छत्तीसगढ़ के एक अस्थायी गौठान में 70 से ज्यादा गायों की हुई मौत, कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार ने शुरू की थी गोबर खरीदने की योजना
छुट्टा गायों के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में सबसे पहले 'नरवा,गरवा,घुरवा,बारी' योजना की शुरुआत की थी। इस योजना में राज्य के हर गाँव में एक गौठान का निर्माण होना था जिसमें छुट्टा मवेशियों के अलावा किसानों की गायों को भी रखा जाए। आज इस एक अस्थाई गौठान में 70 से ज्यादा गायों की मौत हो गयी है।
Tameshwar Sinha 25 July 2020 12:38 PM GMT
जर्जर पड़े पंचायत भवन में बने एक अस्थाई गौठान में 70 से ज्यादा गायों की मौत हो गयी है। अधिकारिक तौर पर मौत की वजह स्पष्ट नहीं हुई है लेकिन ग्रामीणें का आरोप है कि जिस भवन में गायें रहती थीं वह जर्जर था। गायों के चारे-पानी का कोई इंतजाम नहीं था। कयास लगाये जा रहे हैं कि गायों की मौत दम घुटने से हुई है।
राज्य सरकार ने कुछ दिन पहले ही गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपए किलो गोबर खरीदने की पहल शुरू की थी।
गायों की इन मौतों के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सरपंच, सचिव, जनपद सदस्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए कलेक्टर को निर्देश दिए हैं।
एक अस्थाई गौठान में 70 से ज्यादा गायों की मौत हो गयी.
छत्तीसगढ़ में गौठान में गायों के मरने का यह पहला मामला नहीं है। तीन दिन पहले तखतपुर विकासखंड के इस गौठान की तरह ही बलौदाबाजार जिले के एक और गौठान में 30 से अधिक गायों की मौत हो गई थी। इस घटना में गायों को जहर देने की बात सामने आई थी।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक के मेड़पार गाँव में गौठान नहीं बना था। यहाँ पर कुछ दिन पहले ही जर्जर पड़े एक पंचायत भवन को अस्थाई गौठान में तब्दील कर दिया गया था जिसमें 100 से ज्यादा गायें रहती थीं। गौठान छत्तीसगढ़ में हर गाँव में छुट्टा गायों के रहने के लिए राज्य सरकार की नरवा-गरवा- घुरवा-बाड़ी योजना के तहत बनाये जाने की घोषणा की गयी थी। इसमें छुट्टा मवेशियों के अलावा किसानों की गायों को भी रखने का इंतजाम होता है।
शनिवार 25 जुलाई की सुबह जब इस गौठान में 50 गायें मरी देखी गईं तो इलाके में हडकंप मच गया। अबतक 70 से ज्यादा गायों के मौत की खबर है। बिलासपुर एसपी प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि तखतपुर इलाके में हुई गायों के मौत के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ थाना हिर्री में पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 13 एवं आईपीसी की धारा 429 के तहत एफआईआर दर्ज की गयी है, आगे इस मामले में विवेचना की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाही की जायेगी।
छत्तीसगढ में राज्य सरकार गायों के संरक्षण के लिए कई योजनाएं चला रही है, इनमें नरवा-गरवा- घुरवा-बारी योजना भी प्रमुख है। इस योजना में राज्य के हर गाँव में एक गौठान का निर्माण होना था जिसमें छुट्टा मवेशियों के अलावा किसानों की गायों को भी रखा जाए। पिछले दिनों राज्य सरकार ने गोबर की खरीदी के लिए गोधन न्याय योजना की भी शुरुआत की थी।
इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा गायों की मौत बेहद दुर्भाग्यजनक है, कलेक्टर और अधिकारियों को जांच के आदेश दिए हैं।
बिलासपुर जिले के मेड़पार में गायों की मृत्यु की घटना दुर्भाग्यजनक है।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) July 25, 2020
मैंने कलेक्टर बिलासपुर को इस घटना के जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। घटना हेतु जिम्मेदार कोई भी व्यक्ति बख्शा नहीं जाएगा।
फसल और पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार ने 19 जून से 30 जून तक 'रोका-छेका' अभियान की शुरुआत की थी। ये छत्तीसगढ़ की एक पुरानी परम्परा भी है। इस अभियान के तहत यह संकल्प लिया गया था कि सभी लोग मवेशियों को बाड़े या गौठान में ही 19-30 जून तक रखेंगे जिससे खरीफ फसलों के नुकसान को रोका जा सके।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इन गायों की मौत पर कहा, "गायों की मौतें गौठान की अव्यवस्था का नमूना मात्र है। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि गायों के चारे-पानी का कोई इंतजाम नहीं था। गायों की संख्या के हिसाब से जगह कम थी। जो गायें मरी हैं वे स्वस्थ और गर्भवती हैं। प्रदेश में 25-25 लाख रुपए लगाकर गौठान बनाये गये हैं, सारी योजनाएं सिर्फ कागजों में चल रही हैं इन्हें धरातल पर लाने की जरूरत है। इस घटना की जांच और कठोर कार्रवाही की जाए।"
वहीं गांयों की मौत के इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि भूपेश बघेल सरकार गोवंश के संरक्षण के लिए काम कर रही है, गायों की मौत आपत्तिजनक है, दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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