कहीं आप भी प्राइवेट पार्ट साफ करने वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल तो नहीं कर रहीं?

अगर आप महिला हैं और प्राइवेट पार्ट को वॉश (साफ-सुथरा) या गोरे करने के दावा करने वाले उत्पादों का इस्तेमाल करती हैं तो सावधान हो जाइए

Jigyasa MishraJigyasa Mishra   12 Feb 2020 6:25 AM GMT

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निजी बैंक में काम करने वाली नेहा त्रिपाठी पिछले एक हफ्ते से महिला रोग विशेषज्ञ के चक्कर लगा रही हैं। डेढ़ साल के बच्चे की मां 28 साल की नेहा निजी अंग में खुजली और संक्रमण से परेशान हैं। लेकिन डॉक्टर ने उन्हें बताया कि समस्या संक्रमण से काफी ज्यादा गंभीर है।

थोड़ी सी असावधानी से लड़कियों के जननांगों में खुजली और संक्रमण आम समस्याएं हैं। नेहा ने साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा था, यहां तक उन्होंने बाजार में मौजूद इंटीमेट वॉश का इस्तेमाल भी किया था, लेकिन यही उनकी समस्या बन गई। नेहा की डॉक्टर के मुताबिक नेहा जिस वजाइनल वॉश से गुप्तांगों की सफाई करती थी, उससे उन्हें खुजली और सूखेपन की समस्या तो हुई ही जननांग का अंदरूनी हिस्सा वल्वा भी संक्रमित हो गया। महिलाओं के शरीर का ये हिस्सा गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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"डॉक्टर ने ऐसे किसी बाजार से खरीदे गए इंटीमेट वॉश के इस्तेमाल से मना कर दिया है। कहा कि सिर्फ पानी से सफाई करें, ज्यादा दिक्कत लगे तो पानी को गुनगुना कर लें। ऐसे दिक्कतें पहले मुझे कभी नहीं हुई थी।" नेहा ने गांव कनेक्शन को बताया।

नेहा जैसी लाखों लड़कियां टीवी और अख़बारों में छाए फार्मास्युटिकल कंपनियों के मायाजाल का शिकार हो रही हैं। चेहरे के गोरेपन से शुरु हुई महिलाओं को लुभाने और उन्हें खुश होने की जंग एडियों से होते हुए जननांगों तक पहुंच गई है। साफ-सफाई से जुड़कर शुरु हुई बात प्रेमी-पति को लुभाने और जीवन को खुशनुमा बनाने के दावे करने लगी है। यही वजह है कि करोड़ों रुपए के फलते-फूलते इस कारोबार से महिलाओं के लिए नई समस्याएं खड़ी हो रही हैं।

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'वजाइना बहुत नाजुक अंग है किसी भी क्रीम-पाउडर का इस्तेमाल न करें'


"वजाइना बहुत ही नाज़ुक अंग है। किसी भी रासायनिक पदार्थ (क्रीम, पाउडर आदि) से इनका प्राकृतिक पीएच बदलकर चर्मरोग, कैंसर जैसी बीमारियां दे सकता है। जननांग यानि योनि की दीवारें इतनी पतली और नाजुक होती हैं कि स्वच्छता उत्पादों का इस्तेमाल इनमें सूक्ष्म दरारें पैदा कर सकता है जिनसे बैक्टीरिया वाली बीमारियों की खतरा बढ़ जाएगा," महिला रोग विशेषज्ञ और लखनऊ में क्वीन मैरी अस्पताल की अधीक्षक डॉ. एसपी जैसवार बताती हैं।


बाजार के ऐसे रासायनिक उत्पादों की खामियां गिनाते हुए डॉ. एसपी जैसवार कहती हैं, "अगर कोई उत्पाद पीएच बैलेंस या सुगंध आदि का दावा करता है तो उससे यूरीनरी ट्रैक्टइन्फेक्शन, बांझपन और हार्मोनल डिस्ऑर्डर हो सकता है। सही बात तो यह है कि शरीर के अंगों को बनाया ऐसे गया है कि वे अपना निर्वाह कर सकें, महिलाओं को निजी अंग को किसी तरह डाउचिंग (धुलने) की जरुरत नहीं, उसके लिए साफ पानी काफी है।"

