वीडियो - अगर आपका बचपन किसी गाँव, कस्बे या छोटे शहर में बीता है, तो इन खेलों को आपने ज़रूर खेला होगा
Devanshu Mani Tiwari 4 Jan 2018 6:39 PM GMT
स्टापू, गिल्ली-डंडा, खोखो, कंचे...ये नाम याद हैं ? अगर आपका बचपन किसी गाँव, कस्बे या छोटे शहर में बीता है, और अगर आपने वाकई अपना बचपन जिया है, तो ये नाम ज़रूर याद होंगे आपको। बड़े होने के साथ, कई चीज़ें ज़िंदगी से गायब हो जाती हैं, ऐसे कई खेल जो कभी हमारा हिस्सा थे, अब सिर्फ यादें बन गए हैं।
पिट्ठू
एक समय था जब पिट्ठू का खेल बच्चों में बहुत लोकप्रिय हुआ करता था। इस खेल में दो टीमें होती हैं, एक बॉल होती है, और सात चपटे पत्थर, जिन्हें एक के ऊपर एक रख दिया जाता है। एक खिलाड़ी बॉल से पत्थरों को गिराता है। अब एक टीम का टास्क है कि वो इन पत्थरों को फिर से एक दूसरे के ऊपर रखे, और दूसरी टीम को बॉल मारकर इन्हें रोकना होता है।अगर पत्थर रखते समय खिलाड़ी को बॉल छू जाती है, तो वो खिलाड़ी खेल से आउट हो जाता है।
खिलाड़ियों की संख्या- दो टीम, खिलाड़ियों की संख्या कितनी भी हो सकती है
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कंचे
कांच की छोटी-छोटी रंग-बिरंगी गोलियों से खेले जाना वाला ये खेल ग्रामीण इलाकों में अब भी काफी लोकप्रिय है। इस खेल में खिलाड़ियों को अपनी अंगुली की मदद से कंचे को ऐसे फेंकना होता है कि वो ज़मीन में बिखरी हुए दूसरे कंचों से टकराए। जिस कंचे से खिलाड़ी का कंचा टकरा जाता है, वो उसका हो जाता है। खेल में ज़्यादा कंचे इकट्ठा करने वाला खिलाड़ी विजेता बन जाता है।
खिलाड़ियों की संख्या-एक से ज़्यादा कितने भी खिलाड़ी खेल सकते हैं।
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गिल्ली-डंडा
क्रिकेट और बेसबॉल से मिलता जुलता ये खेल एक वक्त में क्रिकेट से भी ज़्यादा लोकप्रिय हुआ करता था। ये खेल लकड़ी के एक छोटे टुकड़े, यानी गिल्ली और एक और एक डंडे से खेला जाता है। खिलाड़ियों को गिल्ली में इस तरह हिट करना होता है कि वो जितनी दूर हो सके, उतनी दूर जाकर गिरे।
खिलाड़ियों की संख्या- दो टीमें,कितने भी खिलाड़ी खेल सकते हैं।
खो-खो
खो-खो दो टीमों के बीच खेले जाना वाला एक दिलचस्प गेम है। इस खेल में एक टीम के खिलाड़ी ज़मीन पर एक लाइन में इस तरह बैठते हैं कि अगल-बगल बैठे दो खिलाड़ियों का चेहरा एक दूसरे के विपरीत दिशा में हो। अब विरोधी टीम का एक खिलाड़ी (रनर) मैदान में आता है, जिसे उन्हें एक तय वक्त के अंदर पकड़ना होता है...लेकिन ये काम इतना आसान भी नहीं है, क्योंकि रनर आड़े-तिरछे कहीं भी दौड़ सकता है, लेकिन टीम के सदस्य लाइन के चारों ओर गोलाई में घूम कर ही उसे पकड़ सकते हैं। और हां, एक वक्त में रनर के अलावा विरोधी टीम का सिर्फ एक सदस्य खड़ा हो सकता है। है ना दिलचस्प?
खिलाड़ियों की संख्या- दो टीमें, हर टीम में नौ खिलाड़ी
स्टापू
स्टापू कम जगह में भी खेला जा सकने वाला खेल है। इस खेल के लिए मैदान या फर्श पर चॉक से आठ आयताकार बॉक्स बनाए जाते हैं। खिलाड़ी पत्थर का एक टुकड़ा बॉक्स की तरफ़ उछालता है। पत्थर बॉक्स की लाइन से छूना नहीं चाहिए, और बॉक्स से बाहर निकलना भी नहीं चाहिए...इसके बाद खिलाड़ी को एक पैर पर उछलते हुए बॉक्स के अंदर गिरे पत्थर को छूना होता है। खेल तब तक चलता रहता है, जब तक या तो खिलाड़ी आउट ना हो जाए, या सारे बॉक्स पर उसका अधिकार ना हो जाए।
खिलाड़ियों की संख्या- एक से ज़्यादा कितने भी खिलाड़ी खेल सकते हैं।
विष-अमृत
ये खेल विदेशी खेल लॉक एंड की का भारतीय रूप है। खेल में एक खिलाड़ी के पास विष देने का अधिकार होता है। ये खिलाड़ी जिस भी खिलाड़ी को छू दे, वो अपनी जगह पर फ्रीज़ हो जाता है, जबतक कि उसके साथ खिलाड़ी आकर उसे छू ना दे, यानि अमृत ना दे दे। खेल तब ख़त्म होता है, जब सारे खिलाड़ी पकड़े जाते हैं, और उन्हें अमृत देने के लिए कोई खिलाड़ी नहीं बचता।
खिलाड़ियों की संख्या- कम से कम तीन खिलाड़ी
गिट्टियां
गिट्टियां बेहद लोकप्रिय इनडोर खेल है। ये खेल पत्थर के पांच टुकड़ों की मदद से खेला जाता है, जिन्हें गिट्टी कहते हैं। खिलाड़ियों को पत्थर का एक टुकड़ा हवा में उछालना होता है, और उसके नीचे आने से पहले ज़मीन पर पड़े दूसरे पत्थर को उठाना होता है। हालांकि ये खेल बैठकर खेला जाता है, फिर भी इसके लिए काफी फुर्ती चाहिए।
खिलाड़ियों की संख्या- दो या उससे ज़्यादा
अगर आपको भी अपने बचपन का ऐसा कोई खेल याद है, तो हमें बताइए [email protected] आईडी पर।
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