बीएचयू विवाद : “कुर्ते में हाथ डाला था, कोई कहां तक बर्दाश्त करे”  

Arvind ShuklaArvind Shukla   27 Sep 2017 9:13 AM GMT

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बीएचयू विवाद : “कुर्ते में हाथ डाला था, कोई कहां तक बर्दाश्त करे”  पुलिस के लाठीचार्ज में घायल हुई छात्राएं।

वाराणसी। बनारस के बीएचयू में छात्रा के साथ हुई छेड़खानी के मामला तूल पकड़ गया है। कैंपस में सुरक्षा को लेकर आंदोलन कर रही छात्राओं के आंदोलन ने शनिवार देर रात हिंसक रूप ले लिया। पुलिस के लाठीचार्ज में कई छात्र-छात्राओं, डीएम और पुलिसकर्मी समेत छात्र घायल हुए हैं, जिसके बाद परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस दौरे के दौरान उनकी यात्रा के साथ बीएचयू में त्रिवेणी हॉस्टल में रहने वाली फाइन आर्ट में सेकेंड ईयर की छात्रा के साथ छेड़खानी का मामला आंदोलन में बदल गया है। आरोप है कि शनिवार की देर रात बीएचयू के वाइस चांसलर के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसके के बाद मुख्य प्रदर्शन स्थल पर भी लाठीचार्ज हुआ, जिसमें कई 20-25 छात्राएं और दर्जनों छात्रों को चोटें आईं।

लड़कों ने उसके कुर्ते में हाथ डाला था, जींस में हाथ डालने की कोशिश की। मेरे साथ भी छेड़खानी हो चुकी है। कई और लड़कियां छेड़खानी का शिकार हुई हैं, कोई कब तक बर्दाश्त करे।
बीएचयू की एक छात्रा

वीडियो- देखिए शनिवार रात बीएचयू में क्या हुआ, और क्या बोलीं छात्राएं

इस मामलों को लेकर गांव कनेक्शन से बात करते हुए कैंपस की एक छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “छात्राएं यहां सुरक्षित नहीं है। आपको शायद खबर न हो कि उस छात्रा के साथ क्या हुआ था, लड़कों ने उसके कुर्ते में हाथ डाला था, जींस में हाथ डालने की कोशिश की, मेरे साथ छेड़खानी हो चुकी है। कई और लड़कियां छेड़खानी का शिकार हुई हैं, ऐसे में कोई कैसे बर्दाश्त कर सकता है। इसलिए इतना गुस्सा है।”

लाठीचार्ज में घायल छात्र- फोटो साभार BHU Buzz।

संबंधित खबर :- बीएचयू की कहानी 4 लड़कियों की जुबानी... ‘हां हम हर वक्त छेड़खानी की दहशत में जीते हैं’

देखें वीडियो...

प्रदर्शन में शामिल इस छात्रा के मुताबिक इतना बड़ा कैंपस है लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं, सड़कों पर कैमरे नहीं हैं और सुरक्षा गार्ड नहीं हैं। मैं ये नहीं जानती छेड़खानी करने वाले लड़के कैंपस के थे या बाहर के। ऐसे में गेट में आने-जाने वालों का रिकार्ड रखा जाए।

इस छात्रा के मुताबिक इतना बड़ा कैंपस है लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं, सड़कों पर कैमरे नहीं हैं और सुरक्षा गार्ड नहीं हैं। मैं ये नहीं जानती छेड़खानी करने वाले लड़के कैंपस के थे या बाहर के। ऐसे में गेट में आने-जाने वालों का रिकार्ड रखा जाए।

मौके पर मौजूद मिनाश्री ने देर रात करीब साढ़े तीन बजे गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, “मामला एक लड़की का नहीं है, हम सबकी सुरक्षा है, इसीलिए इतनी लड़कियां सड़क पर उतरने को मजबूर हुईं। हम सब शांति के साथ प्रदर्शन कर रहे थे, हमारी मांग थी कि वीसी साहब आएं और बात करें, लेकिन वो अब आ रहे हैं तब आ रहे हैं ये चलता रहा, इसी बीच कुछ छात्राएं उनके आवास पहुंच गई, जहां उनपर लाठीचार्ज करवाया गया, जिसकी जानकारी मिलने पर बाकी जगह (बीएचयू गेट) पर भी लाठीचार्ज हुआ।”

BHU कैंपस में लती जलती हुई बाइक।

बीएचयू में सुरक्षा के हिसाब से करीब दो दर्जन थानों की पुलिस, वज्र वाहन, 5 कंपनी पीएसी और आसपास के जिलों के अधिकारी मौके पर जमे हुए हैं। हालात बिगड़ते देख 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) तक कैंपस में छुट्टी कर दी गई है। बताया जा रहा है छात्र-छात्राओं ने भी पत्थरबाजी की है, जिसमें डीएम समेत कई पुलिसकर्मी और मीडिया कर्मी घायल हुए हैं। नाराज छात्र-छात्राओं ने कई बाइकों को आग लगा दी है।

पुलिस ने आज हदें पार की हैं, लड़कों के साथ लड़कियों को पीटा है। पुलिस ने एमएसबी और त्रिवेणी समेत कई हास्टल में आंसू गैस के गोले छोड़े हैं।’
मिनाश्री, छात्रा और प्रदर्शनकारी, बीएचयू

मिनाश्री बताती हैं, “पुलिस ने आज हदें पार की हैं, लड़कों के साथ लड़कियों को पीटा है, मेरी जानकारी के मुताबिक करीब 30 लड़कियां घायल हुई हैं। लड़कों के साथ तो पुलिस ने बर्बर व्यवहार किया है। पुलिस ने एमएसबी और त्रिवेणी समेत कई हास्टल में आंसू गैस के गोले छोड़े हैं।’

जानकारी के मुताबिक कई पेट्रोल बम फेंके गए हैं, जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। घायलों को बीएचयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। छात्राओँ के मुताबिक पूरा विवाद वीसी को लेकर हुआ, अगर वो पहले आकर उनकी बात सुन लेते तो बात इतनी नहीं बढ़ती।

बनारस हिंदी यूनिवर्सिटी के गेट पर देर रात जमा छात्र छात्राएं।

बीएचयू के छात्रों के एक बड़े धड़े का कहना है कि मामला सिर्फ छात्राओं की सुरक्षा का था, जिसे लेकर 36-37 घंटों से लड़कियां प्रदर्शन कर रही थीं, लेकिन इसे वीसी समेत कई लोगों ने सियासी रंग देने की कोशिश की है।

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