जननांगों से महिलाओं में प्रजनन और त्वचा संबंधी रोग होने की आशंका रहती है। दवा कंपनियां इसका फायदा उठाती हैं। वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. अबीर सारस्वत डॉ. जैसवार की बातों का समर्थन करते हैं। क्या महिलाओं को किसी तरह के इंटीमेट वॉश की जरुरत है? इस सवाल पर डॉ. अबीर सारस्वत कहते हैं, "जब तक महिलाओं को जननांग या उसके आसपास की त्वचा में कोई दिक्कत न हो, उन्हें ऐसे किसी इंटीमेंट हाइजीन उत्पाद का इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं है। पाउडर, वॉश या इंटीमेट डियो जैसे उत्पाद आपको संक्रमण यानी बीमारी दे सकते हैं।"

ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' में सितंबर के पहले हफ्ते में छपी एक ख़बर के मुताबिक अमेरिका के मिसौरी राज्य में अदालत के आदेश के बाद सौंदर्य उत्पाद कंपनी को 22 महिलाओं को अरबों रुपए का मुआवजा देना पड़ा था। इन महिलाओं ने केस दायर किया था कि जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी टैल्क (बच्चों का पाउडर) के जननांग में इस्तेमाल से ओवेरियन कैंसर हुआ था, महिलाओं ने तर्क दिया था, पाउडर में मिला एस्बेस्टस कैंसर की वजह बना। पिछले साल कैलिफोर्निया की अदालत में ऐसा ही मामला पहुंचा था।

महिलाएं जननांगों में पीरियड्स के पहले या बाद, कई बार सफेद स्राव (व्हाइट डिस्चार्ज) या फिर गीलेपन से बचने के लिए टेलकम पाउडर आदि का इस्तेमाल करती हैं, जो कई बार प्राइवेट पार्ट के जरिए अंदर भी चला जाता है और बीमारी की वजह बन सकता है।

"ऐसे किसी उत्पाद का शरीर के अंदरूनी भागों से बिल्कुल संपर्क नहीं होना चाहिए। प्राइवेट पार्ट पर खुजली या फंगस आदि की समस्या है तो उसके लिए मेडिकेटेड (औषधीय) पाउडर आते हैं। डॉक्टर हमेशा आगाह करते हैं कि ऐसे उत्पादों को नाक-मुंह में भी अंदर न जाने दें।' डॉ. अबीर सारस्वत आगे जोड़ते हैं।

डॉ. अबीर सारस्वत जैसे त्वचा रोग डॉक्टरों के संगठन इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट ने एक जनहित याचिका के जरिए भारत में गोरेपन की क्रीम में मिलाए जा रहे कई केमिकल का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद नो स्कॉर्स (दाग-धब्बे हटाने वाली क्रीम) क्रीम पर प्रतिबंध लग गया। डॉक्टरों के मुताबिक भारत समेत पूरी दुनिया में ऐसे कई उत्पाद बिक रहे हैं जिनकी हमें जरुरत नहीं है लेकिन मानसिक अवधारणाओं के चलते उनका इस्तेमाल बढ़ता जाता है।

भारत में वर्ष 2011-12 में जननांगों की रंगत बढ़ाने की क्रीम की बिक्री शुरु हुई थी, जिसके कुछ वर्षों में बाद इंटीमेंट वॉश, इंटीमेट डियो जैसे कई उत्पाद भी आ गए। बॉलीवुड से जुड़े कई बडी अभिनेत्रियां इनका विज्ञापन करती हैं तो कई मॉडल टीवी के जरिए ये साबित करने का प्रयास करती हैं कि उनके जीवन में खुशियों की बड़ी वजह ये इंटीमेंट वॉश भी हैं। टीवी पर एक घंटे में कई-कई बार नजर वाले विज्ञापन अपना असर भी दिखा रहे हैं, शहरी युवतियां महिलाएं इनका सॉफ्ट टार्गेट हैं।

