हम और आप बेफिक्र होकर अपने घरों में रह सकें इसलिए ये अधिकारी और कर्मचारी कर रहे हैं दिन-रात काम

भारत के 21 दिन के लॉकडाउन में आप और हम बेफिक्र होकर अपने घरों में रह सकें, जरूरत का सामान हमारे घरों तक पहुंच सके, हर जरुरतमंद को भोजन मिले, बाहरी व्यक्ति की कोरोना जांच हो, इन तमाम सहूलियतों के लिए इस समय सभी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, ताकि हम और आप घरों में सुरक्षित रह सकें।

Neetu SinghNeetu Singh   30 March 2020 12:50 PM GMT

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हम और आप बेफिक्र होकर अपने घरों में रह सकें इसलिए ये अधिकारी और कर्मचारी कर रहे हैं दिन-रात काम

"इस समय हालात ऐसे हैं कि कभी भी किसी भी वक़्त मदद के लिए कॉल आ सकती है, हमें जनता की मदद के लिए 24 घंटे सजग रहना होता है।"

बिहार के पूर्णिया जिले के जिलाधिकारी राहुल कुमार के इस वाक्य से इस समय हर अधिकारी और कर्मचारी का वास्ता होगा।

भारत के 21 दिन के लॉकडाउन में आप और हम बेफिक्र होकर अपने घरों में रह सकें, जरूरत का सामान हमारे घरों तक पहुंच सके, हर जरुरतमंद को भोजन मिले, बाहरी व्यक्ति की कोरोना जांच हो, इन तमाम सहूलियतों के लिए इस समय सभी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, ताकि हम और आप घरों में सुरक्षित रह सकें।

"जिले में 10-12 टीमें बनी हैं जो अलग-अलग तरह की जिम्मेदारी निभा रही हैं। कोई टीम सर्वे कर उन लोगों को चिंहित करने में जुटी है जो बाहर से आये हैं तो कोई घरों से लोग बाहर न निकलें इस पर ध्यान दे रही है। जिले में अभी 4,000 से ज्यादा लोग सेल्फ होम क्वारेंटाइन में हैं, जिनकी पूरी देखरेख गाँव में तैनात आशा बहु, आंगनबाड़ी और एनम कर रही हैं," राहुल कुमार ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया।

अपनी टीम को दिशा निर्देश देते हुए पूर्णिया जिले के जिलाधिकारी राहुल कुमार.

पूर्णिया जिले में 1,000 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिया गया है जिससे जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग किया जा सके। कंट्रोल रूम 24 घंटे चल रहे हैं। लोगों के घरों तक राशन और सब्जियां पहुंचाई जा रही हैं। कोई भूखा न सोये इसके लिए जगह-जगह 'आपदा राहत केंद्र' बनाये गये हैं जहाँ फुटपाथ पर रहने वाले और दिहाड़ी मजदूरों को खाना मिलता है।

गाँव कनेक्शन ने अधिकारियों और कर्मचारियों के इस समय की कार्य प्रणाली को समझने के लिए कई राज्यों में जैसे हरियाणा, झारखंड, बिहार, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, यूपी के दर्जनों अधिकारियों और कर्मचारियों से बात की। सभी से बात करने के दौरान एक बात मुख्य रही कि इस समय हर अधिकारी और कर्मचारी मुश्तैदी से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हर जिले में लोगों को किसी तरह की कोई असुविधा न हो इसके पूरे इंतजाम कर लिए गये हैं। लोग घरों के अन्दर रहें, इन तक जरूरत का सामान पहुंच सके, कोई भूखा न रहे इस पर ख़ास जोर दिया जा रहा है।

दुनियाभर में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कई देश इस समय पूरी तरह से लॉक डाउन हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को रात आठ बजे देश को संबोधित कर उसी दिन रात 12 बजे से 21 दिन के लिए पूरी तरह से भारत लॉक डाउन की घोषणा कर दी थी। बिना किसी तैयारी के अचानक से ऐसा कर देने से हालात बेकाबू हो गये। लाखों की संख्या में मजदूर सड़कों पर आ गये जिन्हें अपने गाँव पहुंचना था।

लॉक डाउन के बाद लाखों की संख्या में मजदूर सड़कों पर आ गये.

