भारी बारिश में बही किसानों की उम्मीदें, सोयाबीन, उड़द बर्बाद, धान को भी नुकसान

Mithilesh DharMithilesh Dhar   24 Sep 2018 7:21 AM GMT

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भारी बारिश में बही किसानों की उम्मीदें, सोयाबीन, उड़द बर्बाद, धान को भी नुकसान

लखनऊ। पिछले तीन दिन से हो रही लगातार बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। सोयाबीन और उड़द की फसलें सबसे ज्यादा खराब हुई हैं तो वहीं तेज हवाओं के कारण धान की फसल जमीन पर बिछ गयी है। ऐसे में अच्छी पैदावार की उम्मीद लगाये किसानों की उम्मीदों पर एक बार फिर आसमनी आफत की बारिश हो गयी है।

इंदौर के किसान दिलीप मुकाती आलू की तैयारी में लगे थे। 30 बीघे में लगी सोयाबीन में से अभी छह बीघे की ही कटाई हो पायी थी कि बारिश हो गयी। दिलीप कहते हैं " सोयाबीन कटाई का काम चालू था। एक हफ्ते और माैसम अच्छा रहा होता पूरी उपज घर आ गयी होती। अब अगर बारिश बंद होती है तो फसल को सुखाने के लिए खेत में ही छोड़ना होगा। इससे अगली फसल के लिए लेट होगा। खेत में बारिश का पानी भर गया है। बारिश अभी हो ही रही है और कब तक होगी ये भी नहीं पता। पानी सूख गया तो ठीक है वरना पूरी पकी-पकाई फसल चौपट हो जाएगी। 24 बीघे की मेरी फसल अभी कटाई के लिए बाकी है।"

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जिन किसानों ने जून के आखिरी में बुवाई कर दी थी उनकी सोयाबीन की फसल कटने को तैयार थी। ऐसे में अब किसानों को उपज का दाम पाने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। बावजूद इसके 10 से 20 फीसदी दाम कम मिलेगा। यदि बारिश जारी रही तो ये नुकसान बढ़ेगा ही। अभी नयी सोयाबीन के भाव 2750 से 3150 रुपए के बीच हैं। इससे जिन किसानों की कटी हुई सोयाबीन भीगी उन्हें 275 से 315 रुपए प्रति क्विंटल पर कम मिलेंगे।

मध्य प्रदेश, राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र के भी कई जिलों में लगातार बारिश हो रही है। 10 से 12 सितबंर के बीच मानसूनी बारिश बंद हो जाती थी लेकिन इस मौसम विभाग ने पहले ही बता दिया था कि मानसून इस साल पूरे सितंबर तक रहेगा। मौसम विभाग ने जो विज्ञप्ति जारी की है उसके अनुसार 24 और 25 सितंबर को मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में भारी बारिश हो सकती है।


हालांकि इस बारिश से कपास किसानों को फायदा होगा क्योंकि महाराष्ट्र में बारिश तो हुई लेकिन हवाओं का वेग कम था। सेंट्रल इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ जीएस रोमाना ने बताया कि पंजाब और महाराष्ट्र के उप हिस्सों में जहां हवाओं का दाब कम था, वहां कपास की खेती सुरक्षित है। अगर हवाएं तेज होती तब पाैधे टूट सकते थे लेकिन अभी कोई नुकसान नहीं है बल्कि फायदा ही होगा। सफेद मक्खियों का प्रकोप कम हो जाएगा। लेकिन अगर पानी जमा रहा तो जड़ें कमजोर हा जाएंगी ऐसे में किसानों को जड़ों पर मिट्टी डालना पड़ेगा जिसके लिए बहुत मेहनत करनी होगी।"

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पंजाब और हरियाणा के कई जिलों तेज हवाओं के साथ भी बारिश हुई। ऐसे में धान की फसलें गिर गयी हैं। उत्तर प्रदेश के भी कई जिलों में तेज आंधी के साथ आयी बारिश के कारण धान की फसलें खराब हुई हैं। जौनपुर कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञ अमिताभ कर कहते हैं " पुर्वांचल के कुछ जिलों में तेज हवाओं के साथ बारिश हुई है। जहां हवाएं तेज थीं नुकसान वहीं हुआ, बाकी जगहों पर तो फायदा ही हुआ है। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र लखनऊ के डॉ दीपक बताते हैं " लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में नुकसान नहीं हुआ है। धान के लिए ये बारिश फायदेमेंद साबित होगी।

पंजाब, फतेहगढ़ साहिब के किसान अजैब सिंह ने बताया "कटाई का काम जारी है और बारिश से फसल में नमी की मात्रा बढ़ जाएगी और अगर बारिश ऐसे ही होती रही तो फसल को नुकसान पहुंच सकता है।" पंजाब सरकार ने राज्यभर में 24 सिंतबर तक भारी बारिश होने को लेकर रेड अलर्ट जारी कर दिया है। पंजाब में इस साल 200 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद के लिए विस्तृत व्यवस्था की गई है।

राजस्थान में सोयाबीन और उड़द की फसलों को नुकसान पहुंचा है। पूर्वी राजस्थान में सोयाबीन की तैयारी फसल बर्बाद हो गई है। किसान अब इसे काटने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन ने उनकी मेहनत पर पानी फिर गया। दौसा में रविवार को सामान्य से करीब 7 गुना ज्यादा बारिश हुई है। दौसा के किसान पप्पू जाट बताते हैं " 15 बीघे की उड़द पानी में है। खेत में पूरा पानी भर गया है। अब तो मुश्किल ही है कि अनाज घर आ पाये। अभी बारिश हो ही रही है।"


बारिश वैसे पश्चिमी राजस्थान में भी हुई है, लेकिन इस इलाके के कई इलाकों में अभी सूखे जैसे हालात हैं। भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास किसानों की ग्वार और खरीफ दाल की फसल पानी के बिना सूख रही है। पश्चिमी राजस्थान में इस साल सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश हुई है।

मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट के अनुसार

24 सितंबर को मौसम का हाल

भारी बारिश : हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, असम-मेघालय और तमिलनाडु

25 सितंबर को मौसम का हाल

भारी बारिश : हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, असम-मेघालय और तमिलनाडु


         

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