"मैं हर महीने घर के बाकी सामान के साथ ही इंटीमेंट वॉश भी ला कर रख लेती हूँ। हफ्ते के आखिरी दिनों में जब अपने दोस्त के घर जाती हूं तो इनका इस्तेमाल करती हूं,क्योंकि मैने सुना है बदबू लड़कों को पसंद नहीं आती। इससे आने वाली खुशबू मुझे भी अच्छी लगती है।' पुणे में रहकर एचआर की नौकरी करने वाली चांदनी (बदला हुआ नाम) फोन पर बताती हैं। चांदनी का इशारा शारीरिक संबंधों के दौरान अपने दोस्त के वर्ताव को लेकर था, उन्हें डर भी है दुर्गंध आदि आने पर उनका रिश्ता खराब हो सकता है।


विज्ञापनों के माइंडगेम से बचें महिलाएं

मनोवैज्ञानिक, नेहा आनंद बताती हैं, "जनांग को शारीरिक सम्बन्ध के लिए रेप्रेसेंटेबल बनाने का कॉन्सेप्ट बिलकुल अनभिज्ञ या बेसंगत है। लोगों की विचारधाराओं और प्यार की परिभाषा में अब अजीब सा बदलाव आ गया है। अच्छे रिश्ते बनाने के लिए अब शारीरिक सम्बन्ध का अच्छा होना ज़रूरी हो गया है। अपने दोस्तों से सुनकर कोई भी उत्पाद इस्तेमाल न करें। यह काफी हद तक कमर्शियल मार्केटिंग का नतीजा है, फिर चाहे ये टेलीविज़न, इंटरनेट के विज्ञापन के ज़रिये हों या मेडिकल एथिक्स के खिलाफ जाकर डॉक्टर द्वारा दिए गए के इस्तेमाल की सलाह के।"

मनोवैज्ञानिक इसे ही माइंडगेम कहते हैं। फूलों जैसी त्वचा और गुलाबों सी खुशबू वाले उत्पादों के विज्ञापन होते ही इतने कलात्मक और मर्मस्पर्शी हैं कि वो अपना असर छोड़ जाते हैं। शायद यही वजह है कि भारत के उन गांवों में जहां महिलाएं सेनेटरी नेपिकन का पर्याप्त इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं उन कस्बों और छोटे बाजारों में इंटीमेंट वॉश जैसे उत्पाद दिख जाएंगे। मेडिकल स्टोर, ब्यूटी पार्लर से लेकर जनरल स्टोर तक पर ये देखने को मिलने लगे हैं।

लखनऊ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर एनएमपी वर्मा बताते हैं, "अब छोटे शहरों और गांवों में भी मेडिकल स्टोर्स पर वजाइना वाश उपलब्ध हैं। हालांकि अभी ऐसी जगहों पर इनकी मांग ज्यादा नहीं है। लेकिन यदि इसी तरह विज्ञापनों के ज़रिये मार्केटिंग होती रही तो हो सकता है गांवों में भी इस्तेमाल बढ़ जाए।' अपनी बात के आखिर वो एक और खतरे की तरफ इशारा करते हैं, ग्रामीण इलाकों में मांग कम होने से एक्सपायरी डेट वाले उत्पाद मिलने की आशंका बढ़ जाती है, ऐसे उत्पाद का इस्तेमाल हुआ तो खतरा भी और ज्यादा होगा।'

समस्या इसलिए भी गंभीर हो सकती है क्योंकि भारत में अभी तक माहवारी के बारे में खुल कर बात करने में लोग संकोच करते हैं तो गुप्तांगों में आने वाली समस्याओं के लिए डॉक्टर के पास पहुंचने वाली की संख्या कितनी होगी अनुमान लगाया जा सकता है।

