फसल उत्पादन को लेकर अनिश्चितता की वजह से केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में कहा है कि शेष बचे वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का रास्ता कई कारकों से तय होगा।

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दीपावली के दौरान कम कीमत पर कर्ज मिलने की लोगों की उम्मीदों को धक्का देते हुए रेपो रेट 6 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। रेपो रेट वो दर है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को कर्ज देता है। अगस्त में इससे पिछली मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई ने 2017-18 की दूसरी छमाही के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के लिए 4 से 4.5 प्रतिशत का लक्ष्य तय किया था।

इस साल जून महीने में महंगाई दर 1.5 फीसदी, जुलाई में 2.36 फीसदी थी। वहीं, सब्जियां और फल महंगे होने की वजह से अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर 3.36 प्रतिशत के पांच महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गई थी। पिछले साल अक्टूबर और इस साल अगस्त में ब्याज दरों में कटौती की गई थी।

उर्जित पटेल।

रिजर्व बैंक ने कहा कि खरीफ उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान में कुछ अनिश्चितता दिखाई दे रही है। इसके अलावा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के बाद मूल्यों में कुछ संशोधन हो रहा है। उर्जित पटेल की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति बढ़ती महंगाई पर पैनी नजर बनाए हुए है।

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दूसरी तरफ, पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से दबाव में आई केंद्र सरकार ने मंगलवार को ही आम जनता को राहत देने की कोशिश की। सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर बुनियादी एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला किया। सरकार के इस फैसले का असर बुधवार को देखने को मिला। पेट्रोल 2.50 रुपए लीटर सस्ता हो गया है। वहीं डीजल की कीमतों में 2.25 रुपए प्रति लीटर की कमी आई है। अब देखना होगा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आई कमी से जनता को मिली फौरी राहत अगले छह महीनों के दौरान बढ़ने वाली महंगाई से जूझने में कैसे मदद करती है?

एसएलआर में कटौती के मायने

कमर्शल बैंकों के लिए अपने हर दिन के कारोबार के अंत में नकद, सोना और सरकारी सिक्यॉरिटीज में निवेश के रूप में एक खास रकम रिजर्व बैंक के पास रखना जरूरी होता है, जो वह किसी भी आपात देनदारी को पूरा करने में इस्तेमाल कर सकें। जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर कहते हैं। इसका प्रयोग भी लिक्विडिटी कंट्रोल के लिए किया जाता है। इस पर रिजर्व बैंक नजर रखता है ताकि बैंकों के उधार देने पर नियंत्रण रखा जा सकता है। एसएलआर बैंकों की कुल मांग और देनदारी द्वारा निर्धारित किया जाता है।

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ये हैं मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें

  • प्रमुख नीतिगत दर को छह प्रतिशत पर यथावत रखा गया।
  • रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित।
  • 2017-18 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.3 प्रतिशत से घटकर 6.7 प्रतिशत किया।
  • दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति 4.2 से 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान।
  • जीएसटी क्रियान्वयन की वजह से लघु अवधि में विनिर्माण क्षेत्र की संभावनाएं अनिश्चित।
  • मुख्य मुद्रास्फीति को टिका आधार पर चार प्रतिशत के करीब रखने का लक्ष्य।
  • केंद्रीय बैंक, बैंकों के बही खाते से कंपनियों की दबाव वाली संपत्तियों के हल के लिए काम करेगा।
  • हालिया संरचनात्मक सुधारों से कारोबारी धारणा, पारदर्शिता और अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने को लेकर स्थिति सुधरी।
  • केंद्रीय बैंक ने कारोबार सुगमता में सुधार और जीएसटी सरलीकरण के लिये समन्वित प्रयासों पर बल दिया।
  • सस्ते आवास कार्यक्रमों को तेजी से आगे बढ़ाने पर बल।
  • मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5-6 दिसंबर को।

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