इन हालातों पर काबू पाने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों के अफसरों और कर्मचारियों की जिम्मेदारियां बढ़ गईं। इनके पास कई तरह की चुनौतियाँ थी पहला ये कि सड़कों पर आये लोगों को उनके जिलों तक सुरक्षित पहुंचाया जाए। हर जिले में ऐसे इंतजाम हों जिससे इन्हें 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन किया जाए। जो घरों में हैं वो बाहर न निकलें, घर-घर राशन और सब्जियां पहुंचें, बाहर से आये लोगों में कोरोना वायरस की जांच हो, हर भूखे को खाना मिले।

इस पूरी जिम्मेदारी को उठाने के लिए प्रसाशन के अभी छोटे बड़े अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात लगे हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉ आदर्श सिंह के पास लोग मैसेज करके बीमार लोगों की दवा ख़त्म होने की सूचना देते हैं। इतनी व्यवस्तता के बावजूद जिलाधिकारी द्वारा लोगों के घरों में दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं। डॉ आदर्श सिंह से बात करने की कोशिश की गयी पर व्यवस्तता की वजह से बात नहीं हो सकी पर उनके सराहनीय कार्यों की ट्विटर खूब सराहना हो रही है।

इनकी मेहनत भले ही हमें दिख न रही हो पर सच्चाई यही है इस समय बड़े से बड़े अधिकारी से लेकर पंचायत स्तर तक मौजूद हर एक कर्मचारी जीतोड़ इस मुहिम को सफल बनाने में लगे हुए हैं, जिससे आम जनता 21 दिन के लॉक डाउन में परेशान न हो।

हरियाणा के अतिरिक्त श्रमआयुक्त मुनीश शर्मा गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "प्रशासन कुछ लोगों से नहीं चलता है, यह जनता के सहयोग से चलता है। इस समय हम स्थानीय प्रतिभा का पूरा उपयोग कर रहे हैं। जैसे- जो कम्पनियां गारमेंट्स बनाती थीं उनसे अभी हम फुल बाडी शूट बनवा रहे हैं जिससे डॉ और नर्सेज की सुरक्षा हो सके। जो सौन्दर्य प्रशाधन बनाती थीं उनसे कुछ जेनरिक दवाइयां बनवा रहे हैं।"

गुड़गांव के बजीराबाद के एसडीएम हितेंद्र राशन के पैकिटों का निरीक्षण करते हुए.

इस समय कितने घंटे काम कर रहे हैं रिपोर्टर के इस सवाल के जबाब में मुनीश ने कहा, "अगर हम देश को घर समझेंगे तो काम के घंटे नहीं गिनेंगे।" मुनीश का कहा ये छोटा सा वाक्य ये समझने के लिए काफी है कि इस समय जो अधिकारी काम कर रहे हैं वो काम के घंटे नहीं गिन रहे हैं।

"लोग भारी संख्या में पलायन कर रहे हैं यह चिंता का विषय है, मजदूर कहीं भी मुश्किल में फंसे हैं हम मदद के लिए तुरंत तैयार हैं। सभी के रहने खाने का पूरा इंतजाम है। सभी से बस एक ही गुजारिश है ऐसे समय में लोग संयम बनाये रखें। घरों के अन्दर ही रहें, जरूरत पड़ें पर कण्ट्रोल रूम में काल कर सकते हैं।" मुनीश ने कहा।

कोरोना वायरस से अब तक दुनिया भर में 33 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इससे संक्रमित लोगों की संख्या 716,101 पहुंच गयी है। भारत में कोरोना वायरस से अब तक 27 लोगों की जान जा चुकी है और एक हज़ार से ज़्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग गाइडलाइंस की समय सीमा 30 अप्रैल तक बढ़ा दी है। वहीं इटली में भी कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन की समय सीमा अभी और बढ़ाई जाएगी। इटली में अब तक 10,779 लोगों की जान जा चुकी है।