जौनपुर में रहने वाली ऋषिता बताती हैं, "नियमित तौर से तो नहीं, लेकिन मेरे पति जब-जब दिल्ली से वापस आते, मैं इनका इस्तेमाल करती थी। एक दिन मैंने जब उन्हें (पति) को बताया तो उन्होंने मना किया। मेरे शादी को दो साल हो गए हैं लेकिन कंसीव (प्रेगनेंसी) करने में दिक्कत है। शुरू में सब छोटी-मोटी समस्या समझ कर डॉक्टर को नहीं दिखाया लेकिन अभी टेस्ट चल रहे हैं, मुझे नहीं पता ऐसे उत्पाद का क्या फर्क पड़ा।"


नाजुक अंगों पर वैक्सिंग भी खतरनाक

"बिकिनी वैक्सिंग के लिए हमारे पास हर दूसरे दिन एक ग्राहक तो आ ही जाती है। शरीर के अन्य भाग जैसे हाथ और पैरों की वैक्सिंग के लिए तो सभी उम्र की लड़कियां और महिलाएं आती हैं पर ब्राज़ीलियन और बिकिनी वैक्सिंग वालों की उम्र 23 से 35 वर्ष होती है," प्रियंका, जो लखनऊ के गोमतीनगर में एक महिला ब्यूटी पार्लर चलाती हैं, बताती हैं। शरीर के बालों के साथ समय-समय पर प्यूबिक बालों को क्लिप करना यानि कैंची से सावधानी से काटना ज़रूरी है, लेकिन ब्यूटी सैलून या पार्लर में ऑफर की जाने वाली ब्राज़ीलियन वैक्सिंग या वजाइनल व्हॉइटेनिंग काफी नुकसानदेह है। "ब्राज़ीलियन वैक्सिंग, वजाइनल व्हॉइटेनिंग, हेयर रिमूवल क्रीम या रेजर, सभी जननांग के लिए खतरनाक हैं।" डॉ. एसपी जैसवार बताती हैं। डॉ. जैसवार महिलाओं को सलाह देती हैं ऐसे किसी भी उत्पाद का प्रयोग करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरुर लेना चाहिए।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के क्वीन मैरी अस्पताल की अधीक्षक डॉक्टर एसपी जैसवार के मुताबिक हर युवती या महिला को इन दस बातों का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए-

•किसी भी तरह से वजाइना वाश, पाउडर या गुप्तांगों के डीओ या परफ्यूम से बचें, यह सब वजाइना के अंदर जाकर शरीर के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।

• वजाइना को साफ करने के लिए केमिकल युक्त उत्पादों का प्रयोग न करें, इसमें मौजूद केमिकल से संक्रमण होने की संभावना अधिक रहती है।

•केवल गरम पानी से जननांग की सफाई करें और अंडरगारमेंट समय पर बदलें।

•अंडरगारमेंट लेस या साटन की बजाय कॉटन के कपड़े वाले हों और उन्हें धुलने के बाद धुप में सुखाएं।

•गलती से भी वेस्टर्न टॉयलेट में लगे जेट से वजाईना को ना धुलें। हैण्ड शावर का इस्तेमाल करते हुए, आगे से पीछे की तरफ धुलें (पीछे से आगे की तरफ धुलने से मल के वक़्त जो जीवाणु शौच में नहीं निकल पाते वो हैण्ड शावर कि पानी के साथ वजाईना तक पहुच सकते हैं)।

•प्यूबिक बालों को सिर्फ ट्रिम करें, सावधानी से कैंची का इस्तेमाल करें। हेयर रिमूवल क्रीम और रेजर से दूर रहें।

•दिन में दो बार स्नान करें या अपने गुप्तांगों को धुलें। इस तरह वजाइना स्वस्थ्य और बदबू से मुक्त रहेगी।

•माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकिन को कम से कम दिन में तीन बार बदलें और गरम पानी से स्नान करें।

•पेशाब करने के बाद वजाइना को टॉयलेट पेपर या टिशू पेपर से साफ करें। घर और दफ़्तर, दोनों जगहों पर टॉयलेट की सफाई सुनिश्चित करें।

•बियर और मसालेदार भोजन से बचें और अधिकतम हरी सब्ज़ियों, अनानास, बैरी व अन्य फलों का सेवन करें, योनि में दुर्गन्ध स्वाभाविक रूप से कम हो जाएगी।

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