सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अरावली में नहीं रुक रहा गैरक़ानूनी ख़नन, लेकिन चुनावी मुद्दा नहीं
"अवैध खनन यहां पैसा बनाने की फैक्ट्री है। राजनेता अधिकारियों पर दबाव डालते हैं और उनके (अधिकारियों) लिये भी यह मुनाफे का सौदा बन जाता है। अदालत ने इस पर कई बार आदेश जारी किये हैं लेकिन अरावली में खनन नहीं रुकता।"
Hridayesh Joshi 10 Dec 2018 6:38 AM GMT
अलवर/भरतपुर। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी राजस्थान के कई हिस्सों में अवैध ख़नन चोरी छुपे जारी है। राजस्थान में हुए चुनावों में अवैध खनन कोई मुद्दा भी नहीं बना, जबकि अरावली का बड़ा हिस्सा अवैध खनन की बलि चढ़ चुका है। इस अंधाधुंध खनन से भू-जल स्तर में तेज़ी से गिरावट हो रही है। साथ ही राजस्थान के अलावा दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण और अधिक होने का ख़तरा है जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने राज्य सरकार को डांट पिलाई थी।
हमने अलवर और भरतपुर के कई इलाकों का दौरा किया जहां अवैध खनन और स्टोनक्रशर में काम चोरी छुपे जारी है। पिछले 15 सालों से अरावली और आसपास के इलाकों में हरियाली बचाने और खनन को रोकने के लिये लड़ रहे साधु और सामाजिक कार्यकर्ता हरिबोल बाबा ने गांव कनेक्शन को बताया, "अवैध खनन यहां पैसा बनाने की फैक्ट्री है। राजनेता अधिकारियों पर दबाव डालते हैं और उनके (अधिकारियों) लिये भी यह मुनाफे का सौदा बन जाता है। अदालत ने इस पर कई बार आदेश जारी किये हैं लेकिन अरावली में खनन नहीं रुकता।"
गायब होती अरावली, अस्तित्व का संकट
सुप्रीम कोर्ट को जब सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने बताया कि अरावली की 128 में से 31 पहाड़ियां गायब हो गई हैं तो जस्टिस एमबीलोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने राजस्थान सरकार से पूछा,"राज्य में क्या हो रहा है? लगता है इंसान हनुमान बनकर पहाड़ियों को उड़ा ले जा रहे हैं!" कोर्ट ने बरबाद होती अरावली के कारण दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण और लाखों लोगों कीजान को ख़तरे की बात भी कही थी।
अरावली की 128 में से 31 पहाड़ियां गायब हो गई तो जस्टिस एमबीलोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने राजस्थान सरकार से पूछा,"राज्य में क्या हो रहा है? लगता है इंसान हनुमान बनकर पहाड़ियों को उड़ा ले जा रहे हैं!
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अरावली की पहाड़ियां राजस्थान के रेतीले इलाके में जैव विविधता और भू-जल संरक्षण के लिये बेहद अहम हैं वह बरसात का पानी सोख कर जलस्तर को गिरने से रोकती हैं। साथ ही थार मरुस्थल को दिल्ली की ओर से फैलने से रोकती हैं। पर्यावरण के जानकार इस बात को बार-बार कहते रहे हैं। आरटीआई कार्यकर्ता हरिन्दर ढींगरा कहते हैं, "अभी सर्दियों में जो एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 400 से 500 पहुंच जाता है वह अरावली के लगातार बर्बाद होते रहने पर 700 से 800 पहुंचने लगे तो कोई हैरत नहीं। फिर हमें मारने के लिये पाकिस्तान को बम गिराने की ज़रूरत नहीं। यह प्रदूषण ही काफी होगा।"
"फिर हमें मारने के लिये पाकिस्तान को बम गिराने की ज़रूरत नहीं। यह प्रदूषण ही काफी होगा।" हरिंदर ढींगरा, आरटीआई कार्यकर्ता, अवैध खनन पर
अदालत के आदेश ताक पर
गांव कनेक्शन की टीम भिवाड़ी के लाधिया में पहुंची तो पाया कि चोरी छुपे खनन चल रहा है। मज़दूर पत्रकारों को देखकर भाग गये लेकिन खनन के लिये इस्तेमाल सामान वहीं छोड़ गये जिसकी तस्वीर हम यहां दिखा रहे हैं। पुलिस और प्रशासन का ढुलमुल रवैया ऐसी गतिविधि को और शह देता है। भरतपुर के नांगल क्षेत्र में भी खनन और क्रशर चलते दिखे।
