देह व्यापार : ये है इन बदनाम गलियों की हक़ीकत

Anusha MishraAnusha Mishra   4 Jan 2018 6:11 PM GMT

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देह व्यापार : ये है इन बदनाम गलियों की हक़ीकतदेह व्यापार

देश के लगभग हर राज्य के किसी न किसी इलाके में देह व्यापार का धंधा अपने पैर पसारे हुए है, जहां लाखों महिलाएँ दुनिया से कटकर बेबस ज़िंदगी जी रही हैं। ऐसी बहुत ही कम महिलाएं होती हैं जो अपनी मर्जी से देह व्यापार के धंधे में आती हैं। ज़्यादातर महिलाएं ऐसी ही होती हैं जिनके सामने या तो कोई मज़बूरी होती है या अनजाने ही इन्हें इन बदनाम बाज़ारों में बेच दिया जाता है। भारत में वेश्‍यावृत्ति का चलन आज का नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। प्राचीन भारत में 'नगरवधू' हुआ करती थीं। दूसरीं सदी में ईसापूर्व में लिखी गई संस्‍कृत की कहानी मृच्छकटिकम में वैशाली की नगरवधू इसी काम के लिये जानी जाती है।

दुनिया के तमाम दूसरे रिश्तों से दूर ये महिलाएं न किसी की मां होती हैं, न बहन, न बेटी और न पत्नी, इन्हें सिर्फ वेश्याओं के नाम से जाना जाता है। अपनी इज़्ज़त को दांव पर लगाकर समाज के जाने कितने रसूखदार लोगों का सम्मान बचाए रखने का काम करती हैं ये। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तंग गलियों और स्टोररूम नुमा ऐसे कमरों में रहने वाली ये वेश्याएं, जहां सूरज भी अपनी किरणों को भेजने से गुरेज़ करता है का भारत में बहुत बुरा हाल है। जानिए भारत में वेश्यावृत्ति की हक़ीकत...

ये हैं भारत के आंकड‍़े

महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 30 लाख से ज़्यादा महिलाएं देह व्यापार में लिप्त हैं। जिसमें लगभग 36 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो 18 साल की उम्र के पहले ही इस व्यापार में शामिल हो गईं। जबिक ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 2 करोड़ सेक्स वर्कर हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस धंधे में शामिल हैं।

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देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया

देश के पूर्वी भाग के सबसे बड़े महानगर सोनागाछी (कोलकाता) को एशिया का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया माना जाता है। यहां लगभग 3 लाख महिलाएं देह व्यापार से जुड़ी हैं। दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाठीपुरा है जहां 2 लाख से अधिक सेक्स वर्कर हैं। फिर दिल्‍ली की जीबी रोड, आगरा का कश्‍मीरी मार्केट, ग्‍वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवर पेठ हैं। छोटे शहरों की बात करें तो वाराणसी का मडुआडिया, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुज स्‍थान( आंध्र प्रदेश के पेड्डापुरम व गुडिवडा, सहारनपुर का नक्‍कासा बाजार इलाहाबाद का मीरागंज, नागपुर का गंगा जुमना और मेरठ का कबाड़ी बाज़ार भी इसी बात के लिए प्रसिद्ध है।

देह व्यापार से होती है करोड़ों की कमाई

आंकड़ों के मुताबिक, देश में रोजाना लगभग 2000 लाख रुपये का देह व्यापार होता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 68 प्रतिशत लड़कियों को रोजगार के झांसे में फंसाकर वेश्यालयों तक पहुंचाया जाता है जबकि 17 प्रतिशत लड़कियों को शादी का वादा करके इस धंधे में ढकेल दिया जाता है। मुम्बई पुलिस के दस्तावेजों के मुताबिक बाहर से आकर यहां वेश्यावृत्ति में लिप्त युवतियों में उज्बेकिस्तान की युवतियां सबसे ज्यादा हैं।

क्या है वेश्यावृत्ति को रोकने का क़ानून

भारत में वेश्यावृत्ति या देहव्यापार अभी भी अनैतिक देहव्यापार कानून के तहत आते हैं। हालांकि देश में समय-समय पर इस बात को लेकर उच्चस्तरीय बहसें चलती रहीं हैं कि क्यों न वेश्यावृत्ति को कानूनन वैध बना दिया जाए। यानी यह कानून व्यर्थ रहा, यह स्वीकार करने के बाद उसकी व्यर्थता के कारणों को जांचने के बजाय इस पूरे धंधे से दंड व्यवस्था अपनी जिम्मेदारी ही समेट ले? राज्य व्यवस्था स्त्रियों के हिंसक उत्पीड़न, शोषण और खरीदे बेचे जाने की पाशविक परंपरा को अपनी मूक असहाय सहमति दे दे?

