भारत ने जीआई प्रमाणित 2.5 मीट्रिक टन आम दक्षिण कोरिया को भेजे, निर्यात बढ़ाने के लिए एपीडा की बैठक

आम भारत के लगभग सभी राज्यों में होते हैं। आम की कुछ किस्में जैसे अल्फासों, केसर, तोतापुरी और बनगनपल्ली का भारत से निर्यात होता है।

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
भारत ने जीआई प्रमाणित 2.5 मीट्रिक टन आम दक्षिण कोरिया को भेजे, निर्यात बढ़ाने के लिए एपीडा की बैठक

एपीडा के मुताबिक कोरिया के अलावा ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों को आम भेजे गए हैं। फोटो साभार-एपीडा

नई दिल्ली। भारत ने मई महीने की शुरुआत में इस मौसम में पहली बार भौगोलिक संकेतक (जीआई) मार्का आम बनगनपल्ली और सुवर्णरेखा की अन्य किस्मों के ढाई मीट्रिक टन आम दक्षिण कोरिया को निर्यात किए थे। ये आम आंध्रप्रदेश के कृष्णा और चित्तूर के किसानों की बागों के थे, जिन्हें इफको की सहायक कंपनी आईकेएसईजेड ने भेजा था।

आम को भारत में फलों का राजा कहा जाता है। देश के ज्यादातर राज्यों में आम की पैदावार होती है, जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक प्रमुख हैं। अल्फांसो, केसर, तोतापुरी और बनगनपल्ली आमों का भारत से सबसे ज्यादा निर्यात होता है। आमों का निर्यात तीन तरह से होता इनमें ताजा पके आम, आम का गूदा और आम की फांक शामिल हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के बयान के अनुसार दक्षिण कोरिया को आम का निर्यात बढ़ाने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने 20 मई को अहम वर्चुअल बैठक की, जिसमें सियोल स्थित भारतीय दूतावास, इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स, कोरिया (आईसीसीके) के बीच क्रेता-विक्रेता (वीबीएसएम) शामिल हुए। बैठक में अपेडा, भारतीय दूतावास, आईसीसीके के आला अधिकारियों, भारत के निर्यातकों और दक्षिण कोरिया के आयतकों ने अपना-अपना पक्ष रखा और संभावनाओँ पर चर्चा की।

संबंधित खबर- लॉकडाउन का असर: सब्जियां और फल माटी मोल, 4 रुपए किलो तरबूज, 20 रुपए किलो मिर्च, आम के खरीदार नहीं

कोविड-19 महामारी के मौजूदा दौर के मद्देनजर निर्यात प्रोत्साहन कार्यक्रम का पारंपरिक आयोजन संभव नहीं था। अपेडा ने पहल करते हुये वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन किया, ताकि भारत के आम निर्यातक और दक्षिण कोरिया के आयातक एक प्लेटफार्म पर इकट्ठा होकर बातचीत कर सकें।

वाणिज्यक एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक यह पहला निर्यात था, जिसे आईकेएसईजेड ने किया था। यह इफको की सहायक कंपनी है। इफको बहु-राज्यीय संस्था है, जिसमें 36,000 सहकारिता सदस्य हैं। इस मौसम में दक्षिण कोरिया को और आम निर्यात करने की संभावनायें हैं। इफको किसान एसईजेड का दक्षिण कोरिया के मीजाइम के साथ अनुबंध है, जिसके तहत इस मौसम में 66 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया गया। आंध्रप्रदेश बागवानी विभाग भी इस प्रयास में हाथ बंटा रहा है।

दक्षिण कोरिया को भेजे जाने वाले आमों को आंध्रप्रदेश एग्रो इंटीग्रेटेड पैकहाउस एंड वीएचटी सिस्टम, तिरुपति में प्रसंस्कृत किया जाता है। इस इकाई को अपेडा द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त है, ताकि इस क्षेत्र से ताजा फल और सब्जियों का निर्यात हो सके।

पैकिंग हाउस से लगभग 400 मीट्रिक टन ताजा फलों और सब्जियों का निर्यात किया गया है। भारत के दक्षिणी राज्यों के उत्पादों को इस पैकिंग हाउस के जरिये यूरोपीय संघ और गैर यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता है। इसके अलावा इन उत्पादों को इंग्लैंड, आयरलैंड, मध्य पूर्व देशों, आदि को भी भेजा जाता है।

आमों का प्रसंस्करण अपेडा द्वारा पंजीकृत पैकहाउस सुविधाओं में होता है और उसके बाद विभिन्न क्षेत्रों व देशों को निर्यात किया जाता है, जिनमें मध्य पूर्व, यूरोपीय संघ, अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं।

कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के चलते आम के बागानों, कारोबारियों और निर्यातकों के लिए ये मुश्किल भरा साल रहा है। महाराष्ट्र में अल्फांशो आम उत्पादकों को कोविड पाबंदियों और मांग कम होने के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कोविड के साथ ही कुछ दिनों पहले आए तौकातो के चलते गुजरात और महाराष्ट्र में आम उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ है। यहां तक की पेड़ों को भी भारी क्षति हुई है।

संबंधित खबर- गुजरात: तौकते की रफ्तार से तबाह हुए किसान, आम की फसल के साथ पेड़ भी बर्बाद

mango farmer #mango #export #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.