तीन कृषि कानूनों की वापसी पर नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने लगाई मुहर, गरीबों के लिए एक बड़ा ऐलान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने को मंजूरी दे दी गई। कृषि कानूनों के निरस्त करने की प्रक्रिया संसद के शीतकालीन सत्र में होगी।

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नई दिल्ली। किसानों के लिए एक और खबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन कृषि कानूनों Farm Laws को वापस लेने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। तीनों कृषि कानूनों को 29 नवंबर से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में वापस लिया जाएगा। कृषि कानून जून 2020 में अध्यादेश के रुप में लाए थे, और सितंबर 2020 में इन्हें संसद में पास किया गया था। जिसके बाद से किसान लगातार विरोध कर रहे हैं।

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर Anurag Thakur ने कहा कि गुरु पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात की घोषणा की थी। उस संबंध में कृषि कानूनों को वापस लेने की सारी औपचारिकताएं कैबिनेट में पूरी कर ली गई हैं। अब आगे की प्रक्रिया संसद के शीतकालीन सत्र में किया जाएगा। हम इस संबंध में पहले दिन से, पहले हफ्ते से ही आगे की प्रक्रिया शुरु करेंगे। जिन कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा, उनमें पहला है, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020, दूसरा मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 और तीसरा आवश्यक संसोधन बिल है।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने पीएम के वादे के अनुसार पहली कैबिनेट में कृषि कानूनों को वापसी की प्रक्रिया को मंजूरी दी गई है, शीतकालीन सत्र में भी इसे प्राथमिकता के आधार पर वापस लेने की प्रक्रिया की जाएगी। केंद्रीय मंत्री इस दौरान एमएसपी कानून संबंधी सवालों का जवाब टाल गए।

पढ़िए- पीएम मोदी 19 नवंबर को कृषि कानूनों को वापसी का निर्णय लेते हुए क्या क्या कहा था?


किसानों का बिना एमएसपी गारंटी के वापस लौटने से इनकार

पीएम मोदी ने 19 नवंबर को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा था कि किसानों को अब अपने घर और खेतों को वापस लौट जाना चाहिए। लेकिन किसानों ने यह कहते हुए लौटने से इनकार कर दिया था जब तक तीन कृषि कानून संसद से वापस नहीं हो जाते और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून नहीं मिल जाता हम वापस नहीं जाएंगे। कृषि कानून जून 2020 को अध्यादेश के रुप में आए थे, इसी के बाद से किसानों का विरोध शुरु हो गया था लेकिन 26 नवंबर 2020 से पंजाब-हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं। 26 नवंबर को अपने आंदोलन के एक साल पर किसान न सिर्फ भव्य आयोजन कर रहे हैं बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को दिल्ली और दूसरे धरना स्थलों पर बुला रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर को संसद के शीत कालीन सत्र की शुरुआत होने पर संसद तक रोजाना 60 ट्रैक्टर भेजने का ऐलान किया है। 5-5 किसान इन ट्रैक्टरों पर बैठकर रैली निकालेंगे।

किसानों के बॉर्डर से वापसी के मुद्दे पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पीएम मोदी के फैसले का हम स्वागत करते हैं लेकिन एमएसपी हमारी मुख्य मांग है। हम देखना चाहते हैं कि संसद में सरकार क्या करती है। एमएसपी पर समिति कब बनती है कौन-कौन उसमें शामिल होगा। उन्होंने कहा कि संघर्ष थम चुका है अब समाधान निकलना चाहिए। राकेश टिकैत का पूरा इंटरव्यू यहां देखिए

मुफ्त अनाज योजना 4 महीने आगे बढ़ी

कृषि कानूनों की वापसी के अतिरिक्त कैबिनेट ने आज एक और फैसला लिया। सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है। करीब 15 महीने से जारी ये योजना नवंबर 2021 में बंद हो रही थी, जिसे 4 महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया है।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कोविड 19 महामारी के चलते जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरु की गई थी, जिसके तहत 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को 5 किलो मुफ्त राशन दिया जा रहा है। इस योजना को मार्च 2020 में शुरु किया गया था, उसमें अब तक यानि करीब 15 महीने तक देश के करोड़ों लोगों को राशन मिला है। उन्होंने कहा कि इसमें अब तक 600 लाख मीट्रिक टन मंजूर किया गया है, जिसमें से 541 लाख मीट्रिक टन अब तक वितरित किया जा चुका है। योजना को अब दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक बढ़ाने का फैसला किया गया है. जिस पर करीब 53344 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। वहीं 19 महीने के दौरान योजना के तहत कुल मिला 2 लाख 60 हजार करोड़ का खर्च होगा।

ये भी पढ़ें- राकेश टिकैत का इंटरव्यू- संघर्ष विराम हो चुका है, अब समाधान चाहिए, एमएसएपी कानून चाहिए

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