इस समय सरकारी और प्राइवेट क्षेत्रों में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी घरों से काम कर रहे हैं पर सैकड़ों की संख्या में अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं जो इस समय दिन-रात काम कर रहे हैं जिससे आम जनता को किसी तरह की कोई असुविधा न हो।

"बहुत सारे ऑफीसर्स इस समय रात-रात भर सो नहीं रहे हैं। सभी के ऊपर वर्कलोड बहुत ज्यादा है। लोगों की सुविधाओं के लिए बहुत सारे इंतजाम किये जा चुके हैं अभी बहुत करना बाकी है। अच्छी बात ये है कि बहुत सारे वालेंटियर प्रशासन की मदद के लिए आगे आये हैं। सभी लोग अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाएं ये समय भी सबकी मदद से निकल जाएगा," अपराजिता ने कहा।

अपराजिता गुड़गांव की असिस्टेंट कमिश्नर अंडर ट्रेनी हैं। यहाँ कोरोना के 10 केस थे जिसमें पांच ठीक हो गये हैं। गुड़गांव में जो भी मजदूर हैं वो वहीं रहें इसके लिए लगभग 50 कम्युनिटी सेंटर बनाये गये हैं जहाँ पर लोगों के रहने खाने का पूरा इंतजाम किया गया है। अगर कोई कहीं फसा है तो वो कण्ट्रोल रूम में फोन करे उसे उसके नजदीकी कम्युनिटी सेंटर में ठहरा दिया जाता है।

इस समय डॉ और पुलिस की ड्यूटी सबसे चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इनके काम की सीमा का कोई निर्धारित समय नहीं है। गाँव कनेक्शन ने कई पुलिस अधीक्षक और डॉक्टरों को फोन किया पर उनकी व्यवस्तता की वजह से बात नहीं हो सकी।

"इस समय डॉक्टरों के पास बहुत व्यस्तता है, जबतक बहुत जरूरी न हो तो लोग अस्पताल न जाएँ। मैंने अपने युवा डॉक्टरों की एक टीम बनाई है जिन्होंने अपने-अपने नम्बर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिए हैं। स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए हमारे मित्रों द्वारा दिए गये नम्बरों पर कॉल या व्हाट्स एप के जरिये लोग नि:शुल्क सलाह ले सकते हैं," पूर्व एम्स चिकित्सक, अध्ययनरत शिशु रोग विशेषज्ञ अभिषेक खंडेवाल ने बताया।

अभिषेक खंडेवाल (27 वर्ष) छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के रहने वाले हैं अभी नागपुर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। अभिषेक के प्रयासों से इनके युवा डॉक्टरों की टीम छत्तीसगढ़ के 16-17 जिलों में मदद के लिए 24 घंटे तैयार है। अभिषेक ने बताया, "हमारा क्षेत्र ऐसा है जहाँ एक जगह से दूसरे जगह पहुंचने में बहुत वक़्त लगता है। इसलिए हमने अपने कुछ सीनियर्स और कुछ जूनियर्स की मदद से एक पूरी टीम 10-15 दिन पहले तैयार कर ली थी। सोशल मीडिया के जरिये इनके नम्बर लगातर शेयर कर रहा हूँ। लोग कॉल करके हमारी टीम से सलाह ले रहे हैं।"

फरुखाबाद के जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह जरुरतमंदों को लंच पैकेट दे रहे हैं.