कई इलाकों में शाम होती ही खनन का काम शुरू होता है और फिर वह सुबह तक चलता है। इसी समय ट्रकों और डंपरों में खनन किया माल भरकर बाहर निकाला जाता है। स्थानीय कार्यकर्ता कहते हैं कि गांधानेर, चिनावड़ा, बोलखेड़ा, लहसर, इन्द्रोली, भुआपुरगढ़ी, छपरा और गंगोरा विजासना समेत कई इलाकों में चोरी छुपे खनन जारी है। खनन माफिया विरोध करने वालों को डराने धमकाने के साथ हिंसा तक उतारू है।
एक ओर बाबा हरिबोल जैसे कार्यकर्ताओं को धमकियां मिलती हैं वहीं पिछले साल 6 जून को चौपनकी थाने के कांस्टेबल लालाराम यादव को खनन माफिया ने कुचल कर मारा डाला। 25 साल के लालाराम यादव उस वक्त पत्थर से भरे एक ट्रक को रोकने की कोशिश कर रहा थे।
कुटीर उद्योग बन गया है अवैध ख़नन
गुड़गांव के चेतन अग्रवाल अरावली का अध्ययन पिछले करीब 10 सालों से कर रहे हैं। वह कहते हैं कि गैरकानूनी ख़नन एक "मुनाफे वाला कुटीर उद्योग" है। यह "जिंदगी जीने का तरीका" बन गया है। अग्रवाल समझाते हैं कि कानूनी रूप से निकाले गये माल में गैरकानूनी खनन का मिश्रण टैक्स चोरी का शानदार ज़रिया बना जाता है। उनके मुताबिक ऐसा करने वाले हमेशा उपलब्ध रहते हैं और स्थानीय मांग की कोई कमी नहीं है।
राजस्थान सरकार ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार को खनन से 5000 करोड़ की कमाई हो रही है। लेकिन अवैध ख़नन इससे कहीं अधिक विराट रूप में चलता है। कभी अलवर के डीएफओ रहे भारतीय वन सेवा के अधिकारी डीकाथिरविल ने 2013 में मोटी गणना की और अनुमान लगाया था कि भिलाड़ी क्षेत्र से ही 1998 से 2013 तक 50,000 करोड़ का माल चोरी हुआ। काथिरविल ने उच्च अधिकारियों को जांच के लिये कमेटी गठित करने को भी कहा था।
विधान सभा चुनाव में खनन मुद्दा नहीं
राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं और अगले महीने वोट डाले जायेंगे। लेकिन पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से इतना अहम मुद्दा चुनावों में कहीं नहीं है। सत्ताधारी बीजेपी हो या कांग्रेस सभी पार्टियों के कई नेता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खनन में लिप्त हैं।
"कोई पार्टी इसे मुद्दा क्यों बनायेगी जब नेताओं के समर्थक ही इसमें शामिल हैं। आज बीजेपी सत्ता में है औऱ वीएचपी और बजरंग दल से जुड़े कई लोग यह काम कर रहे हैं। वही हाल कांग्रेस का था जब वह पावर में थी।" अोमप्रकाश
भरतपुर की पहाड़ी तहसील के ओम प्रकाश कहते हैं, "कोई पार्टी इसे मुद्दा क्यों बनायेगी जब नेताओं के समर्थक ही इसमें शामिल हैं। आज बीजेपी सत्ता में है औऱ वीएचपी और बजरंग दल से जुड़े कई लोग यह काम कर रहे हैं। वही हाल कांग्रेस का था जब वह पावर में थी।"
स्थानीय पत्रकार भगवान दास कहते हैं, "नेताओं के रिश्तेदार ही खनन कर रहे हैं और अगर कोई सख्त अधिकारी आता है तो उसका तबादला करवा दिया जाता है। ऐसे में खनन चुनावी मुद्दा कैसे बनेगा।" महत्वपूर्ण है कि अरावली के इसी हिस्से में है ब्रज चौरासी का धार्मिक महत्व का क्षेत्र। साधु संत लम्बे समय से इसे बचाने की मांग कर रहे हैं लेकिन राज्य और केंद्र दोनों में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी इस पर कुछ नहीं हुआ है।
भरतपुर के कामा और पहाड़ी तहसील क्षेत्र में खनन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हरिबोल कहते हैं, "हमें यह देखकर बहुत दुख होता है कि बीजेपी की सरकार होते हुये भी हमारी धर्मस्थली असुरक्षित है। राज्य सरकार हो या मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वह सिर्फ दिखावा करते हैं। जब हम लोग आवाज़ उठाते हैं तो सरकार हमें दबाती है और हम पर मुकदमा करती हैं। अगर हम थाने में जाते हैं तो हमारी शिकायत भी दर्ज नहीं होती।"
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