झारखंड स्थापना दिवस पर इन 10 शख़्सियतों को मिला 'झारखंड सम्मान 2018'

इन दस रत्नों में किसी को तीरंदाजी में महारथ हासिल हैं तो किसी को हॉकी में। कोई प्रसिद्ध मूर्तिकार है तो कोई वादक तो कोई दिव्यांगों का डॉक्टर। इनमें से कोई सफल किसान है तो कोई सफल उद्यमी।

Neetu SinghNeetu Singh   15 Nov 2018 9:10 AM GMT

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झारखंड स्थापना दिवस पर इन 10 शख़्सियतों को मिला झारखंड सम्मान 2018

रांची। झारखंड के 18वें स्थापना दिवस पर राज्य के उन 10 रत्नों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने देश और दुनिया में झारखंड का नाम रोशन किया है।

बिरसा मुंडा की जयंती पर रांची के मोराबादी मैदान में आज ये सम्मान दिया गया। इन दस रत्नों में किसी को तीरंदाजी में महारथ हासिल हैं तो किसी को हॉकी में। कोई प्रसिद्ध मूर्तिकार है तो कोई वादक तो कोई दिव्यांगों का डॉक्टर। इनमें से कोई सफल किसान है तो कोई सफल उद्यमी।

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तीरंदाज मधुमिता कुमारी

राष्ट्रीय स्तर पर 50 से ज्यादा मेडल जीतने वाली तीरंदाज मधुमिता कुमारी (21 वर्ष) बताती हैं, "जब तीरंदाजी की शुरुआत की थी सब मेरे माता-पिता से कहते थे लड़की है बाहर न भेजा करो। पर परिवार वालों ने उस समय मुझे स्पोर्ट किया। एक दिन वो था और एक आज का दिन।" ये मूल रूप से रामगढ़ जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मांडू ब्लॉक के मुकुन्दा बेरा गाँव की रहने वाली हैं। मधुमिता ने 13 साल की उम्र से तीरंदाजी खेलने की शुरुआत की थी अब तक ये 50 से ज्यादा मेडल जीत चुकी हैं।

15 नवम्बर 2000 को बिहार से अलग झारखंड राज्य बना। आज से बिहार से झारखंड को अलग हुए 18 साल पूरे हो गए। इन 18 वर्षों में झारखंड ने अपने नाम कई उपलब्धियां अपने नाम की।

देश का पहला राज्य जहां महिलाओं के नाम 50 लाख तक सम्पत्ति की रजिस्ट्री एक रुपए में होती है। पूरा राज्य खुले में शौच से मुक्त हो चुका है।

केडिया बंधु

झारखंड सम्मान 2018 से सम्मानित हो रहे ऑर्थो के डॉ. सुरेश्वर पाण्डेय अब तक 26,000 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों का मुफ्त में इलाज कर चुके हैं। ये 34 वर्षों तक पटना और रांची मेडिकल कॉलेज में आर्थो के शिक्षक रहे। रिटायरमेंट के बाद इन्होंने दिव्यांग बच्चों का निःशुल्क इलाज शुरू किया।

सुरेश्वर बताते हैं, "मुझे इंटरनेशनल शिक्षक के तौर पर भी चुन गया। कई देशों में जाकर पढ़ाने का मौका मिला। अबतक सात अलग-अलग भाषाओँ में किताबें लिख चुके हैं। एक दिव्यांग बच्चों के लिए अस्पताल बनवाया है जहां अभी 60 बच्चे रह रहे हैं।"


मोर मुकुट केडिया और मनोज केडिया (केडिया बंधु) गिरिडीह जिले से सरोद एवं सितार वादन में महारत हासिल है। दोनों भाइयों को आज झारखंड सम्मान 2018 से सम्मानित किया जा रहा है। मनोज केडिया बताते हैं, "अपने राज्य में सम्मान मिलना सबसे ज्यादा गौरव का क्षण होता है। संगीत से बचपन से जुड़ाव रहा और ये कभी खत्म नहीं हो सकता।"

मूर्तिकार अमिताभ मुखर्जी (54 वर्ष) के परिवार को पीढ़ियों से कलाकारी में महारथ हासिल है। ये बताते हैं, " बचपन में दीमक की मिट्टी लाकर घर में मूर्तियां बनाया करते थे। माँ घर गन्दा करने पर पिटाई करती थी। बचपन के शौक ने कलाकार बना दिया।" इनकी बनाई कई मूर्तियां झारखंड राज्य के अलग-अलग जगहों पर लगी हैं। जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में इनकी बनाई 250 मूर्तियों का एक म्यूजियम बना है।

     

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