पुण्यतिथि विशेष : जब साहिर लुधियानवी की सुरक्षा के लिये उनकी मां को बेचने पड़े थे अपने गहने

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पुण्यतिथि विशेष : जब साहिर लुधियानवी की सुरक्षा के लिये उनकी मां को बेचने पड़े थे अपने गहनेसाहिर लुधियानवी।

लखनऊ। वो अफ़साना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा... भला ये लाइन किसने नहीं सुनी होगी। इन्होंने अपनी कलम से निकलने वाले शब्दों के जरिये लोगों को अपनी ओर खींचने पर मजबूर कर दिया। एक ऐसा शख्स जिसने बचपन में ही समझ लिया था कि जीवन का संघर्ष क्या होता है। बचपन से लेकर जवानी तक जिंदगी की जंग को लड़ते हुए इन्होंने अपने संघर्ष को शब्दों में उतार दिया।

पंजाब राज्य के लुधियाना में जन्मा ये शख्स किसे पता था आने वाले समय में इसके नाम से भी लोग लुधियाना को जानेंगे। ये है मशहूर शायर साहिर लुधियानवीं। साहिर का लुधियाना से खासा लगाव था इसीलिये ये शहर बाद में उनकी पहचान बना। वैसे साहिर का असली नाम अब्दुल हयी साहिर है। 25 अक्टूबर 1980 को साहिर ने दुनिया को अलविदा कह दिया और पीछे छोड़ गये अपनी कभी न खत्म होने वाली शायरी और गीत। इतना ही नहीं अपने सदा बहार गीतों से कई दशकों तक साहिर ने फिल्म संगीत को सराहा है।

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हिन्दी फ़िल्मों के लिए लिखे उनके गानों में भी उनका व्यक्तित्व झलकता है। उनके गीतों में संजीदगी कुछ इस कदर झलकती है जैसे ये उनके जीवन से जुड़ी हों। साहिर वे पहले गीतकार थे जिन्हें अपने गानों के लिए रॉयल्टी मिलती थी। उनके प्रयास के बावजूद ही संभव हो पाया कि आकाशवाणी पर गानों के प्रसारण के समय गायक तथा संगीतकार के अतिरिक्त गीतकारों का भी उल्लेख किया जाता था। इससे पहले तक गानों के प्रसारण समय सिर्फ गायक तथा संगीतकार का नाम ही उद्घोषित होता था।

पिता के खिलाफ गवाही देने पर साहिर को जान से मारने की दी थी धमकी

लगभग सौ साल पहले लुधियाना के एक इलाके के जागरीदार फजल मोहम्मद को उनकी अय्याशियों के लिये जाना जाता था। फजल की अनेक पत्नियां थी। उनमें से एक थी सरदार बेगम। सरदार बेगम ही साहिर की मां थी। फजल मोहम्मद की अय्याशियों की वजह से साहिर की मां काफी परेशान रहती थी। साहिर को बचपन से ही पिता का प्यार मिला ही नहीं। उनके पिता ने कभी साहिर को अपना बेटा माना ही नहीं।

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एक मर्तबा साहिर ने अदालत में अपने पिता के खिलाफ गवाही दे दी। इस पर साहिर के पिता उन पर इस कदर नाराज हुए कि उन्हें जान से मारने तक की धमकी दे डाली। अब साहिर की मां यानि सरदार बेगम को साहिर की चिंता सताने लगी। साहिर की मां ने बेटे की सुरक्षा के लिये अपने जेवर बेच कर साहिर की सुरक्षा के लिये गार्ड तैनात किये। उस वक्त साहिर की उम्र महज 13 साल की रही होगी।

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