आखिर लोग क्यों करते हैं आत्महत्या

सुसाइड अपने आप में एक कठिन विषय है। विश्व में लगभग एक मिलियन लोग अब तक आत्महत्या कर चुके हैं।

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शेफाली त्रिपाठी,

गांव कनेक्शन

लखनऊ। आत्महत्या दिन ब दिन बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। कुछ दिनों पहले कानपुर के पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार दास ने पारिवारिक कलह से आत्महत्या कर ली। ऐसा ही (आतंक निरोधी दस्ता) एटीएस के एएसपी राजेश साहनी ने ख़ुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

आत्महत्या करने वाले इंसान के मन में किस तरह के ख्याल आते है और क्यों कोई आत्महत्या करने के लिए विवश हो जाता है। यह जानने के लिए हमनें उत्तर प्रदेश के लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. देवाशीष शुक्ला से बातचीत की।


डॉ. देवाशीष शुक्ला मनोचिकित्सक, लखनऊ

डॉ. देवाशीष ने बताया, "सुसाइड अपने आप में एक कठिन विषय है। विश्व में लगभग एक मिलियन लोग अब तक आत्महत्या कर चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 तक यह विश्व की दूसरी सबसे बडी बीमारी के रुप में सामने आएगा, जिससे की लोगों की जान को सबसे ज्यादा खतरा है। इसका सबसे बड़ा कारण अवसाद (डिप्रेशन) है। आज कल की भागदौड की जिन्दगी में इंसान का आपसी लोगों से तुलना इसका प्रमुख कारण है। व्यक्ति को उसके इच्छा के अनुरूप चीजें नही मिलती हैं, तब वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। अगर सही समय पर इसका इलाज ना हुआ तो यह डिप्रेशन इतना बढ़ जाता है कि इसका परिणाम आत्महत्या भी हो सकता है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लुएचओ) के एक रिपोर्ट के अनुसार, हर वर्ष दुनिया में 800000 लोग आत्महत्या की वजह से मरते है,जिसके अनुसार लगभग हर 40 सेकेन्ड में एक व्यक्ति की मृत्यु होती है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार भारत में वर्ष 2005 से 2015 के बीच में आत्महत्या करने वालों में 17.3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

"पुरूषों में महिलाओं की तुलना में आत्महत्या के विचार ज्यादा आते हैं, जिसका कारण आमदनी का पर्याप्त ना होना, पारिवारिक कलह अथवा नौकरी का न होना है। महिलाएं अक्सर किसी बात को ना सहने की क्षमता और इमोशनल इम्बैलेन्स( मानसिक उतार-चढाव) की वजह से आत्महत्या करती हैं। वहीं किशोरावस्था में यह आंकड़ 50-50 प्रतिशत तक का है।" डॉ. शुक्ला ने बताया।

आत्महत्या के कारणों के बारे में डॉ. देवाशीष ने बताया, "अशिक्षा इसका एक बहुत बड़ा कारण है। लोग अक्सर यह सोचते हैं कि मृत्यु के बाद सारी जिम्मेदारियों से मुक्ति मिल जाएगी, आत्महत्या को ही अंतिम समाधान मान लेते है। इसके साथ प्रेम-संबंधों अथवा कोई ऐसा तनाव जिसे व्यक्ति व्यक्त नही कर पाता और वह आत्महत्या का कारण बन जाता है।"

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आत्महत्या से कैसे बचाव करें इसके बारे में डॉ. देवाशीष बताते हैं, "अगर कोई इन्सान अपनी परेशानी के बारे में किसी अपने रिश्तेदार या दोस्त को बताता है और उसकी बातों से यह पता चलता है कि वह आत्महत्या करना चाहता है, तो यह उस इन्सान की जिम्मेदारी हो जाती है कि वह उस परिस्थिति को समझे और समय रहते अपने मित्र और रिश्तेदार को किसी मनोचिकित्सक की सलाह लेने को कहे।"

अगर बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों का किसी और बच्चें के साथ तुलना करते हैं, और बार-बार उन्हे दूसरों से बेहतर करने के लिए दबाव डालते हैं, तो ऐसी बातें बच्चों के बाल-मन पर गहरा प्रभाव डालती है। इसलिए बच्चों के साथ प्यार सें पेश आना चाहिए और उनके साथ तुलनात्मक व्यवहार नही करना चाहिए।"

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