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'भारतीय दंडविधान' 1860 से 'वेश्यावृत्ति उन्मूलन विधेयक' 1956 तक सभी कानून सामान्यतया वेश्यालयों के कार्यव्यापार को संयत एवं नियंत्रित रखने तक ही प्रभावी रहे हैं। इस कानून के अनुसार, वेश्याएं अपने व्यापार का निजी तौर पर यह काम कर सकती हैं लेकिन कानूनी तौर पर जनता में ग्राहकों की मांग नहीं कर सकती हैं। इस कानून का उद्देश्य भारत में यौन कार्यों के विभिन्न कारणों को रोकना और धीरे-धीरे वेश्यावृत्ति को खत्म करना है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भी भारत में वेश्यावृत्ति अवैध है। अगर कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत करते पाया जाता है तो भी उसके खिलाफ सज़ा का प्रावधान है।

अनैतिक आवागमन (रोकथाम) अधिनियम - आईटीपीए 1986 वेश्यावृत्ति को रोकने के लिए बनाया गया है। इस कानून के अनुसार,

सेक्स वर्कर के लिए - जो महिला किसी व्यक्ति को शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाएगी उसको दंड दिया जाएगा। इसके अलावा कॉल गर्ल्स अपने फोन नंबर को सार्वजनिक रूप से पब्लिश नहीं कर सकतीं, ऐसा करने पर उनको 6 महीने के कारावास व जुर्माने का प्रावधान है। किसी सार्वजनिक स्थान के पास देह व्यापार करने पर सेक्स वर्कर को 3 महीने की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है।

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ग्राहक के लिए - एक ग्राहक अगर किसी वेश्या के साथ सार्वजनिक स्थान के 200 गज के दायरे में संबंध बनाते पाया जाता है या उस पर यौन संबंधों में सलंग्न होने का आरोप लगता है तो उसे तीन महीने के कारावास के साथ जुर्माना देना होगा। अगर सेक्स वर्कर 18 साल से कम उम्र की है तो ग्राहक को कम उम्र के हैं तो ग्राहक को 7 से 10 साल की सज़ा का प्रावधान है।

वेश्यालय चलाने पर - कोई व्यक्ति अगर वेश्यालय चलाता है या किसी से चलवाता है या वेश्यालय चलाने में मदद करता है तो उसे 3 साल का सश्रम कारावास व 2000 रुपये का जुर्माना होगा। यदि वह व्यक्ति दोबारा इस अपराध का दोषी पाया गया तो उसको कम से कम 2 साल व अधिक से अधिक 5 साल का कठोर कारावास व 2000 रुपये जुर्माना देना होगा।

स्वास्थ्य एक बड़ी समस्या

वेश्याओं की स्वास्थ्य दशा को लेकर हमेशा से ही बहस होती रही है। भारत में एचआईवी संक्रमण के बढ़ने का कारण इन्हें ही माना जाता है। हालांकि पिछले दशक में एचआईवी संक्रमित वेश्याओं की संख्या में गिरावट आई है। एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाची में इनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर एक रोकथाम कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 5,000 वेश्याओं को जागरूक किया गया है।

दो लोगों की टीम यहां की वेश्याओं को उनको बीमारियों के बारे में, कंडोम के इस्तेमाल के सही तरीके और इसके फायदे के बारे में बता रही है। इस कार्यक्रम को 1992 में शुरू किया गया था तब सिर्फ 27 प्रतिशत वेश्याएं कंडोम का इस्तेमाल करती थीं लेकिन 2001 तक 86 प्रतिशत वेश्याएं कंडोम का इस्तेमाल करने लगीं। मुंबई व पुणे सहित देश के बाकी हिस्सों में चल रहे रेड लाइट एरिया में भी इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

वेश्याओं को नहीं मिले हैं विशेष अधिकार

भारत में वेश्यावृत्ति को क़ानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है इसलिए इन्हें किसी भी तरह के विशेष अधिकार भी नहीं दिए गए हैं। वेश्याओं के भी सिर्फ वही अधिकार हैं जो आम नागिरकों को मिलते हैं। हालांकि अगर यहां वेश्यावृत्ति को क़ानूनी मान्यता प्रदान कर दी गई तो वेश्याएं भी श्रमिक क़ानून के अंदर आ जाएंगी और उन्हें भी बाकी मज़दूरों को मिलने वाले विशेषाधिकार मिल जाएंगे। समय-समय पर यहां वेश्यालयों को क़ानूनी मान्यता देने की मांग उठती रहती है।

10 मार्च 2014 को ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स ने एक संगठन बनाकर देश के 16 राज्यों में एक कैंपेन चलाई थी, इस कैंपेन में 90 सेक्स वर्कर्स शामिल थीं। वह इस बात की ओर सरकार और देश का ध्यान आकर्षित करना चाहती थीं कि उन्हें समाज में सुरक्षा प्राप्त नहीं है। उनका कहना था कि समाज के बाकी लोग जिस तरह से कोई त्योहार या अवसर में शामिल होते हैं हमें उस तरह से भी शामिल नहीं किया जाता। हम बाकी दूसरों कामों की ही तरह देह व्यापार करते हैं इसलिए हमें भी दूसरे कर्मचारियों की तरह पेंशन मिलनी चाहिए और यौन कार्य को भी सार्वभौमिक पेंशन योजना के तहत लाया जाना चाहिए। हालांकि इनकी किसी भी मांग को अभी तक पूरा नहीं किया गया है।

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