खेती के साथ-साथ करौंदे के पौधों से भी किसान उठा सकते हैं मुनाफा, ऐसे करें खेती

Neetu SinghNeetu Singh   4 Dec 2017 4:39 PM GMT

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खेती के साथ-साथ करौंदे के पौधों से भी किसान उठा सकते हैं मुनाफा, ऐसे करें खेतीकरौंदा का पेड़

लखनऊ। करौंदे की फसल किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रही है। ये फसल किसानों को मुनाफा देने के साथ-साथ उनकी फसल की सुरक्षा भी करती है। करौंदा झाड़ीनुमा कांटेदार वृक्ष होने की वजह से नीलगाय जैसे जंगली पशुओं को फसल का नुकसान करने के लिए रोकते हैं।

करौंदा को किसी भी फसल या बागवानी के चारों तरफ लगाया जाता है, इसके 100 वृक्षों से 20 हजार रुपए की कमाई किसानों को हो रही है।यह वृक्ष भारत में राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश और हिमालय के कई क्षेत्रों में पाया जाता है। उत्तर-प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले से 65 किलोमीटर दूर पूरब दिशा में परेम गाँव में है।

इस गाँव में रहने वाले संतोष कुमार सिंह (42 वर्ष) बताते हैं, “सन 2008 में करौंदा के 300 पौधे जुलाई महीने में अपनी फसल के आस-पास लगाए थे। एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच एक से डेढ़ मीटर की दूरी रखते हैं और इसके बीच में बेल का भी पौधा लगा दिया है। करौंदा का पेड़ ज्यादा लम्बा नहीं होता है इसलिए बेल और करौंदा एक साथ आसानी से हो जाता है।

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करौंदे की फसल में लागत शून्य और मुनाफा भरपूर

संतोष का कहना है “जब नर्सरी लगाई थी तो दो रुपए पौधा पड़ा था तब से आज तक कोई लागत नही पड़ी क्योंकि फसल में जो खाद पानी डालते है वो करौंदा के पौधों तक आसानी से पहुंच जाता है। इसका पौधा लगने के डेढ़ साल के बाद फल लगने शुरू हो जाते हैं। अप्रैल के महीने में फूल मई-जून में फल लग जाते हैं। जुलाई का महीना आते-आते फल पूरी तरह से पक कर जुलाई अंतिम सप्ताह भी हो जाते हैं। करौंदे के पौधों की हर साल छटाई होती रहे तो उसके फल तोड़ने में कोई परेशानी नहीं होती है।”

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सुमन सिंह (47) वर्ष का कहना है कि करौंदा से चटनी, अचार और मुरब्बा हम अपने घर में खाने भर का बना लेते हैं। इसका अचार तो कई महीने चलता है। वो आगे कहती हैं, “मेरे पति को करौंदे का मुरब्बा बहुत पसंद है, मेरा पूरा घर इसे खाता है, इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होती हैं”

संतोष सिंह आगे बताते हैं कि “एक करौंदे के पौधे में कम से कम 10 किलो करौंदा आराम से निकल आता है। हमने कुछ दुकानदार निर्धारित कर लिए हैं जैसे समोसा वाले, चाट वाले। ये 20 रुपए किलो के हिसाब से करौंदा प्रतिदिन एक दो किलो खरीद लेते हैं |15-20 किलो करौंदा आराम से बिक जाता है। फुटकर बाजार में ये 12 रुपए किलो बिकता है।”

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कई रोगों में फायदेमंद

करौंदे के पेड़ पहाड़ी जगह में ज्यादा होते हैं कांटे भी होते हैं। करौंदे का पौधा एक झाड़ की तरह होता है। इसकी ऊंचाई 6 से 7 फीट तक होती है। पत्तों के पास कांटे होते है जो मजबूत होते है। इसके फूलों की गन्ध जूही के समान होती है। इसके फल गोल, छोटे और हरे रंग के होते है। करौंदा के कच्चे फल सफेद व लालिमा सहित अण्डाकार दूसरे बैंगनी व लाल रंग के होते हैं देखने में सुन्दर तथा कच्चे फल को काटने पर दूध निकलता है। पक जाने पर फल का रंग काला हो जाता है, इसके अन्दर 4 बीज निकलते हैं।

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करौंदे के फायदे

करौंदे का अचार बहुत अच्छा होता है। इसकी लकड़ी जलाने के काम आती है। एक विलायती करौंदा भी होता है, जो भारतीय बगीचों में पाया जाता है। इसका फल थोड़ा बड़ा होता है और देखने में सुन्दर भी। इस पर कुछ सुर्खी-सी होती है। इसी को आचार और चटनी के काम में अधिक लिया जाता है। करौंदा भूख बढ़ाता है और पित्त को शान्त करता है। प्यास को रोकता है, दस्तों को बन्द करता है।

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