कई सरकारी अधिकारियों ने इस बात का जिक्र किया कि बहुत सारे युवा वालेंटियर मदद के लिए आगे आ रहे हैं अभिषेक खंडेवाल उनमें से एक हैं। पिछले कुछ दिन से सोशल मीडिया पर पैदल चलते मजदूरों की तस्वीरें हर किसी को विचलित कर रही थीं। लेकिन सुखद तस्वीर ये रही कि प्रसाशन ने जल्द ही अपने प्रयासों से इन मजदूरों को बसों द्वारा उनके जिलों तक पहुंचाया जा रहा है।

"इस समय बाहर से 10,500 लोग आये हैं। इनकी पूरी डिटेल डिटेल प्रशासन के पास है। इन्हें 14 दिन के लिए कुछ स्कूल, पंचायत भवन कुछ घरों में ये 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन के लिए सरकारी स्कूल, पंचायत भवन और कुछ को उनके घरों में रखा गया है। जिले में 130 डॉ की जगह केवल 33 डॉ हैं, ऐसे में हम प्राईवेट डॉ की मदद ले रहे हैं।"

मानवेन्द्र सिंह ने बताया, "यहाँ डॉक्टरों की 14 टीमें गठित की गयी हैं, हर ब्लॉक में दो गाड़ियाँ हैं जरूरत पड़ने पर लोगों को अस्पताल पहुंचाय जा रहा है। एक सामुदायिक केंद्र में 30 बेड का एक ऐसा हास्पिटल बना रहे हैं जहाँ अगर जिले में कोई पॉजिटिव केस आता है तो उसे वहां रखा जा सके।" मानवेन्द्र सिंह फरुखाबाद के जिलाधिकारी हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्य स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि कोरोना वायरस टेस्ट के 2,430 सैंपल अलग-अलग लैब में भेजे गए थे जिनमें से 2,305 सैंपल के टेस्ट निगेटिव पाए गए हैं। वहीं दिल्ली में 30 मार्च को कोरोना संक्रमण के 25 नए मामले सामने आए। अब दिल्ली में कोरोना संक्रमण के कुल 97 मामले हो गये।

अतिरिक्त श्रमआयुक्त मुनीश ने कहा, "साउथ कोरिया और जापान के लोग इसलिए इससे जल्दी से उबर गये क्योंकि वहां के लोग पहले से ही ऐसे ही रहते थे। हमारे यहाँ की कम्पनियों को अब ये सोचने की जरूरत है कि जैसे इस समय घर से काम हो रहा है वैसे ही बाद में करवाएं जिससे बहुत चीजें बेहतर हो जायेंगी।"

देश में कोरोना की कम लोगों की जांचे लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं कुछ अधिकारी इस बात से राहत भी महसूस कर रहे हैं कि उनके जिले में अभी एक भी कोरोना पाजिटिव मामला नहीं आया है। कई राज्य ऐसे हैं जिसमें बाहर से हजारों की संख्या में लोग आये हैं पर जांचें गिनी चुनी ही हुई हैं। अगर झारखंड की ही बात करें तो 84,000 से ज्यादा लोग बाहर से आये हैं जबकि अभी जांच लगभग 200 लोगों की ही हुई है।

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सब्जी बाजार अधिकारियों की निगरानी में लग रही है.

"जिले में एक भी केसेज अभी पॉजिटिव नहीं ये तो एक राहत की खबर है लेकिन अभी इससे ज्यादा यहाँ के लिए चिंता का विषय यह है कि कोई भूखा न मरे। यहाँ पर ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर हैं इस समय जब काम बंद है तो उनके लिए एक दिन काटना मुश्किल है। कोई भूखा न रहे इसके लिए 71 सेंटर मुख्यमंत्री दाल भात योजना के तहत चल रहे हैं, पहले इसमें पांच रूपये लिए जाते थे अभी नि:शुल्क है," पश्चिमी सिंहभूम जिले के उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन ने बताया।

आदित्य रंजन के अनुसार जिले की ज्यादातर मशीनरी इस समय भोजन मुहैया कराने में लगी है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा न्यूनतम दरों पर मास्क और सेनेटाइजर बनवाये जा रहे हैं। 'पहिये पर भोजनालय' नाम की दो गाड़ियाँ की गयी हैं जो रोजाना 300-400 लोगों को खाना खिलाती हैं। हर परिवार में राशन पहुंचा दिया गया है। लोगों की मदद के लिए 24 घंटे कण्ट्रोल रूम चलता है। डॉक्टरों की 80-90 की टीम लगी है। जिले में 120 आपदा मित्रों को प्रशिक्षित किया जा रहा है जिससे ये आपातकालीन स्थिति में मदद के लिए आगे आ सकें।

ये हैं वहां के आपदा मित्र जो मुश्किल हालातों के प्रशिक्षित किये जा रहे हैं.

कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए कुछ अधिकारी अपना एक दिन का वेतन काटकर प्रसाशन की मदद के लिए आगे आये हैं। यूपी के कानपुर देहात जिला में मुख्य विकास अधिकारी जोगिन्दर सिंह के प्रयासों से ग्राम पंचायत विभाग, ग्राम विकास विभाग और जिला ग्राम विकास अभिकरण विभाग के अधिकारियों ने अपने एक दिन की सैलरी कोरोना महामारी की व्यवस्था के लिए दे दी है। ज'नपद रोगी कल्याण समिति को को 11 लाख 20 हजार 542 रूपये दिए गये। अभी इस मुहिम में जिले के शिक्षक भी अपनी एक दिन की सैलरी देने को तैयार हो गये हैं जल्द ही ये राशि भी इकट्ठा हो जायेगी।

जोगिन्दर सिंह ने बताया, "जिले के ईंट-भट्टों को बंद नहीं किया गया जिससे मजदूर पलायन न कर सके। इन्हें भट्टों पर ही राशन पहुंचा दिया गया है। कम्युनिटी किचन चल रही है। सभी कोटेदारों को निर्देशित किया गया है सबको राशन दिया जाये। हर पंचायत में छिड़काव किया जा रहा है। बाहर से जो भी मजदूर आ रहे हैं उनके हाथ में एक लाल पट्टी बांधी जा रही है जिससे वो सबकी पहचान में रहें।"

सफेद शर्ट पहने मुख्य विकास अधिकारी जोगिन्दर सिंह जिलाधिकारी को चेक देते हुए.

अधिकारी अपने स्तर के सभी प्रयास बखूबी किये ले रहे हैं पर सबसे बड़ी चुनौती यही आ रही है कि लोग घरों में रहने के लिए मान नहीं रहे हैं।

"इस समय सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण लोगों को समझा पाना है कि वो घरों से बाहर न निकलें। उन्हें हर सुविधा घरों तक पहुंचाई जा रही है फिर भी कुछ लोग बाहर निकलने से नहीं मान रहे हैं। बाहर से अभी 4,000 मजदूर आये हैं उन्हें सरकारी स्कूल, सामुदायिक केंद्र पंचायत भवन में 14 दिन के लिए ठहराया गया है पर वो अपने घरों में जाने के लिए ज़िद करते हैं कि हमें कुछ हुआ ही नहीं।" जोगिन्दर सिंह ने बताया।

झारखंड के पलामू जिले के छतरपुर प्रखंड की सुखद तस्वीर ये है कि लोग अधिकारियों के समझाने पर ये बात समझ गये हैं कि घर से बाहर नहीं निकलना है।

पलामू जिले के छतरपुर के अधिकारी लोगों को लाउडस्पीकर से कोरोना के बारे में जागरूक कर रहे हैं.

"अच्छी बात ये है कि हमारे यहाँ लोग घरों के अन्दर रह रहे हैं। सामान उनके घरों तक पहुंच रहा है। एक एक घर को तीन-तीन महीने का राशन 90 फीसदी लोगों को उपलब्ध करा दिया गया है। प्रखंड में 96 प्रतिशत लोगों के पास राशन कार्ड हैं, जिन 3,000 लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें अप्लाई करा दिया गया है उन्हें इस समय दस किलो चावल मिल रहा है," एसडीओ नरेन्द्र गुप्ता ने बताया।

क्या ये आपकी नौकरी का एक मुश्किल दौर इस पर नरेंद्र गुप्ता ने कहा, "नहीं, ये नौकरी का एक हिस्सा है। इस समय लोगों की मदद के आलावा कुछ भी नहीं सूझ रहा है।"



   

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